भावना बोहरा के साथ गूंजे बोल बम के जयकारे, 151 किमी लंबी भव्य कांवड़ यात्रा का शुभारंभ

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NV News अमरकंटक 21 जुलाई 2025 : सावन के पावन माह में श्रद्धा, आस्था और शिव भक्ति की अलौकिक छटा उस समय देखने को मिली, जब भावना बोहरा के नेतृत्व में 151 किलोमीटर लंबी भव्य कांवड़ यात्रा का शुभारंभ माँ नर्मदा मंदिर, अमरकंटक से किया गया। यह यात्रा भोरमदेव मंदिर तक जाएगी और रास्ते भर “बोल बम” के जयकारों से वातावरण गुंजायमान रहेगा।

आज सावन माह का द्वितीय सोमवार था। इसी विशेष अवसर पर भावना बोहरा ने माँ नर्मदा और नर्मदेश्वर महादेव जी की विधिवत पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना के साथ कांवड़ यात्रा का शुभारंभ किया। यात्रा का आरंभ अमरकंटक के पवित्र घाट से हुआ, जहां श्रद्धालुओं ने नर्मदा जल से कांवड़ भरकर भोलेनाथ के चरणों में अर्पित करने की संकल्पना के साथ कदम बढ़ाए।

कांवड़ यात्रा: श्रद्धा, अनुशासन और संस्कृति का संगम

151 किलोमीटर की यह यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और सामाजिक एकता का जीवंत उदाहरण भी है। यह यात्रा शिव भक्ति के साथ-साथ अनुशासन, संयम और समर्पण की मिसाल पेश करती है। भावना बोहरा के नेतृत्व में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। महिलाएं, युवा, बुजुर्ग सभी इस यात्रा में एक समान भाव से शामिल हुए हैं।

पर्यावरण के प्रति समर्पण

इस कांवड़ यात्रा को विशेष बनाता है इसका पर्यावरण के प्रति समर्पण। यात्रा मार्ग पर प्लास्टिक का उपयोग पूर्णतः वर्जित किया गया है। प्रतिभागियों को पर्यावरण-संवेदनशील बनने का संदेश दिया जा रहा है। कई स्थानों पर पौधारोपण भी किया जा रहा है, जिससे यह यात्रा आध्यात्मिकता के साथ-साथ हरियाली का संदेश भी देती नजर आ रही है।

जहां वाणी में शिवत्व हो, वहां मौन भी मंत्र बन जाता है”

यह पंक्ति आज की यात्रा का सार प्रतीत हुई। जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे श्रद्धा की गूंज और शिव नाम का उच्चारण वातावरण को भक्ति से सराबोर कर रहा है। हर कांवड़िया के चेहरे पर आत्मिक शांति और भक्ति की आभा स्पष्ट झलक रही है। शिव भक्तों ने गीत, भजन, डमरू और ढोल नगाड़ों के साथ मार्ग को संगीतमय बना दिया है।

सेवा और सहयोग का भी अद्भुत उदाहरण

यात्रा के मार्ग में कई सामाजिक संगठनों और सेवा दलों ने जलपान, चिकित्सा सुविधा, विश्राम स्थल और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की है। भावना बोहरा ने सभी सहयोगियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह यात्रा व्यक्तिगत नहीं, सामूहिक श्रद्धा और सामाजिक सहभागिता का प्रतीक है।

समापन भोरमदेव मंदिर में होगा

यह भव्य यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर में समाप्त होगी, जहां सभी कांवड़िए नर्मदा जल से भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे। यह मंदिर छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जिसे ‘छत्तीसगढ़ का खजुराहो’ भी कहा जाता है। यात्रा के समापन पर विशेष रुद्राभिषेक और भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

शिव भक्ति की पराकाष्ठा

भावना बोहरा के नेतृत्व में आयोजित यह 151 किलोमीटर की कांवड़ यात्रा न केवल शिव भक्ति की पराकाष्ठा है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक एकता, पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सामाजिक समरसता का भी प्रेरणादायक उदाहरण बन चुकी है। सावन के इस पवित्र अवसर पर यह यात्रा निश्चित ही जनमानस को अध्यात्म से जोड़ने और समाज को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य कर रही है।

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