CG Voter List 2025: मतदाता सूची अपडेट पर सियासी संग्राम, कांग्रेस बनाम भाजपा विवाद…NV News

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रायपुर/(CG Voter List 2025): छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया कि प्रदेश में 2.12 करोड़ मतदाता हैं जिनके नामों की जांच मंगलवार से शुरू होगी। इस प्रक्रिया के तहत नए मतदाताओं को जोड़ा जाएगा और पुरानी सूची की गलतियों को सुधारा जाएगा।

प्रदेश में कुल मतदाता:

पुरुष मतदाता: 1 करोड़ 4 लाख 27 हजार 834

महिला मतदाता: 1 करोड़ 6 लाख 76 हजार 821

तृतीय लिंग मतदाता: 736

आयोग के अनुसार, सभी जिलों में एक साथ एसआईआर लागू किया जाएगा। बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर पुराने रेकॉर्ड से मिलान करेंगे और कमियों को दूर करेंगे।

उपमुख्यमंत्री ने किया स्वागत:

उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग के इस निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया उन नागरिकों के लिए है जो पात्र हैं और भारत के नागरिक हैं। “जो भी वैध मतदाता हैं, केवल उनके नाम सूची में होने चाहिए,” उन्होंने कहा।

भूपेश बघेल का निशाना:

पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों पर हमला बोला है। रायपुर एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग बताए कि बिहार में एसआईआर के दौरान कितने बांग्लादेशी चिन्हित हुए और उनमें से कितनों को सूची से हटाया गया। अगर यह प्रक्रिया विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए है, तो छत्तीसगढ़ में अब तक कितने पाकिस्तानी मिले?”

उन्होंने गृह मंत्रालय से भी सवाल किया कि “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन दिन में पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान के निर्देश दिए थे, लेकिन राज्य सरकार अब तक कोई ठोस आंकड़ा नहीं दे पाई है।

कांग्रेस ने लगाया बड़ा आरोप:

प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग के इस कदम को “लोकतंत्र विरोधी षड्यंत्र” बताया है। पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि यह कवायद भाजपा सरकार के अनुकूल चुनावी माहौल तैयार करने की कोशिश है।

उन्होंने आरोप लगाया कि, “निर्वाचन आयोग अब निष्पक्ष संस्था नहीं, बल्कि भाजपा के मोर्चा संगठन की तरह काम कर रहा है। एसआईआर से पहले आयोग को सभी दलों से चर्चा करनी चाहिए थी और मतदाता सूची का इलेक्ट्रॉनिक डेटा साझा करना चाहिए था।”

वर्मा ने कहा कि बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में हुए पुनरीक्षण के दौरान “वोट चोरी” के कई मामले सामने आए, जो आयोग और भाजपा की मिलीभगत को साबित करते हैं। उनके अनुसार, “बिहार में हुआ एसआईआर पारदर्शिता की कसौटी पर पूरी तरह फेल साबित हुआ है।”

आयोग की दलील:

राज्य निर्वाचन आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया केंद्रीय निर्वाचन आयोग के निर्देशों के तहत नियमित रूप से की जाती है, ताकि मतदाता सूची अद्यतन रहे और कोई भी पात्र नागरिक वंचित न रह जाए।

आयोग अधिकारियों के मुताबिक,“एसआईआर के दौरान पुराने और नए रेकॉर्ड का मिलान किया जा चुका है। सभी जिलों में एक साथ सर्वे शुरू किया जाएगा और किसी भी नागरिक को मतदान अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा।”

राजनीतिक तापमान बढ़ा:

एसआईआर की घोषणा के बाद प्रदेश की राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। एक ओर भाजपा इसे पारदर्शिता की दिशा में कदम बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे “सत्ता प्रायोजित साजिश” करार दे रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी पंचायत चुनावों से पहले मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण राज्य की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। जहां एक ओर मतदाताओं की सही पहचान लोकतंत्र को मजबूत करेगी, वहीं आरोप-प्रत्यारोप का दौर चुनावी माहौल को और गरमा सकता है।

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