Chaitra Navratri 2024: मां महामाया मंदिर में आज भी परंपरा निभाई जा रही है चिंगारी से जलाई जायेगी जोत, जाने क्या है!इतिहास..NV News

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NV News रायपुर Chaitra Navratri 2024: राजधानी के पुरानी बस्ती इलाके में प्रसिद्ध ऐतिहासिक महामाया मंदिर में आज भी महाजोत का प्रज्वलन चकमक पत्थर को ‎रगड़कर निकलने वाली चिंगारी से करने की परंपरा निभाई जा रही है। महाजोत प्रज्वलित करने के दौरान 10 साल से कम उम्र की बालिका का हाथ लगवाकर प्रधान पुजारी और बैगा महाजोत प्रज्वलित करते हैं। इसके पश्चात महाजोत से अग्नि लेकर 10 हजार से अधिक मनोकामना जोत को प्रज्वलित किया जाएगा। अभिजीत मुहूर्त में महाजोत प्रज्वलित होगी, तत्पश्चात 150 से अधिक सेवादार मनोकामना जोत प्रज्वलित करेंगे।

Chaitra Navratri 2024 चैत्र नवरात्र पर सर्वार्थसिद्घि, अमृत सिद्धि योग ज्योतिषाचार्य डा.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार चैत्र नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थसिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। साथ ही रेवती नक्षत्र, अश्विनी नक्षत्र, भी है। इस शुभ संयोग में देवी पूजन करने से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ेगी।

आगमन अश्व पर और प्रस्थान हाथी पर

(Chaitra Navratri 2024 )चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर मां जगतजननी दुर्गा का आगमन अश्व पर हो रहा है और नवरात्र के अंतिम दिन प्रस्थान हाथी पर होगा। अश्व को तेज गति वाला वाहन माना जाता है। यह संकेत दे रहा है कि रूके हुए विकास तेजी से शुरू होंगे। साथ ही आतंकवाद, युद्ध की स्थिति बनेगी और सत्ता के लिए नेतागण राजनीतिक दांवपेंच खेलेंगे।

15 मंदिरों में 50 हजार जोत का पंजीयन

अलग-अलग इलाकों में स्थित 15 से अधिक देवी मंदिरों में 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने जोत का पंजीयन कराया है। पुरानी बस्ती के महामाया मंदिर में सबसे अधिक 10 हजार जोत प्रज्वलित होगी। इसके बाद रावांभाठा स्थित बंजारी मंदिर, आकाशवाणी तिराहा पर काली मंदिर, कुशालपुर में दंतेश्वरी मंदिर, ब्राह्मणपारा में कंकाली मंदिर, आमापारा और अमीनपारा के शीतला मंदिर, समता कालोनी के गायत्री शक्तिपीठ सहित अन्य मंदिरों में भी जोत प्रज्वलन की तैयारियां पूरी हो चुकी है।

भगवा ध्वज करता है सकारात्मक ऊर्जा का संचार – पं.मनोज शुक्ला (Chaitra Navratri 2024)

चैत्र नवरात्र और नवसंवत्सर पर प्रत्येक सनातनी को अपने घर पर सनातनी ध्वज अवश्य फहराना चाहिए। ध्वज फहराने से सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। यह कहना है महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला का है।पं.शुक्ला के अनुसार सनातन धर्म में भगवा ध्वज की महत्ता है। मंदिरों के शिखर कलश पर ध्वज अवश्य लगाया जाता है। पुरी में जगन्नाथ धाम में प्रतिदिन ध्वज बदला जाता है। प्रत्येक सनातनी नवसंवत्सर पर ध्वज की पूजा करके छत पर लगाए। प्राचीन काल में राजा के महल, किलाें पर ध्वज लगाए जाते थे, महलों में सुख, समृद्धि होती थी।

ऐसे लगाएं ध्वज- ध्वज त्रिकोणीय हो, उस पर स्वास्तिक या ऊं अंकित हो- उत्तर पश्चिम दिशा में लगाएं, सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी-केसरिया, पीले रंग का ध्वज हो- कटा, फटा, मैला ध्वज ना लगाएं- नवरात्रि के प्रथम दिन, पंचमी, अष्टमी, दशहरा, रथयात्रा, रामनवमी, दिवाली पर ध्वज लगाएं।

 

नवसंवत्सर पर निकाली शोभायात्रा, बही राम नाम की गंगा

नवसंवत्सर की पूर्व संध्या पर सोमवार को निकाली गई शोभायात्रा की धूम रही। शोभायात्रा में श्रद्धालुओं ने राम नाम की गंगा बहाई। गाजे-बाजे, ढोल नगाड़ों के साथ हाथी, घोड़ा और श्रीराम दरबार की झांकी आकर्षण का केंद्र रही। राम राज परिवार के संयोजक प्रदीप साहू एवं अध्यक्ष अजय गवली के नेतृत्व में सप्रे शाला मैदान से शोभायात्रा निकाली गई। यात्रा सिटी कोतवाली, सदर बाजार, सत्ती बाजार चौक, कंकाली तालाब, पुरानी बस्ती होते हुए बूढ़ापारा पहुंची।

 

इसमें महाराष्ट्र का ढोल, बनारस का डमरू ढोल, ओड़िसा का सम्बलपुरी बाजा एवं राऊत नाचा, पंथी नृत्य, सुवा नृत्य, अखाड़ा दल आकर्षण का केंद्र रहा। रामलला की मूर्तिराम राज परिवार के अध्यक्ष अजय गवली ने बताया कि अयोध्या में प्रतिष्ठापित भगवान श्रीरामलला की मूर्ति का 15 फीट ऊंचा प्रतिरूप बनाया गया। शोभा यात्रा को सफल बनाने में संरक्षक विजय गोलु गवली, महेन्द्र सिंघानिया, अध्यक्ष अजय गवली, संयोजक प्रदीप साहू, प्रमुख सलाहकार अमन मंडावी, धीरज बवंकर, अभय शर्मा, रोहित प्रधान, दिनेश ने योगदान दिया।

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