CG Medical Colleges: सरकारी कॉलेज फुल,निजी में सिर्फ 20% एडमिशन…NV News

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रायपुर/(CG Medical College):छत्तीसगढ़ में मेडिकल और डेंटल स्टूडेंट्स के लिए बड़ी खबर है। प्रदेश के 14 मेडिकल और 7 डेंटल कॉलेजों में नया शैक्षणिक सत्र 22 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। इस बार तीन निजी मेडिकल कॉलेजों में 200 नई एमबीबीएस सीटें बढ़ाई गई हैं, जिससे छात्रों को अधिक अवसर मिलेंगे।
सरकारी कॉलेजों में 90% एडमिशन, निजी में केवल 20%:
पहले राउंड की काउंसलिंग पूरी होने के बाद सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 90 प्रतिशत एडमिशन हो चुके हैं। हालांकि, निजी मेडिकल कॉलेजों की स्थिति कमजोर है, जहां केवल 20 प्रतिशत छात्रों ने ही प्रवेश लिया है।
• सरकारी डेंटल कॉलेजों में 35% सीटें भरी
• निजी डेंटल कॉलेजों में सिर्फ 25% सीटों पर ही एडमिशन हुआ।
• इस वजह से कई कॉलेजों में सेशन की शुरुआत खाली क्लासरूम से होगी।
•दूसरे राउंड की काउंसलिंग खत्म, कई सीटें अब भी खाली
छत्तीसगढ़ में पहले राउंड की काउंसलिंग 23 अगस्त को पूरी हुई थी। लेकिन देशभर में बढ़ी हुई सीटों के कारण काउंसलिंग को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा। वही 13 सितंबर से शुरू हुई दूसरे राउंड की काउंसलिंग शनिवार को खत्म हो गई।इसके बाद भी प्रदेश में एमबीबीएस की 542 सीटें और बीडीएस की 396 सीटें खाली रह गई हैं।
एनएमसी (National Medical Commission) और डीसीआई (Dental Council of India) की गाइडलाइन के मुताबिक, तय तारीख पर क्लास शुरू करना अनिवार्य है। जो छात्र बाद में एडमिशन लेंगे, उन्हें पहले से पढ़ रहे स्टूडेंट्स के साथ ही समायोजित किया जाएगा। उनके लिए अलग से क्लास लगाने की योजना नहीं है।
पहले वर्ष में कोर सब्जेक्ट्स की पढ़ाई:
एमबीबीएस के पहले वर्ष (फर्स्ट ईयर) में छात्रों को एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री जैसे कोर सब्जेक्ट्स पढ़ाए जाएंगे। यही विषय मेडिकल शिक्षा की नींव होते हैं।
सीटों का वितरण,स्टेट कोटा, मैनेजमेंट और ऑल इंडिया:
छ.ग के मेडिकल कॉलेजों में सीटों का वितरण इस तरह है:-
• सरकारी कॉलेजों में 82% सीटें स्टेट कोटा के लिए होती हैं।
• निजी कॉलेजों में:
• 42.5% स्टेट कोटा
• 42.5% मैनेजमेंट कोटा
• 15% एनआरआई कोटा।
• 15% ऑल इंडिया कोटा की सीटों का काउंसलिंग दिल्ली से होती है।
• 3% सीटें सेंट्रल पूल के तहत केंद्र सरकार भरती है।
इन सीटों को भरने के लिए राज्य का चिकित्सा शिक्षा विभाग काउंसलिंग कराता है।
खाली सीटें चिंता का विषय:
हालांकि इस बार तीन निजी मेडिकल कॉलेजों में 200 नई सीटें बढ़ने से छात्रों को फायदा हुआ है, लेकिन निजी कॉलेजों में कम एडमिशन होना चिंता का कारण है। अगर स्थिति यही रही, तो कई कॉलेजों में क्लासरूम लगभग खाली रहेंगे और छात्रों को शुरुआत में सीखने का सही माहौल नहीं मिल पाएगा।
नए सेशन की शुरुआत छात्रों के लिए एक उत्साहजनक अवसर है। हालांकि सरकारी कॉलेजों में एडमिशन लगभग पूरा हो गया है, निजी कॉलेजों को अब भी बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। चिकित्सा शिक्षा विभाग का प्रयास रहेगा कि शेष सीटें जल्द से जल्द भरकर छात्रों को बेहतर पढ़ाई का वातावरण उपलब्ध कराया जा सके।