CG News:सिल्ली बांध के खुले सभी गेट, मनमोहक नजारा देखने उमड़ी भीड़…NV News
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CG News:धमतरी जिले स्थित एशिया के पहले ऑटोमेटिक सायफन सिस्टम वाले माड़म सिल्ली बांध के सभी 24 गेट अपने आप खुल गए हैं। यह नजारा इतना मनमोहक है कि इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। इस अद्भुत इंजीनियरिंग चमत्कार की वजह से यह बांध लगातार चर्चा में रहता है।

बांध की कुल जलभराव क्षमता करीब 5.8 टीएमसी है। फिलहाल बांध में 899 क्यूसेक पानी प्रति सेकंड की आवक हो रही है, जबकि 319 क्यूसेक पानी प्रति सेकंड छोड़ा जा रहा है।जब बांध 98 प्रतिशत तक भर जाता है, तो इसके सायफन गेट अपने आप खुल जाते हैं। इसके बाद कैचमेंट एरिया से आने वाला अतिरिक्त पानी बिना किसी मानव हस्तक्षेप के सायफन के जरिए नदी में बहने लगता है। इससे बांध को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।

माड़म सिल्ली बांध की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें पानी का स्तर बढ़ने पर गेट्स खुद-ब-खुद खुलते और स्तर घटने पर बंद हो जाते हैं। यह तकनीक 100 साल से ज्यादा पुरानी है। इसे 1914 से 1923 के बीच सिलयारी नदी पर बनाया गया था। उस दौर में इतनी उन्नत इंजीनियरिंग तकनीक का इस्तेमाल करना अपने आप में बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
बांध में कुल 34 सायफन गेट लगे हैं। पानी का दबाव जैसे ही तय सीमा तक पहुंचता है, ये गेट खुल जाते हैं और पानी नहरों और नदियों की ओर बहने लगता है। यह सिस्टम पूरी तरह से ऑटोमेटिक है और इसमें किसी मशीन या बिजली की जरूरत नहीं होती। यही वजह है कि इसे देखने देश के अलग-अलग हिस्सों से इंजीनियर, शोधकर्ता और पर्यटक पहुंचते हैं।

हाल के दिनों में लगातार बारिश के कारण बांध लबालब हो गया है। गेट खुलने के बाद तेज धाराओं में बहते पानी का दृश्य बेहद आकर्षक दिखता है। कई पर्यटक यहां पिकनिक मनाने और तस्वीरें खींचने आते हैं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बांध के किनारों पर सावधानी बरतें और सुरक्षा नियमों का पालन करें।
माड़म सिल्ली बांध न केवल धमतरी जिले की जीवनरेखा है, बल्कि यह इंजीनियरिंग का ऐसा अद्भुत नमूना है जो आज भी पूरी तरह कारगर है। इसके प्राकृतिक रूप से संचालित गेट्स इसे एशिया के अनोखे बांधों में शामिल करते हैं।
