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N.V.News बिलासपुर: पति-पत्नी के बीच मामूली विवाद को तलाक का आधार नहीं बनाया जा सकता। तलाक के लिए क्रूरतापूर्ण व्यवहार होना साबित करना जरूरी है। परिवार न्यायालय ने पति की ओर से लगाई गई तलाक की याचिका को खारिज कर दिया गया था। क्रूरता साबित नहीं होने पर हाईकोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा।
राजनांदगांव के मनीष राय ने 2015 में प्रेम विवाह किया था। सन् 2017 में उसने परिवार न्यायालय में तलाक की अर्जी लगाई। इसमें कहा कि शादी के कुछ समय तक उसका पत्नी से संबंध अच्छा रहा। इसके बाद विवाद होने लगा। वह दोस्तों के सामने मुझे भिखारी कहकर अपमानित करती है। विवाद के कारण उन्हें किराये का मकान खाली करना पड़ा। शादी के बाद वह करीब 10 महीने ही साथ रही उसके बाद वह अपनी नौकरी वाली जगह पर जाकर अकेले रहने लगी। पत्नी खाना नहीं बनाती और मानसिक रूप से प्रताड़ित करती है। इसकी वजह से उसका पत्नी के साथ रहना मुश्किल है।
पत्नी ने पति के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि वह पति के साथ सास के पास रहने गई लेकिन वह गालियां देती है। वह इस शादी के लिए उसे बार-बार उलाहना देती है। सन् 2017 में वह मायके गई। इसके बाद पति उसे कभी लेने नहीं आया। सन् 2018 में तलाक की नोटिस मिलने से उसे हैरानी हुई। वह अपने पति के साथ रहना चाहती है। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है जिसमें पति को तलाक लेने की अनुमति नहीं दी गई थी।