CG Liquor Scam: शराब सिंडिकेट का पर्दाफाश! 6 नए चेहरों पर EOW का शिकंजा…NV News
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रायपुर/(CG Liquor Scam): छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए विशेष न्यायालय में करीब 7000 पन्नों की छठवीं पूरक चार्जशीट दाखिल की है। इस नई चार्जशीट में तत्कालीन आबकारी आयुक्त व सचिव निरंजन दास सहित छह आरोपियों को घोटाले का प्रमुख लाभार्थी और सक्रिय भूमिका निभाने वाला बताया गया है।इस घोटाले में अब तक 50 आरोपितों के खिलाफ चालान पेश किया जा चुका है और जांच अभी भी जारी है।
निरंजन दास पर सीधा आरोप, तीन साल में 16 करोड़ की अवैध कमाई:
चार्जशीट के अनुसार, तत्कालीन आबकारी आयुक्त एवं सचिव निरंजन दास ने अपनी तीन साल की पदस्थापना अवधि में आबकारी नीति और अधिनियम में ऐसे बदलाव किए, जिनसे सक्रिय सिंडिकेट को भारी फायदा पहुंचा।
EOW की जांच में सामने आया कि-
• दास ने विभागीय टेंडरों में हेरफेर कराई।
• नियमों में ऐसे संशोधन किए जो खास व्यक्तियों और सिंडिकेट को लाभ पहुंचाते थे।
• बदले में उन्हें प्रति माह 50 लाख रुपये तक की अवैध हिस्सेदारी मिलती थी।
जांच में उनके वित्तीय लेन-देन से कम से कम 16 करोड़ रुपये की अवैध आय का पता चला है, जिसका उपयोग उन्होंने और उनके परिजनों ने अचल संपत्तियों में निवेश के रूप में किया। EOW को आशंका है कि, यह राशि जांच आगे बढ़ने के बाद और बड़ी साबित हो सकती है।
एफएल-10 ए प्रणाली से 530 करोड़ की राजस्व हानि:
कांग्रेस सरकार के दौरान 2020 में लागू की गई एफएल-10ए लाइसेंस व्यवस्था को नई आबकारी नीति का हिस्सा बताया गया था। उद्देश्य था कि,विदेशी शराब की उपलब्धता बनी रहे और सप्लाई सुचारू रहे, लेकिन EOW की जांच ने इस व्यवस्था को घोटाले का बड़ा हथियार बताया है।
जांच में सामने आया कि-
• इस दोषपूर्ण सिस्टम के जरिए विदेशी मदिरा प्रदाता कंपनियों से अवैध कमीशन वसूला जाता था।
• राज्य सरकार को इस कारण लगभग 530 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ।
• इसमें आरोपी अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा पर कंपनियों और सिंडिकेट के बीच बिचौलिए की भूमिका निभाने का आरोप सिद्ध हुआ है। इनके जरिए कमीशन की बड़ी रकम सिंडिकेट तक पहुंचाई जाती थी।
• साथ ही ओम साई बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड को भी लगभग 114 करोड़ रुपये का अवैध लाभ पहुंचने के प्रमाण मिले हैं।
पुरोहित पिता-पुत्र ने हवाला से 1,000 करोड़ रुपये घुमाए:
चार्जशीट का बड़ा हिस्सा कारोबारी अनवर ढेबर के भरोसेमंद सहयोगी नितेश पुरोहित और उनके बेटे यश पुरोहित की भूमिका पर केंद्रित है।
EOW ने पता लगाया कि-
• दोनों ने हवाला नेटवर्क के जरिए 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि विभिन्न स्थानों पर पहुंचाई।
• रायपुर के होटल गिरिराज को सिंडिकेट द्वारा वसूली गई रकम छुपाने और प्रबंधन करने के केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
• पुरोहित पिता-पुत्र सिंडिकेट की नकद वसूली को जमा करने, संभालने और आगे भेजने में मुख्य भूमिका निभाते थे।
अनवर ढेबर का मैनेजर दीपेन चावड़ा भी बड़ा खिलाड़ी:
EOW की चार्जशीट में होटल वेलिंग्टन कोर्ट के मैनेजर दीपेन चावड़ा को भी इस सिंडिकेट का प्रमुख सदस्य बताया गया है।जांच में उजागर हुआ कि-
• वह सिंडिकेट की बड़ी रकम शीर्ष स्तर के व्यक्तियों तक पहुंचाता था।
• हवाला के जरिए करोड़ों रुपये के लेन-देन का संचालन करता था।
• AJS Agro में डायरेक्टर रहते हुए सिंडिकेट की अवैध कमाई से करोड़ों रुपये की जमीन में निवेश किया।
• फरवरी 2020 में आयकर विभाग की रेड के बाद उसने सिंडिकेट के लिए 1,000 करोड़ से अधिक कैश और गोल्ड को सुरक्षित रखने और आगे भेजने का काम किया।
• अन्य विभागों से होने वाली अवैध वसूली को भी चावड़ा ही इकट्ठा कर आगे पहुंचाता था।
एफएल-10 ए क्या है?:
नई आबकारी नीति के तहत शुरू की गई इस प्रणाली में विदेशी शराब के लाइसेंसधारी (FL-10A) अपने पंजीकृत सप्लायर से मदिरा को सीधे CSBCL के गोदामों में जमा करते थे। वहीं से उसकी सप्लाई की जाती थी।EOW के अनुसार, इसी सिस्टम का उपयोग कर सिंडिकेट ने कमीशन वसूली का बड़ा नेटवर्क तैयार किया।
