CG Government Attendance Scam: हाजिरी सरकारी स्कूल में, पढ़ाने निजी में- छात्रा की मौत में बड़ा खुलासा…NV News
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बिलासपुर/(CG Government Attendance Scam): सीता देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, नेवसा की कक्षा 9वीं की छात्रा पूनम रजक की आत्महत्या के मामले में हुई विभागीय जांच ने कई चौंकाने वाली सच्चाइयाँ सामने ला दी हैं। जांच टीम द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ है कि, छात्रा को प्रताड़ित करने के आरोपित शिक्षक रमेश साहू एलबी न केवल शासकीय सेवा नियमों का उल्लंघन कर रहे थे, बल्कि सरकारी नौकरी करते हुए अपने भाई के निजी स्कूल का संचालन भी संभाल रहे थे। हैरान करने वाली बात यह भी है कि, जिस निजी स्कूल में वे समय बिताते थे, उसकी प्राचार्य उनकी पत्नी अंजना साहू हैं।
सरकारी स्कूल में सिर्फ हाजिरी, पढ़ाने निजी स्कूल में:
जांच टीम ने गवाहों के बयान दर्ज करते हुए पाया कि, रमेश साहू अपनी सरकारी पदस्थापना-पूर्व माध्यमिक शाला कडरी, रतनपुर-में रोजाना केवल हाजिरी लगाते थे और थोड़ी देर बाद अपने भाई के निजी स्कूल पहुंच जाते थे। यह व्यवहार सीधा-सीधा सिविल सेवा आचरण नियम 1965-66 का उल्लंघन बताया गया है। इससे शिक्षा व्यवस्था और सरकारी अनुशासन दोनों पर सवाल उठते हैं।
पत्नी प्राचार्य, भाई संचालक… पूरा परिवार जुड़ा था संस्थान से:
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि, नेवसा स्थित सीता देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और बीआर साव महाविद्यालय का वास्तविक संचालन रमेश साहू के भाई उमेश कुमार साहू करते हैं, जबकि स्कूल की प्राचार्य उनकी पत्नी अंजना साहू हैं। इस तरह पूरा परिवार निजी संस्थान को चला रहा था, जबकि रमेश एक सरकारी शिक्षक के पद पर थे। नियमों के अनुसार, कोई भी सरकारी शिक्षाकर्मी किसी निजी शैक्षणिक संस्था का संचालन या प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से उनमें शामिल नहीं हो सकता।
टीम की जांच का सबसे गंभीर निष्कर्ष यह रहा कि,छात्रा पूनम रजक को मारपीट, अपमान और मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा था। 22 सितंबर को हुई घटना में आरोप है कि, स्कूल में शिक्षक रमेश साहू और उसके साथियों द्वारा की गई मारपीट से आहत होकर छात्रा ने आत्मघाती कदम उठाया।
जांच टीम ने मृतका के परिवारजनों, सहपाठियों और घटना के दौरान मौजूद अन्य छात्रों के बयान दर्ज किए। इन बयानों में लगातार यह सामने आया कि,घटना के समय शिक्षक आतिश रात्रे और प्राचार्य भी मौके पर थे, लेकिन किसी ने भी छात्रा के साथ हो रहे व्यवहार का विरोध नहीं किया। इस उदासीनता और अपमानजनक माहौल ने छात्रा को मानसिक रूप से तोड़ दिया।
जिला शिक्षा अधिकारी ने की कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा:
घटना के बाद जिला शिक्षा अधिकारी विजय तांडे ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की थी-कन्हैया लाल फरवी, नसीम बेगम और दीप्ति गुप्ता। टीम को दो दिन में तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया था। रिपोर्ट में प्रताड़ना की पुष्टि के साथ-साथ शिक्षक रमेश साहू और स्कूल प्रबंधन के कई गंभीर अनियमितताएँ दर्ज की गईं।
डीईओ तांडे ने कहा,“जांच रिपोर्ट में कई गंभीर तथ्य सामने आए हैं। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। हमने रिपोर्ट संयुक्त संचालक कार्यालय को भेजकर कठोर कार्रवाई की अनुशंसा की है।”
शिक्षण संस्थानों पर उठे सवाल:
रिपोर्ट सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। सरकारी नौकरी करते हुए निजी स्कूलों में सक्रिय रहने वाले शिक्षकों पर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं, और यह मामला उन आशंकाओं को सच साबित करता है। यह भी सामने आया है कि, स्कूल प्रबंधन की भूमिका भी घटना में उतनी ही संदिग्ध रही है, क्योंकि छात्रा के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को रोकने के बजाय प्रशासनिक कर्मचारी चुपचाप खड़े रहे।
परिवार अब न्याय की उम्मीद में:
पूनम रजक के परिवार ने अपनी बेटी को न्याय दिलाने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि, स्कूल में हुए अपमान और मारपीट ने उनकी बेटी को मानसिक रूप से इतना तोड़ दिया कि, उसने अपनी जान देने का निर्णय ले लिया। परिवार चाहता है कि, घटना में शामिल सभी लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी छात्र के साथ ऐसी त्रासदी न हो।
