CG PDS Scam: 600 करोड़ की चावल हेराफेरी,बड़े अफसर पर गिरी गाज…NV News

Share this
रायपुर/(CG PDS Scam): छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत चावल की भारी हेराफेरी का खुलासा हुआ है। वर्ष 2021 से 2023 के बीच हुए इस घोटाले की कुल राशि लगभग 600 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। मामले में सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए खाद्य संचालनालय के अतिरिक्त संचालक राजीव कुमार जायसवाल को पद से हटा दिया है। अब उन्हें खाद्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में पदस्थ किया गया है। यह कदम हमर संगवारी संस्था की शिकायत और विधानसभा में उठे सवालों के बाद उठाया गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (OSD) डॉ. सुभाष राज सिंह ने इस कार्रवाई की पुष्टि की। संगठन के अध्यक्ष राकेश चौबे ने 8 जनवरी 2025 को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर घोटाले की जांच को प्रभावित करने वाले अधिकारियों को हटाने की मांग की थी। इसके बाद ही सरकार ने तत्काल प्रभाव से यह निर्णय लिया।
घोटाले का तरीका,बोगस चावल की सप्लाई:
राकेश चौबे ने विधानसभा जांच समिति को घोटाले से जुड़े प्रमाणित दस्तावेज सौंपे। उनके अनुसार, खुले बाजार से नकली और घटिया गुणवत्ता वाला चावल खरीदा गया और उसे राशन कार्डधारियों में वितरित कर दिया गया।
वास्तविक नियमों के मुताबिक, केवल नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) ही गुणवत्ता वाले चावल की आपूर्ति कर सकता है। लेकिन जांच में यह सामने आया कि कई जिलों में बोगस चावल की खरीद कर सरकारी रिकॉर्ड में गलत तरीके से दिखाया गया। इसका बड़ा हिस्सा काले बाजार में बेचा गया।
10 जिलों में 128 करोड़ का चावल काले बाजार में:
विधानसभा में तारांकित प्रश्न क्रमांक 58 के जवाब में खाद्य विभाग ने चौंकाने वाला खुलासा किया।विभाग के अनुसार, 10 जिलों में 4,63,319 क्विंटल चावल को काले बाजार में खपाया गया, जिसकी बाजार कीमत लगभग 128.09 करोड़ रुपये आंकी गई।सबसे ज्यादा गड़बड़ी कोरबा जिले में पाई गई। यहां 4,669.56 टन चावल, जिसकी कीमत करीब 16.59 करोड़ रुपये है, कालाबाजार में बेचा गया।
• कोरबा जिले की 298 राशन दुकानों की संलिप्तता सामने आई।
• इनमें से 50 दुकानों का निलंबन,
• 31 दुकानों का लाइसेंस निरस्तीकरण,
• और 31 दुकानों पर राजस्व वसूली के नोटिस जारी किए गए।
हमर संगवारी संस्था की सक्रियता से खुलासा:
हमर संगवारी संस्था के अध्यक्ष राकेश चौबे ने घोटाले को उजागर करने में बड़ी भूमिका निभाई।उन्होंने बताया कि विधानसभा जांच समिति को सौंपे गए दस्तावेजों में स्पष्ट सबूत हैं कि किस तरह नकली चावल की सप्लाई, रिकॉर्ड में हेरफेर, और काले बाजार में बिक्री का खेल चल रहा था। उन्होंने कहा कि,जब तक जिम्मेदार अधिकारियों को पद से नहीं हटाया जाता, तब तक निष्पक्ष जांच संभव नहीं है।यही वजह थी कि उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अतिरिक्त संचालक राजीव कुमार जायसवाल को हटाने की मांग की, जिसके बाद सरकार ने तत्काल कार्रवाई की।
जांच समिति और आगे की कार्रवाई:
• विधानसभा में इस घोटाले पर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
• सरकार ने साफ कहा है कि, मामले में कड़ी जांच की जाएगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
खाद्य विभाग की ओर से कहा गया है कि:
• पूरे राज्य में PDS चावल वितरण प्रणाली की समीक्षा की जाएगी।
• दोषी राशन दुकानों और संबंधित अधिकारियों पर राजस्व वसूली, मुकदमे, और लाइसेंस निरस्तीकरण जैसी सख्त कार्रवाई होगी।
• जांच पूरी होने तक कई जिलों में निगरानी बढ़ाई जाएगी।
क्या है PDS चावल घोटाला?:
• PDS के तहत सरकार गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को सब्सिडी पर चावल उपलब्ध कराती है।
• सरकार गुणवत्ता वाले चावल की खरीद करती है और उसे राशन दुकानों के माध्यम से जनता तक पहुंचाती है।
• इस घोटाले में अधिकारियों और राशन दुकानदारों की मिलीभगत से गुणवत्ता वाले चावल को काले बाजार में बेचकर, उसकी जगह नकली चावल वितरित किया गया।
• इससे न केवल जनता को नुकसान हुआ बल्कि सरकारी खजाने को भी 600 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचा।
राजनीतिक हलचल:
घोटाले के सामने आने के बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला तेज कर दिया है।विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार की नाक के नीचे इतना बड़ा घोटाला हुआ और उच्च स्तर के अधिकारियों की संलिप्तता के बिना यह संभव नहीं था।वहीं, सत्तापक्ष का कहना है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ा जाएगा और जांच पूरी तरह निष्पक्ष होगी।
आगे की राह:
• अतिरिक्त संचालक को हटाने के बाद अब सरकार का अगला कदम जांच की गति तेज करना होगा।
• जांच समिति से उम्मीद है कि वह आने वाले दिनों में पूरे घोटाले का सच सामने लाएगी।
• यह मामला छत्तीसगढ़ में PDS प्रणाली की पारदर्शिता और जनता के भरोसे के लिए एक अहम परीक्षा साबित होगा।
छत्तीसगढ़ का यह PDS घोटाला न केवल सरकारी सिस्टम की कमियों को उजागर करता है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि आखिर क्यों और कैसे गरीबों के हक का अनाज इस तरह खुलेआम लूटा जा रहा था। वही सरकार की अगली कार्रवाई पर पूरे राज्य की नजरें टिकी हुई हैं।