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रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3,200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है। ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने मंगलवार को कोर्ट में 115 पन्नों की पूरक चार्जशीट समरी पेश की, जिसमें इस घोटाले की परतें खुलती नजर आईं। इसमें बताया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी कारोबारी विजय भाटिया और सीए संजय मिश्रा ने रिश्तेदारों के नाम पर डमी डायरेक्टर बनाकर करोड़ों का कमीशन खींचा।
कैसे चला घोटाले का नेटवर्क?:
जांच में सामने आया कि आबकारी विभाग, शराब कारोबारी और कुछ अफसरों की मिलीभगत से 2019 से 2023 तक राज्य में समानांतर शराब कारोबार खड़ा किया गया। नई लाइसेंस प्रणाली और नीति बदलाव के जरिए सप्लायर कंपनियों की संख्या घटाई गई ताकि कमीशन वसूली आसान हो सके।
वर्ष 2019-20 में जहां 60 कंपनियां 266 ब्रांड सप्लाई करती थीं, वहीं 2022-23 में यह घटकर 39 कंपनियां और 216 ब्रांड रह गईं। कमी हुई ब्रांड लिस्ट और सिमित कंपनियों से मोटा कमीशन वसूला गया।
भाटिया ने रिश्तेदारों के नाम से कमाए करोड़:
भिलाई के कारोबारी विजय भाटिया ने ओम साईं कंपनी के जरिए लगभग 14.21 करोड़ रुपये का कमीशन लिया। जांच रिपोर्ट के अनुसार, भाटिया ने करीबी टी. भुनेश्वर राव, रवि कौरा और सागर अरोरा को डायरेक्टर बनाकर कंपनी चलाई। कंपनी को तीन साल में करीब 27 करोड़ का मुनाफा हुआ, जिसमें से आधा हिस्सा भाटिया ने रख लिया।
पैसे सीधे खाते में न जाकर महक लेखवानी, मयंक गोदवानी, श्रवण लेखवानी, भजनलाल लेखवानी, सागर अरोरा, प्रवीण गोदवानी, कविता अडानी, सरला केशवानी, सुशील कुकरेजा और जुगल अडानी जैसे परिचितों के खातों में पहुंचाए गए। बाद में इन रकमों को पत्नी मोनिका, बेटे विशाल और रिश्तेदारों के नाम से निवेश किया गया।
सीए संजय मिश्रा का कमीशन जाल:
सीए संजय मिश्रा ने नेक्सजेन पावर इंजिटेक कंपनी बनाई और भाई मनीष मिश्रा व अभिषेक सिंह को नाम मात्र का डायरेक्टर दिखाया। कंपनी में पत्नी वंदना, पिता सुभाष चंद्र, भाई आशीष और अभिषेक की पत्नी प्रियंका सिंह समेत कई को कर्मचारी बताकर करोड़ों का भुगतान कराया।
• मनीष को 1.08 करोड़
• वंदना को 43.76 लाख
• सुभाष चंद्र को 25 लाख
• आशीष को 1.01 करोड़
• अभिषेक को 56.48 लाख
• प्रियंका को 47.42 लाख
तीन सालों में इन कंपनियों ने 27.08 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया।
नीति व्हाट्सएप से तय होती थी:
चार्जशीट के मुताबिक, तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरुणपति त्रिपाठी शराब नीति का मसौदा सबसे पहले कारोबारी अनवर ढेबर को वाट्सएप पर भेजते थे। उनकी सहमति मिलने के बाद ही नीति लागू होती थी। यानी सिंडिकेट के इशारे पर सरकारी नीतियां बदली जाती थीं।
किसे मिला कितना फायदा? :
• ओम साईं डिस्ट्रीब्यूटर्स: 734.57 करोड़ (2020-23)
• नेक्सजेन बाटल प्राइवेट लिमिटेड: 435.16 करोड़
• मिश्रा कंट्री प्राइवेट लिमिटेड: 627.45 करोड़
तीनों कंपनियों ने उपभोक्ताओं से 451.53 करोड़ रुपये अतिरिक्त वसूले।
तीन वर्षों में लाभ:
• 2020-21: 49.21 करोड़
• 2021-22: 82.53 करोड़
• 2022-23: 116.75 करोड़
• कुल लाभ: 248.50 करोड़ से ज्यादा
लाइसेंस सिस्टम से बढ़ा घोटाला:
एफएल-10ए और 10-बी लाइसेंस लागू करके बाजार पर कब्जा किया गया। इससे न सिर्फ प्रतिस्पर्धा घटी, बल्कि आपूर्तिकर्ताओं से कमीशन लेना आसान हुआ।
• शराब घोटाले ने न सिर्फ सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया, बल्कि सरकारी सिस्टम और निजी नेटवर्क की साजिश को भी उजागर कर दिया। कोर्ट में मामला लंबित है और अब देखना होगा कि इस घोटाले में शामिल बड़े नामों पर कानूनी शिकंजा कब कसेगा।