CG Sports News: कबड्डी क्वीन संजू देवी – जानें तानों से तालियों तक का सफर… NV News
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रायपुर/(CG Sports News): छत्तीसगढ़ की उभरती कबड्डी स्टार संजू देवी आज हर उस लड़की के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं, जो सपनों को टूटने नहीं देती। गांव की संकरी गलियों से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचने वाली संजू ने हाल ही में महिला वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। उन्होंने टूर्नामेंट में 13 रेड में 16 अंक हासिल कर टीम की जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अब उनकी निगाहें एशियन गेम्स पर हैं और वे आने वाले नेशनल गेम्स में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करने जा रही हैं।
गांव की मुश्किलों से वर्ल्ड कप तक की मजबूत यात्रा:
कोरबा के केराकछार गांव से आने वाली संजू की कहानी कई चुनौतियों से भरी है। वह बताती हैं कि, कबड्डी उनके लिए सिर्फ खेल नहीं, बल्कि उम्मीद की वह डोर है,जिसने हर मुश्किल वक्त में उन्हें आगे बढ़ने की ताकत दी।
संजू कहती हैं- “लड़की होकर कबड्डी खेलती हूं… इस वजह से समाज से बहुत ताने सुनने पड़े। कई लोगों ने कहा- इससे कुछ नहीं मिलेगा, घर-गृहस्थी संभालो। लेकिन मेरे माता-पिता हमेशा दीवार बनकर मेरे साथ खड़े रहे।”
संजू के पिता मजदूरी करते हैं और कई बार ऐसा हुआ कि, उनके अपने जूते फट गए, लेकिन बेटी की प्रैक्टिस न रुके, इसलिए उन्होंने पहले उसके जूते ले दिए। संजू की मां भी अतिरिक्त काम करके उसकी ट्रेनिंग में सहयोग करती रहीं। बिना किसी स्पेशल डाइट, बिना सुविधाओं के सिर्फ मेहनत और सपनों के साथ संजू ने अपनी शुरुआत की।
सफलता का सफर आसान नहीं, संजू का संदेश- हार के डर से मत रुकना:
लड़कियों को प्रेरित करते हुए संजू भावुक हो उठती हैं। वे कहती हैं- “शुरुआत में हर किसी को असफलता मिलती है। गिरोगी, चोट लगेगी, लोग ताने देंगे, लेकिन हिम्मत मत छोड़ो। एक दिन वही लोग तुम पर गर्व करेंगे जो कभी तुम्हारे रास्ते में रुकावट बनते थे।”
वर्ल्ड कप में अपने खेल से संजू ने यह साबित कर दिया कि, परिस्थितियां चाहे जितनी कठिन हों, मेहनत का रास्ता कभी खाली नहीं जाता।
सरकार से मांग- एक अच्छी नौकरी मिले, ताकि तैयारी और मजबूत हो सके:
संजू अब बड़े सपनों के साथ आगे बढ़ना चाहती हैं। उनका कहना है कि, एशियन गेम्स के लिए उन्हें बेहतर ट्रेनिंग, प्रोफेशनल कोचिंग और अच्छे डाइट की जरूरत है।
वे साफ कहती हैं- “अगर सरकार मुझे एक अच्छी नौकरी दे दे, तो घर की आर्थिक परेशानी काफी कम हो जाएगी। परिवार की उम्मीदें बढ़ी हैं, लेकिन खर्च भी बढ़े हैं। मैं भारत के लिए और बेहतर प्रदर्शन करना चाहती हूं।”
छत्तीसगढ़ सरकार और खेल विभाग से उन्हें उम्मीद है कि, उनके लिए उचित खेल अवसर और नौकरी की व्यवस्था की जाएगी, ताकि वे बिना किसी चिंता के अपने खेल पर पूरा ध्यान दे सकें।
एयरपोर्ट पर मिला शानदार स्वागत:
वर्ल्ड कप से लौटने के बाद संजू जब रायपुर के स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट पहुंचीं, तो खेल प्रेमियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। भारत माता की जय के नारों से पूरा एयरपोर्ट गूंज उठा। फिलहाल वे रायपुर में अकादमी कोच के प्रोटोकॉल के अनुसार रुकेंगी, इसके बाद अपने गांव केराकछार लौटेंगी, जहां उनके सम्मान में भव्य स्वागत की तैयारियां जोरों पर हैं।
संजू देवी की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की उपलब्धि नहीं, बल्कि उस जज़्बे की मिसाल है जो हर बाधा को चुनौती देता है। आज वह छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश के लिए प्रेरणा हैं और उनका अगला लक्ष्य है,एशियन गेम्स में तिरंगा फहराना।
