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NV News रायपुर CG Lok Sabha Chunav: एक समय हुआ करता था जब सिर्फ बैनर, पोस्टर, चुनावी रैलियां और केनवासिंग गाड़ी ही उम्मीदवारों के लिए चुनाव में प्रचार प्रसार का माध्यम हुआ करता था। लेकिन डिजिटल क्रांती के बाद यह अवधारणा के बाद बदल गई। इंटनेट मीडिया के उपयोग को देखते हुए इसके प्रमुख माध्यम जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स मीडिया (ट्वीटर) भी चुनावी अखाड़ा बन गया है, जहां राजनैतिक पार्टियां एक दूसरे पर हमला करती है। इन सबमें कार्टून वार (लड़ाई) में बाण की तरह कार्य करता है। इंटरनेट मीडिया पर चुनावी मैदान पर उतरी पार्टियों के कार्टून वार पर जनता की नजर रहती है, साथ ही लोगों के टिप्पणी कार्टून वार में देखने मिल रही है।
भाजपा के पोस्ट पर यूजर ने लिखा 15 साल मोदी, 15 साल योगी
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के पैसे नहीं होने के कारण चुनाव नहीं लड़ने भाजपा प्रदेश के फेसबुक पर कार्टून जारी किया गया जिसमें कांगेस के दूसरे नेता टीएस बाबा को कह रहे हैं, कि माने कि सब्बो माल ल कका झिक दिस।
इस पोस्ट पर एक यूजर ने लिखा है कि कांग्रेस पार्टी का तो अकाउंट ही फ्रीज हो गया तो क्या चुनाव लड़ेंगे। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस के घोषणा पत्र में मातृ शक्ति को आठ हजार रूपये देने की घोषणा पर कार्टून वार के माध्यम से कटाक्ष करते हुए भाजपा ने कहा कि अउ अब ये घोटालेबाज कथे जम्मो माई लोगिन ला हर माह आठ हजार देबों, अब्बड़ लबरा हे। इस पर एक यूजर ने लिखा है कि 15 साल मोदी और 15 साल योगी।
कांग्रेस का फेसबुक पर जवाबी हमला, कहा- जिनको महंगाई नहीं दिख रहा वह अंधभक्त
छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी के आफिसियल फेसबुक चैनल पर एक कार्टून कुछ दिन पहले जारी किया गया था, जिसमें एक मरीज और डाक्टर को दिखाया गया है। इसमें मरीज डाक्टर को बताता है कि मुझे महंगाई, बेरोजगारी, पेट्रोल के बढ़ते दाम सब दिखाई देना बंद हो गए हैं। मुझे क्या हुआ है?
इसपर डाक्टर मरीज को बताता है कि तुम्हें अंधभक्ति वाली रोग हो गई है। वहीं प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी के बस्तर दौरे से पहले एक और कार्टून पोस्टर जारी किया गया था जिसमें कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि प्रधानमंत्री झूठ बोलते हैं और आंसू टपकाते हैं। एक अप्रैल को कार्टून जारी कर पार्टी ने लिखा था कि – एक दिन मूर्ख बनाने के लिए अप्रैल फुल और पांच साल मूर्ख बनाने के लिए कमल का फुल।
योजनाओं का इंटरनेट मीडिया में प्रचार
घर बैठे लोगों तक पहुंचने का इंटरनेट मीडिया एक सशक्त माध्यम बन चुका है। यहां रील, वीडियों और फोटो फार्मेट के माध्यम से राजनीतिक पार्टियां कम समय में लोगों तक पहुंच रही है। हालांकि भ्रामक जानकारी भी इंटरनेट मीडिया में जमकर वायरल होती है। इसके लिए निर्वाचन आयोग द्वारा लोगों को सचेत किया जा रहा है।