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N.V.News रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में B.Ed प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने अपनी नौकरी बचाने के लिए भाजपा प्रदेश कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद बस्तर और सरगुजा संभाग में 2855 शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने का आदेश जारी किया गया, जिससे शिक्षक आक्रोशित हो गए।
2855 शिक्षकों की नौकरी पर संकट, सरकार से मदद की गुहार:
शिक्षकों का कहना है कि अचानक सेवाएं समाप्त किए जाने से उनकी आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर राज्य सरकार ने डीएड धारकों को प्राथमिकता देते हुए B.Ed धारक सहायक शिक्षकों को नौकरी से हटाने का फैसला किया है। इससे नाराज शिक्षक अपनी नौकरी बचाने के लिए लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
गेट पर रोका गया, भावुक हुए शिक्षक:
भाजपा कार्यालय पहुंचने पर प्रदर्शनकारी शिक्षकों को गेट के बाहर ही रोक दिया गया। नाराज शिक्षकों ने गेट का ताला तोड़ने की कोशिश की और वहीं धरने पर बैठ गए। प्रदर्शन के दौरान कई शिक्षक भावुक हो गए और रोते हुए अपनी समस्याएं साझा कीं। एक शिक्षक ने कहा, “यह सरकार की गलती है, लेकिन सजा हमें दी जा रही है।”
12 दिन से प्रदर्शन और जल सत्याग्रह भी:
शिक्षक 19 दिसंबर से नवा रायपुर के धरना स्थल पर अपनी मांगों को लेकर बैठे थे। 12 दिनों तक कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने जल सत्याग्रह भी किया। बावजूद इसके, सरकार ने उनकी सेवाएं समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया।
सरकार का रुख, डीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिकता:
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के तहत प्राथमिक शिक्षकों के पदों पर डीएड धारकों को प्राथमिकता दी जा रही है। लोक शिक्षण संचालनालय के अनुसार, इन 2855 पदों पर योग्य डीएड अभ्यर्थियों को नियुक्त किया जाएगा।
शिक्षकों की मांग: समायोजन हो
प्रदर्शनकारी शिक्षक समायोजन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे भी योग्य हैं और उनकी सेवाओं को समाप्त करने के बजाय अन्य विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए। शिक्षकों ने इसे न्याय की लड़ाई बताते हुए कहा कि सरकार को उनकी आजीविका और भविष्य सुरक्षित रखने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
शिक्षकों का आंदोलन अब सरकार और राजनीतिक दलों के लिए बड़ा सवाल बन गया है। प्रदर्शनकारी उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उनकी मांगों पर सकारात्मक कदम उठाएगी और उनके भविष्य को बचाने का रास्ता निकालेगी।