CG Fortified Rice: ‘धान के कटोरे’ से अब ‘पोषण के कटोरे’ तक, छत्तीसगढ़ का वैश्विक सफर…NV News

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रायपुर/(CG Fortified Rice): छत्तीसगढ़ की धरती से अब केवल अन्न ही नहीं, बल्कि ‘पोषण’ भी दुनिया तक पहुँच रहा है। राज्य से मध्य अमेरिका के खूबसूरत देश कोस्टा रीका को 12 टन फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) की पहली खेप भेजी गई है। यह खेप कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) की पहल पर रवाना हुई है, जो भारत के लिए एक नई निर्यात उपलब्धि मानी जा रही है।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस उपलब्धि की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “कुपोषण मुक्त भारत” अभियान को वैश्विक स्तर तक ले जाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि,यह न केवल भारत के विदेशी व्यापार को मजबूती देता है, बल्कि देश के पोषण मिशन को भी नई ऊर्जा प्रदान करता है।

मुख्यमंत्री ने बताया गर्व का क्षण:

छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय ने इस निर्यात को राज्य के लिए “ऐतिहासिक उपलब्धि” बताया। उन्होंने कहा कि,यह कदम आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ की दिशा में मजबूत कदम है।

साय ने कहा, “यह हमारे किसानों, मिल संचालकों और उद्योगों की मेहनत, गुणवत्ता और समर्पण का परिणाम है। आज छत्तीसगढ़ केवल भारत का अन्नदाता नहीं रहा, बल्कि पोषण, नवाचार और गुणवत्ता का वैश्विक प्रतीक बन चुका है।”

सीएम ने आगे कहा कि,यह उपलब्धि प्रदेश की उस नई पहचान को दर्शाती है, जिसमें कृषि उत्पाद अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा, “यह गर्व का क्षण है जब हमारा प्रदेश न सिर्फ देश के पोषण मिशन में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी अग्रणी बन रहा है।”

क्या है फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK)?:

फोर्टिफाइड राइस कर्नेल दरअसल पोषक तत्वों से भरपूर कृत्रिम चावल दाने होते हैं, जिन्हें सामान्य चावल के साथ मिलाया जाता है। इनमें आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 जैसे आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो कुपोषण से लड़ने में मदद करते हैं।

भारत सरकार ने 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘फोर्टिफाइड राइस योजना’ शुरू की थी, जिसका उद्देश्य गरीब और वंचित वर्गों में पोषण की कमी को दूर करना है। अब छत्तीसगढ़ इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, क्योंकि यहां तैयार FRK अब वैश्विक बाजारों में निर्यात हो रहा है।

छत्तीसगढ़ से वैश्विक बाजार तक:

छत्तीसगढ़ लंबे समय से ‘धान का कटोरा’ कहलाता है, लेकिन अब यह ‘पोषण का कटोरा’ भी बनता जा रहा है। राज्य में तैयार यह फोर्टिफाइड चावल न केवल देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत कर रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान को भी ऊंचा कर रहा है।

कोस्टा रीका को भेजी गई यह खेप इस बात का संकेत है कि भारतीय कृषि उत्पादों की मांग अब लैटिन अमेरिकी देशों तक फैल चुकी है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि राज्य के प्रसंस्करण उद्योगों को भी नया बाजार मिलेगा।

एपीडा (APEDA) ने इस निर्यात को संभव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संगठन ने गुणवत्ता नियंत्रण, निर्यात मानकों और पैकेजिंग में अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित किया। इससे छत्तीसगढ़ के उत्पादों को विदेशी बाजारों में आसानी से स्वीकृति मिली।

एपीडा अधिकारियों के अनुसार, फोर्टिफाइड राइस की यह पहली खेप छत्तीसगढ़ के उद्योगों द्वारा निर्मित उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों से तैयार की गई है। इससे आने वाले समय में अन्य देशों से भी मांग बढ़ने की संभावना है।

पोषण और व्यापार दोनों में जीत:

इस निर्यात ने यह साबित किया है कि भारत अब केवल एक कृषि प्रधान देश नहीं, बल्कि पोषण और गुणवत्ता का वैश्विक ब्रांड बन रहा है।फोर्टिफाइड राइस जैसे उत्पाद देश की “कुपोषण मुक्त भारत” मुहिम को गति देने के साथ-साथ भारत के विदेशी व्यापार को भी नई दिशा दे रहे हैं।

छत्तीसगढ़ की यह पहल न केवल प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करेगी, बल्कि किसानों और खाद्य उद्योगों के लिए भी नए अवसर खोलेगी।

इस तरह, कोस्टा रीका को भेजी गई यह 12 टन की पहली खेप सिर्फ एक व्यापारिक सौदा नहीं, बल्कि भारत के पोषण अभियान की अंतरराष्ट्रीय पहचान का प्रतीक बन गई है।

छत्तीसगढ़ का फोर्टिफाइड चावल अब सीमाओं को पार कर विश्व बाजार में अपनी पहचान बना रहा है। यह सफलता दर्शाती है कि जब स्थानीय मेहनत, वैज्ञानिक नवाचार और सरकारी सहयोग एक साथ आते हैं, तो “छत्तीसगढ़िया विश्व ब्रांड” बन सकता है।

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