CGMSC Scam: दवा खरीदी में गड़बड़ी,16 टेंडर दो साल से अधर में…NV News 

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रायपुर/(CGMSC Scam):छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) में घोटाले के कारण दवा और मेडिकल उपकरणों की सप्लाई व्यवस्था चरमराई हुई है। पिछले दो साल से नए टेंडर जारी नहीं हो पाए, जिससे सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी बनी हुई है। इस दौरान लगभग 100 करोड़ रुपये की दवाएं बिना टेंडर के खरीदी गईं, जिससे पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

16 टेंडर दो साल से अधर में:

CGMSC द्वारा दवाओं और उपकरणों की खरीद के लिए कुल 16 निविदाएं जारी की गई थीं, लेकिन पिछले दो साल से ये लंबित हैं। इनमें से कुछ टेंडर 494 दिन पुराने हो चुके हैं, जबकि सबसे नए टेंडर को भी 126 दिन बीत चुके हैं।इन टेंडरों में 100 से अधिक प्रकार की दवाएं और उपकरण शामिल हैं। निविदाओं के अटकने से प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर बड़े सरकारी अस्पतालों तक दवाओं की आपूर्ति प्रभावित हो रही है।

घोटाले के बाद ठप हुई प्रक्रिया:

रीएजेंट घोटाले के खुलासे के बाद CGMSC की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे। जांच में पता चला कि कुछ पूर्व अधिकारियों ने जानबूझकर निविदा प्रक्रिया को रोक दिया, ताकि चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाया जा सके।नए प्रबंध निदेशक (MD) ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 10 से अधिक दवा निरीक्षकों की नियुक्ति की है और निविदा प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए हैं। हाल ही में 1135 दिनों के बाद आधा दर्जन टेंडरों की ‘कवर-ए’ फाइल खोली गई, जिनमें 2023-24 और 2024-25 की अवधि के टेंडर शामिल हैं।

सिर्फ एक कंपनी को फायदा:

पिछले आठ महीनों में लगभग 100 करोड़ की दवाओं की खरीद बिना नए टेंडर के की गई। खास बात यह है कि ये खरीदी ज्यादातर एक ही लोकल कंपनी (9 एम) से की गई, जिसका पुराना रेट कॉन्ट्रैक्ट डेढ़ साल पहले खत्म हो चुका था।

इस कंपनी पर गुणवत्ता विहीन दवाएं सप्लाई करने के कई आरोप हैं। दर्जनों शिकायतों में उनके प्रोडक्ट गुणवत्ता जांच में फेल पाए गए, फिर भी न तो कंपनी और न ही उसके उत्पादों को ब्लैकलिस्ट किया गया।

भुगतान भी अटका:

घोटाले के बाद से कई सप्लायरों और दवा निर्माण कंपनियों के भुगतान रोक दिए गए हैं। कई कंपनियों ने दो साल पहले ही दवाएं सप्लाई कर दी थीं, लेकिन अब तक उन्हें भुगतान नहीं मिला। इससे सप्लायर्स में नाराजगी है और नए सप्लाई ऑर्डर पर भी असर पड़ रहा है।

पारदर्शिता पर सवाल:

सरकारी अस्पतालों को गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराना CGMSC की मुख्य जिम्मेदारी है। लेकिन लंबे समय से निविदाओं में देरी और बिना टेंडर की खरीद ने सरकारी व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ही निविदा प्रक्रिया पूरी नहीं की गई, तो दवाओं की कमी और बढ़ सकती है। इसका सीधा असर गरीब मरीजों पर पड़ेगा, जिन्हें मुफ्त या सस्ती दवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है।

सरकार का दावा–जल्द होगा समाधान:

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि लंबित निविदाओं को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। टेंडर प्रक्रिया तेज करने के लिए आवश्यक स्टाफ की भर्ती कर दी गई है। “लंबित निविदाओं को शीघ्र पूर्ण कर पारदर्शी तरीके से दवाओं की सप्लाई सुनिश्चित की जाएगी।”- श्याम बिहारी जायसवाल, स्वास्थ्य मंत्री

दो साल से अटके टेंडरों और बिना टेंडर की भारी खरीदी ने छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति उजागर कर दी है। अब सरकार के सामने चुनौती है कि वह तेजी से निविदा प्रक्रिया पूरी करे और उन कंपनियों पर कार्रवाई करे, जिनकी वजह से मरीजों तक गुणवत्तापूर्ण दवाएं नहीं पहुंच पा रहीं।यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो सरकारी स्वास्थ्य तंत्र की साख और मरीजों का भरोसा दोनों ही खतरे में पड़ सकते हैं।

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