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बिलासपुर : पति पर बेवजह आरोप लगाना , दुर्व्यवहार करना और आफिस जाकर अभद्रता करने को हाईकोर्ट ने अभद्रता माना है । जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकृष्ण अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने इस तरह पत्नी की प्रताड़ना का शिकार पति तलाक लेने हकदार बताया है । इस मामले में फैमली कोर्ट ने पहले ही तलाक की इजाजत दी थी , जिसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी । हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है ।
दरअसल धमतरी के कुरूद में पदस्थ अधिकारी ने आज से 12 साल पहले साल 2010 में में विधवा महिला से शादी की थी । शादी के कुछ दिनों बाद अनबन शुरू हो गयी । पत्नी ने पहले तो पति को मां पिता से अलग होकर रहने का दवाब बनाया । जब पति अपने मां पिता से अलग होकर रहने लगा तो उसे मां पिता से मिलने से भी रोकने लगी । जब पति ने इससे इनकार किया तो महिला विवाद करने लगी । महिला खुलेआम अपने पति से गाली गलौज और दुर्व्यवहार करने लगी ।
यही नहीं महिला ना सिर्फ पति से लेकर पैसे बर्बाद करने लगी , बल्कि आफिस पहुंचकर अवैध संबंध का आरोप और दफ्तर में कर्मियों के सामने गाली गलौज और बेइज्जत करना शुरू कर दिया । महिला ने ऐसा कई बार किया । पत्नी ने इस मामले में मंत्री से भी शिकायत की और तबादला करने को कहा । पत्नी के इस हरकत से परेशान अधिकारी ने तलाक की अर्जी दायर कर दी । फैमिली कोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला सुनाया । फैमिली कोर्ट ने तलाक की इजाजत दे दी ।
फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में पत्नी ने अर्जी दायर की । महिला ने बताया कि तलाक की वजह से उन्हें गुजारा में परेशानी हो रही है । पति ने उससे बेवजह तलाक लिया है । इस मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने पत्नी के व्यवहार को क्रूरता की श्रेणी में मानते हुए फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया ।