CG NHM Strike: स्वास्थ्य सेवाएं ठप,16 हजार कर्मचारियों का सामूहिक इस्तीफा…NV News

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NV News रायपुर/(CG NHM Strike): छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के 16,000 से अधिक कर्मचारियों ने अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। 18 अगस्त से शुरू हुई उनकी अनिश्चितकालीन हड़ताल रविवार को 19वें दिन भी जारी रही। सरकार की चुप्पी से नाराज कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देकर विरोध का नया चरण शुरू कर दिया है।

नियमितीकरण और वेतनमान मुख्य मांग:

एनएचएम कर्मचारियों का कहना है कि वे लंबे समय से अस्थायी व्यवस्था पर काम कर रहे हैं। कई कर्मचारी 10-12 वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उन्हें स्थायी नियुक्ति, उचित वेतनमान और सेवा शर्तों में सुधार जैसी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।

कर्मचारियों की 10 सूत्रीय मांगों में मुख्य रूप से नियमितीकरण, वेतनवृद्धि, सेवा सुरक्षा, ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य बीमा और पदोन्नति व्यवस्था शामिल हैं।एनएचएम कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष ने कहा, “हमारा आंदोलन किसी सरकार को चुनौती देने के लिए नहीं है। हम सिर्फ अपना हक मांग रहे हैं। लेकिन सरकार की लगातार चुप्पी ने हमें यह कठोर कदम उठाने पर मजबूर किया है।”

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं चरमराईं:

हड़ताल के चलते प्रदेशभर में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं। खासकर ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में टीकाकरण, मातृ-शिशु देखभाल और जन स्वास्थ्य कार्यक्रम ठप पड़ गए हैं।

• कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप स्वास्थ्य केंद्रों में ताले लटके हुए हैं।

• टीकाकरण कार्यक्रम रुकने से बच्चों में बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है।

• गर्भवती महिलाओं की समय पर जांच और देखभाल न होने से जटिलताएं बढ़ रही हैं।

• मलेरिया और डेंगू जैसे मौसमी रोगों पर नियंत्रण के प्रयास भी रुक गए हैं।

एक स्वास्थ्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यदि हड़ताल जल्द नहीं टूटी तो ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का पूर्णत: पतन हो सकता है।

कर्मचारियों का सामूहिक इस्तीफा, सरकार पर दबाव:

रविवार को रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर और अन्य जिलों के हजारों कर्मचारियों ने अपने सामूहिक इस्तीफे जिला प्रशासन को सौंपे।कर्मचारियों का कहना है कि यह कदम सरकार पर दबाव बनाने के लिए उठाया गया है।एनएचएम कर्मचारी संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द सुनवाई नहीं हुई, तो वे प्रदेशव्यापी आंदोलन को और तेज करेंगे।

संगठन के प्रवक्ता ने कहा, “सरकार को यह समझना चाहिए कि हम प्रदेश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य रीढ़ हैं। यदि हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो स्वास्थ्य तंत्र पूरी तरह से ठप हो जाएगा और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।”

राजनीतिक माहौल गर्माया:

इस मुद्दे ने राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ा दी है। विपक्षी दलों ने सरकार पर स्वास्थ्यकर्मियों की अनदेखी का आरोप लगाया है।पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि राज्य की जनता स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में परेशान है और सरकार चुप्पी साधे बैठी है।वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार कर्मचारियों की मांगों पर गंभीरता से विचार कर रही है और जल्द समाधान की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।

जनता की बढ़ी परेशानी:

हड़ताल के कारण आम जनता को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।रायपुर की एक गर्भवती महिला ने बताया, “नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में कर्मचारी नहीं हैं, हमें 20 किलोमीटर दूर शहर के अस्पताल जाना पड़ रहा है। यह समय और पैसे दोनों की बर्बादी है।”ग्रामीण क्षेत्रों में कई परिवारों ने बताया कि एएनएम (ANM) और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के नहीं होने से बच्चों के टीके छूट रहे हैं।

सरकार के सामने चुनौती:

हड़ताल को खत्म करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।सरकार ने जल्द निर्णायक कदम नहीं उठाए, तो आने वाले दिनों में स्वास्थ्य संकट गहरा सकता है।अभी तक सरकार और कर्मचारियों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है।

छत्तीसगढ़ में एनएचएम (NHM) कर्मचारियों की हड़ताल ने पूरे स्वास्थ्य तंत्र को हिलाकर रख दिया है।सामूहिक इस्तीफे के बाद यह आंदोलन और गंभीर हो गया है। अब देखना होगा कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए क्या कदम उठाती है, क्योंकि हर बीतते दिन के साथ आम जनता की परेशानी बढ़ती जा रही है।

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