Chhattisgarh agriculture officers :9 सूत्रीय लंबित माँगों को लेकर आंदोलन, आज जीपीएम जिले में धरना

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NV News:गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही,(Chhattisgarh agriculture officers)।छत्तीसगढ़ के कृषि विभाग में कार्यरत ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों(Rural Agricultural Extension Officers) एवं कृषि विकास अधिकारियों (Agricultural Development Officers) ने अपनी 9 सूत्रीय लंबित माँगों को लेकर आज एक दिवसीय अवकाश पर रहकर जिला मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन (Demonstration) किया। यह आंदोलन छत्तीसगढ़ कृषि स्नातक शासकीय कृषि अधिकारी संघ के प्रांतीय आह्वान पर किया गया।
संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि वे लगातार चरणबद्ध आंदोलन कर शासन का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। पहले चरण में 8 और 9 सितम्बर को सभी अधिकारियों ने काली पट्टी लगाकर कार्य किया था। इसके बाद 15 सितम्बर को दूसरे चरण में बिना संसाधन भत्ता के ऑनलाइन कार्यों का निष्पादन बंद कर भोजनावकाश के समय ज्ञापन सौंपा गया था। ज्ञापन कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार के माध्यम से शासन तक पहुंचाया गया। लेकिन आज तक सरकार ने उनकी जायज माँगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया।
इसी के विरोध में तीसरे चरण के तहत आज 23 सितम्बर को सभी अधिकारी सामूहिक अवकाश लेकर जिला मुख्यालय गौरेला में प्रातः 11 बजे से अपराह्न 2 बजे तक धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए। अधिकारियों का कहना है कि जब तक शासन उनकी लंबित माँगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर समाधान नहीं करता, तब तक यह आंदोलन चरणबद्ध तरीके से जारी रहेगा।
संघ की प्रमुख माँगें
धरना-प्रदर्शन के दौरान संघ ने अपनी 9 सूत्रीय लंबित माँगों का विस्तार से उल्लेख किया। इनमें प्रमुख माँगें इस प्रकार हैं:
- वेतनमान संशोधन – ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों का वेतनमान संशोधित कर 4300 ग्रेड पे किया जाए।
- कार्य क्षेत्र का पुनर्निर्धारण – कृषि विस्तार अधिकारियों एवं कृषि विकास अधिकारियों के कार्यक्षेत्र का वैज्ञानिक और न्यायोचित आधार पर पुनर्निर्धारण।
- भत्तों में वृद्धि – मासिक स्थायी भत्ता (Fix TA) को बढ़ाकर 2500 रुपये करने की माँग।
- संसाधन भत्ता – विभागीय कार्यों के सुचारू संचालन के लिए मोबाईल, इंटरनेट, लैपटॉप, स्टेशनरी आदि हेतु संसाधन भत्ता उपलब्ध कराया जाए।
- अतिरिक्त प्रभार भत्ता – अमले की कमी से अधिकारियों को दिए जा रहे अतिरिक्त प्रभार की स्थिति में उन्हें सम्मानजनक अतिरिक्त क्षेत्र भत्ता दिया जाए।
- पदनाम संशोधन – मध्यप्रदेश की तर्ज पर ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी का पदनाम बदलकर “कृषि विस्तार अधिकारी” किया जाए।
- गैर-विभागीय कार्यों से मुक्ति – अधिकारियों को फसल गिरदावरी, डिजिटल क्रॉप सर्वे, पंचायत सचिव, धान उपार्जन केंद्र प्रभारी, परीक्षा निरीक्षक, आंगनबाड़ी निरीक्षण, प्रधानमंत्री आवास योजना सर्वे आदि गैर-विभागीय कार्यों में ना लगाया जाए।
- DBT प्रणाली लागू करने की माँग – बीज, खाद एवं अन्य आदान सामग्रियों के भण्डारण व अनुदान राशि वितरण की प्रक्रिया सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से DBT प्रणाली पर आधारित हो।
- लंबित पदोन्नति प्रक्रिया – ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को कृषि विकास अधिकारी के पद पर पदोन्नति प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ की जाए।
शासन से जल्द समाधान की अपील
धरना स्थल पर बड़ी संख्या में अधिकारी शामिल हुए और नारेबाजी के साथ सरकार से माँग की कि उनके मुद्दों पर जल्द से जल्द सकारात्मक निर्णय लिया जाए। अधिकारियों का कहना है कि उनकी मांगें केवल कर्मचारियों के हित में नहीं बल्कि किसानों के हित में भी हैं, क्योंकि वर्तमान परिस्थितियों में आवश्यक संसाधन और न्यायोचित कार्यक्षेत्र के बिना किसान हितैषी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन संभव नहीं है।
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी माँगों पर शासन शीघ्र विचार नहीं करता तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। इस दौरान संघ के पदाधिकारियों ने भी संबोधित करते हुए कहा कि यह लड़ाई केवल वेतन या भत्ता बढ़ाने की नहीं है, बल्कि कृषि व्यवस्था को मजबूत करने और किसानों तक योजनाओं को सही ढंग से पहुंचाने की है।