CG Janani Suraksha Yojana stalled: 50 हजार महिलाएं राशि से वंचित…NV News

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NV news रायपुर/(CG Janani Suraksha Yojana stalled): छत्तीसगढ़ में गर्भवती महिलाओं के लिए चलाई जा रही जननी सुरक्षा योजना इन दिनों संकट में फंस गई है। पिछले तीन महीनों से प्रदेश की लगभग 50 हजार महिलाएं इस योजना की सहायता राशि से वंचित हैं। नियम के मुताबिक प्रसव के सात दिन के भीतर महिलाओं के खातों में राशि पहुंचनी चाहिए, लेकिन प्रदेश में भुगतान की प्रक्रिया ठप पड़ी है।
रायपुर जिले में ही तीन महीनों में 6200 प्रसव हुए, जिनमें 2200 महिलाएं अब तक बैंकों और अस्पतालों के चक्कर लगा रही हैं। कई महिलाएं दवाइयों और बच्चों के पोषण के लिए उधार लेने को मजबूर हैं।
केंद्र से आया फंड, राज्य में फंसी फाइलें:
वित्तीय वर्ष 2025-26 में केंद्र सरकार ने योजना के लिए 55.85 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। योजना का लक्ष्य इस साल 6.81 लाख महिलाओं को लाभ देना है।अप्रैल से अगस्त तक प्रदेश में 1.47 लाख प्रसव हो चुके हैं, लेकिन उनमें से 50 हजार से ज्यादा महिलाओं को राशि नहीं मिली।
जिला अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने भुगतान की डिमांड राज्य सरकार को भेज दी है, लेकिन फाइलें मंत्रालय में अटकी पड़ी हैं। नतीजा यह है कि केंद्र से पैसा आने के बावजूद यह महिलाओं तक नहीं पहुंच पा रहा।
योजना का उद्देश्य और हकीकत:
जननी सुरक्षा योजना का उद्देश्य संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करना है।
ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपये:
शहरी महिलाओं को 1000 रुपये यह राशि प्रसव के बाद पोषण, दवाइयों और नवजात शिशु की देखभाल के लिए दी जाती है।
महिलाओं की परेशानी, खाते अब भी खाली:
• सीमा साहू, गुढ़ियारी निवासी, ने दिसंबर 2024 में बेटी को जन्म दिया। नर्स ने सात दिन में राशि आने का भरोसा दिया था, लेकिन तीन महीने बाद भी खाते में पैसा नहीं आया।
• ममता निषाद, धरसींवा निवासी, ने तीन महीने पहले बच्चे को जन्म दिया। दवाइयों और दूध के लिए उन्हें रिश्तेदारों से उधार लेना पड़ रहा है।
• स्वास्थ्य विभाग के ही एक कर्मचारी की पत्नी को भी राशि नहीं मिली। कर्मचारी रोज अफसरों के चक्कर लगा रहा है, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता है।
लक्ष्य और जमीनी हकीकत:
बिंदु आंकड़े:- सालाना लक्ष्य 6.81 लाख महिलाएं
• अप्रैल-अगस्त प्रसव 1.47 लाख
• भुगतान से वंचित महिलाएं 50 हजार+
• रायपुर में प्रसव 6200
• स्वीकृत राशि (केंद्र) 55.85 करोड़
• ग्रामीण महिला को लाभ 1400 रुपये
• शहरी महिला को लाभ 1000 रुपये
• भुगतान की समय सीमा 7 दिन के भीतर
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना केवल पैसा बांटने का साधन नहीं, बल्कि मातृत्व शक्ति को सशक्त करने और नवजात को कुपोषण से बचाने की एक महत्वपूर्ण पहल है। “सरकार को इसे टॉप प्रायोरिटी में लेकर तुरंत भुगतान करना चाहिए। देरी से योजना अपने असली उद्देश्य से भटक जाएगी।“-बी.के.एस., रिटायर्ड IAS और स्वास्थ्य विशेषज्ञ
अधिकारियों और मंत्री का बयान:
• डॉ. मिथिलेश चौधरी, सीएमएचओ रायपुर “फंड की कमी के कारण भुगतान अटका है। राज्य स्तर पर डिमांड भेज दी गई है। फंड मिलते ही राशि जारी की जाएगी।”
• श्यामबिहारी जायसवाल, स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़“मैं जांच कराऊंगा कि देरी क्यों हुई। जल्द ही राशि जारी करने का निर्देश दूंगा।”
योजना का मकसद गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव और बच्चे की देखभाल में मदद करना है। लेकिन राज्य स्तर पर भुगतान में देरी से महिलाएं आर्थिक संकट में फंस रही हैं। अगर सरकार ने तुरंत कदम नहीं उठाए, तो योजना का भरोसा और उसका असली उद्देश्य दोनों खतरे में पड़ सकते हैं।