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NV News: Rajnandgaon : मोहारा चौकी के अनन्या नवागांव में परिजन द्वारा पैसे नहीं देने पर सातवीं कक्षा की एक छात्रा और डोंगरगढ़ के बुधवारी पारा में परीक्षा की तैयारी करने की बात कहने और परिजनों द्वार मोबाइल छीनने की मामूली सी बात पर छठवीं कक्षा के एक छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
इन दोनों ही घटनाओं ने झकझोर कर रख दिया है। बच्चों की भयावह मनोदशा को दर्शाती इन घटनाओं ने समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि घर पर बच्चों को किस तरह का माहौल देना होगा। मनोरोग विशेषज्ञ और बाल संरक्षण की दिशा में काम करने वालों का कहना है कि ऐसी घटनाएं समाज के लिए चिंताजनक है।
मोहारा चौकी पुलिस के अनुसार शनिवार को अनन्या नवागांव निवासी 12 वर्षीय 7वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। मृतिका बात-बात पर गुस्सा हो जाती थी। घटना के एक दिन पहले मृतिका द्वारा बेर का फल बेचकर कमाई किए रुपए को खर्च कर डाली थी। इसके बाद मृतिका फिर से अपने परिजनों से पैसे की मांग कर रही थी। परिजनों द्वारा पैसा देने से मना करने पर बालिका ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस की प्रांरभिक जांच में यही कारण सामने आया है।
एक अप्रैल से थी परीक्षा, मोबाइल मांगने पर जान दे दी
वहीं डोंगरगढ़ के बुधवारी पारा निवासी कक्षा छठवीं में पढ़ने वाले 11 वर्षीय एक बालक ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। पुलिस के अनुसार मृतक बालक का एक अप्रैल से वार्षिक परीक्षा शुरू होने वाली थी। बालक मोबाइल देखने का शौकिन था और हमेशा मोबाइल में ही लगे रहता था। परिजनों द्वारा परीक्षा की तैयारी करने की बात कहते हुए मृतक बालक से मोबाइल मांग लिया गया। मोबाइल छीनने से आक्रोशित बालक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
बच्चों के साथ पैरेंट्स का इमोशनल अटैचमैंट नहीं होना कारण
छोटी बातों को लेकर नाबालिक बच्चों के आत्महत्या करने का मामला पिछले कुछ समय से बढ़ते जा रहा है। इस मामले को लेकर पत्रिका ने मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर शरद मनोरे से चर्चा की तो डॉक्टर ने बताया कि आज, कल पैरेंट्स द्वारा बच्चों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। बच्चों के प्रति पैरेंट्स का इमोशनल अटैचमेंट कम होने से बच्चे अपने मन से काम कर रहे हैं। डॉक्टर ने कहा कि आज के दौर में अधिकांश बच्चे मोबाइल देखने और रिल्स बनाने में व्यस्त रहते हैं। पैरेंटेस के अटैचमेंट नहीं होने से बच्चों की सहन शक्ति कम होती जा रही है और बच्चे गुस्सैल प्रवृत्ति को हो रहे हैं। इसकी वजह से छोटी से छोटी बातों पर बच्चे अपना आपा खोकर आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं।