CG hate speech controversy: अमित बघेल की गिरफ्तारी याचिका खारिज, पढ़ें पूरी खबर…NV News
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बिलासपुर/(CG hate speech controversy): छत्तीसगढ़ के राजनीतिक माहौल में नया मोड़ तब आया जब जोहार पार्टी प्रमुख और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के अध्यक्ष अमित बघेल की गिरफ्तारी को लेकर हाई कोर्ट में दायर याचिका को डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया। याचिका में बघेल पर लगातार भड़काऊ बयान देने, विशेष समुदायों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने और राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई न करने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि, आपराधिक जांच में न्यायालय का हस्तक्षेप उचित नहीं है और न ही किसी आरोपित की गिरफ्तारी का आदेश दिया जा सकता है।
रायपुर के अवंती विहार निवासी अमित अग्रवाल ने यह याचिका दायर की थी। उनका आरोप था कि,बघेल लगातार सिंधी, जैन और अग्रवाल समुदाय को निशाना बनाकर विवादित बयान दे रहे हैं, लेकिन प्रशासन कार्रवाई करने में ढिलाई बरत रहा है। कोर्ट ने इन दलीलों पर सुनवाई के बाद कहा कि, जांच की निगरानी, गिरफ्तारी के निर्देश या जांच की रणनीति तय करना अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। ऐसा करना आपराधिक प्रक्रिया में सूक्ष्म स्तर पर हस्तक्षेप माना जाएगा। इसलिए याचिका निरस्त कर दी गई।
इस मामले में अमित बघेल की मुश्किलें पहले से ही बढ़ी हुई हैं। उनके खिलाफ अब कुल 12 FIR दर्ज हो चुकी हैं। नई FIR कर्नाटक के बेंगलुरु में डिफेंस कॉलोनी, इंदिरानगर निवासी रामकृष्ण पी की शिकायत पर दर्ज की गई है। इससे पहले रायपुर, दुर्ग, जगदलपुर, सरगुजा, रायगढ़, धमतरी, इंदौर, ग्वालियर, नोएडा, महाराष्ट्र और प्रयागराज में भी उनके खिलाफ मामले दर्ज हैं।
पुलिस ने बघेल के फरार होने के बाद उन पर पांच हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है। पुलिस का कहना है कि,सूचना देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
पूरा विवाद 26 अक्टूबर 2025 को शुरू हुआ था, जब रायपुर के VIP चौक पर स्थापित छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति क्षतिग्रस्त मिली। इसके बाद क्रांति सेना के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और पुलिस से झड़प तक हो गई। बाद में आरोपित मनोज को गिरफ्तार किया गया, जिसे परिवार ने मानसिक रूप से अस्वस्थ बताया। उसका इलाज बिलासपुर के सेंदरी मानसिक चिकित्सालय और रांची में पहले भी हो चुका है।
मामले में राजनीति, समुदाय विशेष पर बयानबाजी और मूर्ति विवाद-तीनों ने मिलकर प्रदेश में तनाव का माहौल बना दिया है। हालांकि हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि, अब आगे की कार्रवाई पुलिस और जांच एजेंसियों पर ही निर्भर करेगी।
