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N.V. न्यूज़ : छत्तीसगढ़ के रायपुर में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण-NIA के नये मुख्यालय भवन का लोकार्पण करने आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकवाद से जुड़े अपराधों की जांच के लिए बने इस संगठन के बारे में कुछ खास बातें कहीं हैं। उन्होंने कहा, उनकी कोशिश NIA एक फेडरल पुलिस एजेंसी बनाने की है। अभी देश के 18 राज्यों में NIA मौजूद है। अगले आम चुनाव से पहले देश के सभी राज्यों में एजेंसी का मुख्यालय मौजूद होगा। NIA के अतिरिक्त महानिदेशक-ADG अतुलचंद्र कुलकर्णी ने एक संक्षिप्त बातचीत में कहा, सरकार अगर ऐसा चाहती है तो हम इस भूमिका के लिए तैयार हैं।
NIA के ADG अतुलचंद कुलकर्णी ने कहा, समय के साथ एजेंसी का काम बढ़ रहा है। अभी हम देश के कम से कम छह थियेटर में काम कर रहे हैं। इसमें नार्थ ईस्ट, जम्मू – कश्मीर, वामपंथी उग्रवाद, इस्लामिक जिहाद, खालिस्तानी उग्रवाद जैसे क्षेत्र शामिल हैं। समय के साथ एजेंसी के पास मामलों की संख्या बढ़ रही है। एजेंसी को अभी एक साथ कई टास्क पर काम करना पड़ रहा है। अभी जब हम यह बातचीत कर रहे हैं, उत्तर भारत के 30 ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन जारी है। उन्होंने कहा, हम बदली भूमिका के लिए तैयार हैं। हम हर उस मामले की जांच कर रहे हैं जिसका संबंध राष्ट्रीय हित और सुरक्षा से है। ADG कुलकर्णी ने कहा, एजेंसी को सभी राज्यों में मुख्यालय स्थापित करना जरूरी हो गया।रायपुर में हमारा मुख्यालय अब शुरू हो गया है। इसके पहले यह यहां हाउसिंग बोर्ड के किराये के मकान में संचालित था। इसके साथ ही एक आवासीय परिसर पर भी काम चल रहा है। अगले दो महीनों में उसका काम भी पूरा हो जाएगा। हमारी कोशिश है जो भी यहां काम करने आए वह कुछ दिन के बाद लौटकर दिल्ली-भोपाल न जाए। वह यहीं रहे और केस पर पूरी तरह काम करे।
राज्यों के साथ सूचना साझा करने का नेटवर्क
ADG अतुलचंद कुलकर्णी ने बताया, एजेंसी के मुख्यालयों में आतंकी घटनाओं और विस्फोटकों से जुड़ा डेटा बेस बनाया गया है। इसमें हर घटना का पूरा ब्यौरा दर्ज किया जा रहा है। राज्यों के साथ सूचना साझा करने का भी एक नेटवर्क है। पहले भी हम हर तीन महीने पर मिलकर ऐसी सूचनाएं एक-दूसरे से साझा करते रहे हैं। राज्यों में मुख्यालय होने से सूचनाओं को साझा करने में और आसानी होगी।
फेडरल जांच एजेंसी से क्या मतलब है?
जानकारों का कहना है, 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद संसदीय समिति ने सरकार से आतंकवाद के मामलों की जांच के लिए एक नई एजेंसी बनाने अथवा अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन-FBI की तर्ज पर CBI का पुनर्गठन करने की सिफारिश की थी। तत्कालीन यूपीए सरकार ने NIA विधेयक संसद में पेश किया जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। यानी NIA के गठन से पहले ही संघीय अथवा फेडरल जांच एजेंसी की परिकल्पना मौजूद थी। उसमें आठ तरह के मामलों को शामिल किया गया था।
भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने 2019 में NIA को अधिक ताकतवर बना दिया। इसमें साइबर क्राइम और मानव तस्करी को भी जोड़ दिया गया। वहीं विदेशों में भी जांच का अधिकार दे दिया गया। अनुमान लगाया जा रहा है, सरकार अब एजेंसी को FBI जैसा ही बनाना चाहती है, जिसके पास 200 से अधिक किस्म के मामलों को दर्ज करने और जांच करने का अधिकार है। उसमें वे अपराध भी शामिल हैं, जिनकी जांच और कार्यवाही के लिए राज्य पुलिस पूरी तरह सक्षम है।
आईपीएस वेदप्रकाश सूर्या संभालेंगे रायपुर मुख्यालय
NIA का छत्तीसगढ़ मुख्यालय नवा रायपुर के सेक्टर 24 में केंद्रीय सचिवालय के पास बना है। इसको केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने करीब 18 करोड़ रुपए में किया है। भूतल सहित तीन मंजिल के इस भवन में एजेंसी के सभी विभाग और शाखाओं के साथ डाटा बेस और सर्वर भी होगा। इसमें अभी 45 से 50 अधिकारी-कर्मचारी तैनात हैं। समय के साथ इनकी संख्या बढ़ाए जाने की योजना है। इस मुख्यालय के मुखिया होंगे पुलिस अधीक्षक वेद प्रकाश सूर्या। AGMUT कैडर के 2009 बैच के अफसर सूर्या इससे पहले दिल्ली पुलिस में थे। फरवरी 2022 तक वे उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जिला पुलिस आयुक्त-DCP रहे हैं। उनके पिता भी पुलिस अधिकारी रहे हैं। उनकी तैनाती दुर्ग-भिलाई में भी रही है। इसकी वजह से सूर्या छत्तीसगढ़ के सामाजिक-राजनीतिक परिवेश से परिचित हैं।