CG Liquor Scam: नेता- अफसर सलाखों के पीछे, डिस्टिलरी अब भी बेखौफ…NV News

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रायपुर/(CG Liquor Scam): छत्तीसगढ़ के चर्चित 3,200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच में बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। घोटाले के मुख्य आरोपी पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल, अधिकारी अनिल टूटेजा और शराब सिंडिकेट के सरगना अनवर ढेबर जैसे बड़े नाम तो जेल में हैं, लेकिन घोटाले की असली जड़ कहे जाने वाले डिस्टिलरी संचालकों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
दरअसल,सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) को क्रमशः दो और तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने साफ कहा है कि, जांच एजेंसियां पक्षपात न करें और लाभ लेने तथा देने वाले सभी आरोपितों पर कार्रवाई करें। इसके बावजूद शराब सप्लाई करने वाली कंपनियां बेखौफ अपना काम जारी रखे हुए हैं।
घोटाले के केंद्र में 8 डिस्टिलरी:
ईडी की एफआईआर में वेलकम डिस्टलरी, भाटिया वाइन मर्चेंट, छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, नेक्स्ट जोन, दिशिता वेंचर्स, ओम साईं बेवरेज, सिद्धार्थ सिंघानिया और मेसर्स टॉप सिक्योरिटी को आरोपित बनाया गया है।चार्जशीट के अनुसार, इन डिस्टिलरियों ने 2019 से 2023 के बीच 3.48 करोड़ से ज्यादा शराब पेटियां बेचीं।
• शराब बिक्री से 1920 करोड़ रुपये की कमाई की।
• सिंडिकेट को 319 करोड़ रुपये कमीशन दिया।
• 40 लाख पेटियां नकली होलोग्राम के साथ बेची गईं, जिससे सिंडिकेट ने अलग से 1660 करोड़ रुपये की कमाई की।
• चौंकाने वाली बात यह है कि भाजपा सरकार में भी इन्हीं कंपनियों से शराब की सप्लाई जारी है।
बड़े नाम जेल में, कंपनियां बाहर:
वर्तमान में अनवर ढेबर, कवासी लखमा, चैतन्य बघेल और विजय भाटिया समेत कई आरोपी रायपुर जेल में बंद हैं। सभी की जमानत याचिकाएं अदालतों ने खारिज कर दी हैं। आरोपियों ने वकीलों के माध्यम से कोर्ट में दावा किया है कि जांच एजेंसी सिर्फ नेताओं और अफसरों को टारगेट कर रही है, जबकि असली लाभ लेने वाले डिस्टिलरी मालिकों को बचाया जा रहा है।
सिंडिकेट की कमाई का बड़ा खेल:
• कांग्रेस सरकार के दौरान बनाए गए शराब सिंडिकेट ने चार साल में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा कमीशन लिया।
• शराब कंपनियों ने इससे 1920 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की।
• सिंडिकेट और डिस्टिलरी के गठजोड़ से नकली शराब और होलोग्राम के जरिए भारी भ्रष्टाचार हुआ।
जांच एजेंसियों पर सवाल:
ईडी ने कोर्ट के आदेश पर डिस्टिलरी कंपनियों को एफआईआर में आरोपित बनाया, लेकिन ईओडब्ल्यू अब तक कार्रवाई से बच रही है।
वरिष्ठ अधिवक्ता फैजल रिजवी का कहना है, “कानून किसी को परेशान करने का हथियार नहीं होना चाहिए। जांच निष्पक्ष होनी चाहिए और हर आरोपी पर समान कार्रवाई होनी चाहिए।”वहीं, अधिवक्ता नीलेश ठाकुर ने कहा, “डिस्टिलरी संचालकों की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं। जांच एजेंसियों को इन्हें भी सख्ती से घेरना चाहिए।”
आगे की सुनवाई अक्टूबर में:
सुप्रीम कोर्ट ने ईओडब्ल्यू को दिसंबर 2025 तक और ईडी को नवंबर 2025 तक जांच पूरी करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर 2025 में होगी। फिलहाल शराब सप्लाई जारी रहने से साफ है कि घोटाले की जड़ पर अभी भी चोट नहीं पहुंची है।
छत्तीसगढ़ में यह घोटाला न केवल नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत का पर्दाफाश करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि बिना डिस्टिलरी कंपनियों की भूमिका के इतना बड़ा खेल संभव नहीं। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की तय समयसीमा पर हैं कि क्या वाकई जांच पूरी होकर असली दोषियों तक पहुंच पाएगी या मामला फिर से अधूरा रह जाएगा।