“CG Liquor Scam”: कोर्ट से गायब 28 अफसर,अगली सुनवाई 26 अक्टूबर…NV News 

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Raipur (CG): छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में बुधवार को एक बार फिर बड़ा ड्रामा देखने को मिला। विशेष न्यायाधीश (ईओडब्ल्यू कोर्ट) की सुनवाई में उपस्थित होने का आदेश दिए जाने के बावजूद 28 आरोपी आबकारी अधिकारी अदालत में पेश नहीं हुए। गिरफ्तारी की आशंका के चलते किसी ने हाजिरी नहीं दी।

इस गैरहाजिरी को अदालत ने गंभीरता से लेते हुए सभी अधिकारियों के खिलाफ 500-500 रुपये का जमानती वारंट जारी किया है। अब मामले की अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को तय की गई है।

अधिकारियों की गैरहाजिरी पर कोर्ट सख्त:

ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने इस मामले में चालान पहले ही पेश कर दिया है और हाईकोर्ट आरोपी अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर चुका है। बावजूद इसके, अदालत में पेश न होकर अधिकारियों ने गिरफ्तारी से बचने की कोशिश की।

कोर्ट ने कहा कि यह आचरण न्यायिक प्रक्रिया का अपमान है और ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई जरूरी है। इसी कारण 500 रुपये का जमानती वारंट जारी कर दिया गया है, ताकि अगली सुनवाई में अधिकारी हाजिर हों।

किन-किन अधिकारियों पर वारंट?:

जिन अधिकारियों पर जमानती वारंट जारी हुआ है उनमें प्रमोद नेताम, नीतू नोतानी, एलएस ध्रुव, इकबाल अहमद खान, जनार्दन सिंह कौरव, अरविंद पाटले, दिनकर वासनिक, नोहर ठाकुर, नवीन तोमर, विकास गोस्वामी, रामकृष्ण मिश्रा, मंजूश्री कसेर, विजय सेन, मोहित जायसवाल, गंभीर सिंह नुरूटी, नीतिन खंडूजा, अश्वनी अनंत, अनंत सिंह, सोनल नेताम, गरीब पाल सिंह, सौरभ बक्शी, जेठूराम मंडावी, देवलाल वैद्य, प्रकाश पाल, आशीष कोसम और राजेश जायसवाल शामिल हैं।इन अधिकारियों पर आरोप है कि वे शराब सिंडिकेट का हिस्सा बने और इसके जरिए करोड़ों की कमाई की।

घोटाले में कमीशन का बड़ा खेल:

ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट के अनुसार, 3200 करोड़ के घोटाले में अधिकारियों को 88 करोड़ रुपये से ज्यादा का कमीशन मिला था। शराब सिंडिकेट ने सरकारी सिस्टम में गहरी पैठ बनाकर मनमानी की और इससे राज्य सरकार को भारी नुकसान पहुंचा।इस मामले में अब तक 15 आरोपी जेल में बंद हैं, जबकि बाकी आरोपी कोर्ट और गिरफ्तारी से बचने की जुगत में हैं।

सरकार ने 22 अधिकारियों को किया सस्पेंड:

इस घोटाले से जुड़े 29 अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इनमें से एक अधिकारी की मौत हो चुकी है और छह अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वर्तमान में कार्यरत 22 आबकारी अधिकारियों को राज्य सरकार ने निलंबित (सस्पेंड) कर दिया है।

जांच एजेंसियों का दावा है कि सिंडिकेट में सक्रिय अधिकारियों ने न केवल गड़बड़ी की बल्कि कमीशन की रकम से आलीशान जीवनशैली भी बनाई।

अगली सुनवाई पर टिकी नजर:

अब पूरे प्रदेश की निगाहें 26 अक्टूबर की अगली सुनवाई पर हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार सभी अधिकारी कोर्ट में हाजिर होंगे या फिर गिरफ्तारी से बचने के लिए नई रणनीति अपनाएंगे।ईओडब्ल्यू(EOWU) ने साफ शब्दों में कहा है कि,आरोपी चाहे कितनी भी चालाकी करें, कानून के शिकंजे से बच नहीं पाएंगे।

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