CG Health Department: डायबिटीज की दवा बैन,गुणवत्ता पर उठे सवाल…NV News 

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रायपुर/(CG Health Department): छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में मधुमेह (डायबिटीज) के मरीजों को दी जाने वाली दवा मेटफार्मिन 500 मिलीग्राम और ग्लिमिप्राइड 2 मिलीग्राम पर एक बार फिर से रोक लगा दी गई है। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने दवा की गुणवत्ता पर संदेह जताते हुए सभी जिलों को इसके वितरण पर तत्काल रोक के निर्देश दिए हैं। साथ ही संबंधित बैच का शेष स्टॉक रायपुर स्थित औषधि भंडार में वापस मंगाया गया है।

दरअसल,यह फैसला राज्य दवा निगम द्वारा 31 अक्टूबर को जारी निर्देश के बाद लिया गया है। यह रोक हीलर्स लैब कंपनी द्वारा निर्मित बैच नंबर MGC-506 (निर्माण तिथि जुलाई 2024, एक्सपायरी जून 2026) की दवाओं पर लगाई गई है। विभाग को रायपुर और बलौदाबाजार जिलों से इस बैच की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद जांच प्रक्रिया शुरू की गई।

गुणवत्ता पर उठे सवाल, विभाग हुआ सख्त:

जानकारी अनुसार, रायपुर और बलौदाबाजार के स्वास्थ्य केंद्रों से मरीजों और चिकित्सकों ने इस दवा के असर पर सवाल उठाए थे। रिपोर्ट में बताया गया कि, कुछ मरीजों में दवा के अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे थे, जिसके चलते यह मामला गंभीरता से लिया गया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने दवा निगम के माध्यम से राज्यभर के सभी सरकारी अस्पतालों, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को इस दवा का वितरण रोकने के निर्देश जारी किए।

दवा निगम के अधिकारियों ने स्पष्ट कहा है कि,यह निर्णय सुरक्षा के दृष्टिकोण से एहतियातन कदम है।वही दवा के नमूने तकनीकी जांच के लिए भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने तक इसके उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा।

स्वास्थ्य अधिकारियों को जारी हुए सख्त निर्देश:

राज्यभर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CMHO), सिविल सर्जनों, खंड चिकित्सा अधिकारियों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सकों को आदेश दिया गया है कि, वे तुरंत उक्त बैच की दवाओं का वितरण बंद करें। साथ ही जो स्टॉक अस्पतालों में मौजूद है, उसे जल्द से जल्द रायपुर के केंद्रीय औषधि भंडार में वापस करें।

निर्देश में यह भी कहा गया है कि, किसी भी मरीज को इस बैच की दवा न दी जाए और यदि पहले से वितरण हुआ है तो उसकी रिपोर्ट तैयार की जाए। विभाग ने यह भी साफ किया है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि दवा को दोबारा वितरण सूची में शामिल किया जाए या नहीं।

पहले भी लग चुकी है रोक:

यह पहली बार नहीं है जब इस दवा पर रोक लगाई गई हो। विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान भी राज्य में इसी दवा पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया गया था। उस समय भी कई जिलों से गुणवत्ता और दुष्प्रभाव से संबंधित शिकायतें सामने आई थीं। जांच के बाद दवा को वितरण सूची से हटा दिया गया था।

डॉक्टरों के अनुसार, मेटफार्मिन और ग्लिमिप्राइड का संयोजन मधुमेह के मरीजों में रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) नियंत्रित करने के लिए लंबे समय से उपयोग में है। यह दवा टाइप-2 डायबिटीज वाले मरीजों के लिए प्रभावी मानी जाती है। हालांकि, यदि किसी विशेष बैच में गुणवत्ता संबंधी समस्या आती है, तो सुरक्षा की दृष्टि से उसका उपयोग रोकना आवश्यक होता है।

मरीजों के लिए अस्थायी असुविधा:

दवा पर रोक से फिलहाल सरकारी अस्पतालों से इलाज करा रहे डायबिटीज मरीजों को कुछ असुविधा हो सकती है। स्वास्थ्य विभाग ने वैकल्पिक दवाओं के उपयोग की सलाह दी है ताकि मरीजों का उपचार प्रभावित न हो। कई जिलों के अस्पतालों में अन्य ब्रांड की दवाएं पहले से उपलब्ध हैं, जिन्हें फिलहाल प्राथमिकता दी जा रही है।

विभाग ने दी सफाई:

रायपुर स्थित राज्य औषधि निगम के महाप्रबंधक रीतेश अग्रवाल ने कहा, “यह निर्णय पूरी तरह सुरक्षा के दृष्टिकोण से लिया गया है। प्राथमिक जांच में दवा की गुणवत्ता संदिग्ध पाई गई है। परीक्षण रिपोर्ट आने तक इसका उपयोग पूरी तरह बंद रहेगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि,यदि जांच में दवा की गुणवत्ता ठीक पाई जाती है तो प्रतिबंध हटाया जा सकता है, लेकिन अगर खामियां साबित होती हैं तो कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

राज्य स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट कहा है कि, मरीजों की सुरक्षा सर्वोपरि है। किसी भी दवा की गुणवत्ता पर समझौता नहीं किया जाएगा। विभाग ने जिलों को सतर्क रहने, सभी दवा स्टॉक की नियमित जांच करने और संदिग्ध दवाओं की तुरंत रिपोर्ट करने के निर्देश दिए हैं।

मधुमेह जैसी गंभीर बीमारी से जुड़े उपचार में किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचने के लिए यह कदम एहतियाती और जिम्मेदार माना जा रहा है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि मरीजों को यह दवा दोबारा उपलब्ध कराई जाएगी या नहीं।

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