“CGMSC Drug Scam “: पैरासिटामोल और एसिक्लोफिनेक की सप्लाई पर रोक…NV News 

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Raipur(CG): छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (CGMSC) एक बार फिर सवालों के घेरे में है। सरकारी अस्पतालों में वितरित की गई पैरासिटामोल और एसिक्लोफिनेक दवाओं (paracetamol & AC clofenac medicine) की गुणवत्ता खराब पाई गई है। जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद इन दवाओं (Medicine) के वितरण और उपयोग पर रोक लगा दी गई है।

फंगस (fungus)और गुणवत्ता(quality) की कमी, मरीजों की जान पर खतरा:

सूत्रों के अनुसार, पैरासिटामोल(Paracetamol) 500 एमजी(MG) और 650 एमजी(MG) की कई खेपों में फंगस पाए गए। इसके अलावा एसिक्लोफिनेक और पैरासिटामोल(AC clofenac & Paracetamol) के कॉम्बिनेशन(Combination) वाली दवा (Medicine)भी असुरक्षित पाई गई। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी दवाएं उल्टी, दस्त, फूड पॉयजनिंग (Vomiting or diarrhea food poisoning problem)जैसी समस्याओं के साथ गंभीर मामलों में जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। प्रदेश के 90 से अधिक अस्पतालों से शिकायतें आने के बाद CGMSC ने बैच रोकने का आदेश जारी किया।

महंगी खरीद, घटिया सप्लाई:

जानकारी के मुताबिक, पैरासिटामोल(Paracetamol tablet) की खरीद 47.04 रुपये प्रति 100 टैबलेट के हिसाब से की गई, जबकि राजस्थान मेडिकल कॉर्पोरेशन (Rajasthan medical corporation) ने यही दवा 29.33 रुपये में खरीदी। इस तरह, प्रति स्ट्रिप 18 रुपये अधिक भुगतान कर CGMSC ने केवल 2024-25 में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान किया।

पुराने मामले भी उठे:

यह पहली बार नहीं है जब CGMSC पर घटिया दवाएं सप्लाई करने का आरोप लगा हो। पिछले दो महीनों में डीएनएस, आरएल स्लाइन, अस्थमा और गठिया की दवा, सर्जिकल दस्ताने, इंजेक्शन पाउडर और कैल्शियम टैबलेट (DNS, RL saline, asthma and arthritis medicine, surgical gloves, injection powder and calcium tablets) जैसी सामग्रियों की गुणवत्ता (quality)संदिग्ध पाई गई। यहां तक कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर बच्चों को दी जाने वाली अल्बेंडाजोल गोलियों(Albendazole tablets) में भी खराब गुणवत्ता(quality) की शिकायत आई थी।

एक ही कंपनी को बार-बार ठेका:

सबसे हैरानी की बात यह है कि महासमुंद की 9 एम इंडिया लिमिटेड, जिस पर पहले भी घटिया दवा सप्लाई का आरोप लगा था, जिसे लगातार पिछले चार सालों से पैरासिटामोल (Paracetamol)की आपूर्ति का ठेका मिलता रहा है। कंपनी की डाइसाइक्लोमाइन दवा (dicyclomine drug) भी पहले फेल हो चुकी है, लेकिन कार्रवाई सिर्फ बैच वापसी तक सीमित रही।

अब क्या कदम उठाए जाएंगे?

विशेषज्ञों और स्वास्थ्य संगठनों का कहना है कि घटिया दवा सप्लाई को लेकर सख्त कार्रवाई जरूरी है। यदि समय पर जांच और जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो मरीजों की जान जोखिम में पड़ सकती है और सरकारी धन की बर्बादी जारी रहेगी।

बार-बार सामने आ रहे ऐसे मामलों ने प्रदेश की दवा खरीद व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पारदर्शी खरीद, कड़े गुणवत्ता मानक और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई ही इस समस्या का समाधान है।

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