CG Forest Department Negligence:20 हजार ‘डेथ वेल’! वन्य जीवों की जान पर आफत…NV News
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रायपुर/(CG Forest Department Negligence): छत्तीसगढ़ के जंगल इन दिनों एक ऐसे खतरे से जूझ रहे हैं, जिसकी अनदेखी लगातार वन्य जीवों की जान ले रही है। प्रदेश में करीब 20 हजार खुले और सूखे कुएं मौजूद हैं, जिन्हें स्थानीय लोग अब ‘डेथ वेल’ कहने लगे हैं। पानी भरा हो या बिल्कुल सूखा- दोनों ही स्थितियों में ये कुएं वन्य प्राणियों के लिए जानलेवा जाल बने हुए हैं। हाल ही में बारनवापारा अभयारण्य में तीन हाथियों-जिनमें एक शावक भी शामिल था-की मौत ने इस मुद्दे को फिर सुर्खियों में ला दिया। घटना के बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और वन विभाग से कड़ी नाराजगी जताई है।
वन्यजीव संरक्षण में सक्रिय रायपुर के नितिन सिंघवी वर्षों से इन कुओं को ढंकने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह वन विभाग की भारी लापरवाही है, क्योंकि न जंगलों में और न ही उनके आसपास के इलाकों में खुले पड़े कुओं को चिन्हांकित या सुरक्षित किया जा रहा है। जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट निर्देश जारी कर चुका है कि, जंगल क्षेत्रों में मौजूद सभी कुओं को अनिवार्य रूप से ढंका जाए।
स्थिति की गंभीरता को समझना हो तो पिछले दो महीनों की घटनाएं काफी हैं। रायगढ़ में एक हाथी का शावक तालाबनुमा गड्ढे में गिर गया था, जिसे कई घंटे की कोशिश के बाद बचाया गया। इसके बाद बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के बारनवापारा क्षेत्र में चार हाथी एक गहरे खुली संरचना वाले कुएं में जा गिरे, जिनमें से तीन की मौत हो गई।
केंद्र सरकार ने भी 2021 और 2022 में राज्यों को स्पष्ट आदेश भेजकर खुले कुओं को तत्काल सुरक्षित करने को कहा था। मगर छत्तीसगढ़ में इस दिशा में कोई ठोस योजना नहीं बनी। वन विभाग पिछले सात सालों में राज्य शासन से इस काम के लिए आवश्यक बजट भी नहीं जुटा सका। स्थिति यह है कि 2024 में कैंपा फंड से केवल 450 कुओं पर ही सुरक्षा दीवारें बनाई गईं,जबकि संख्या 20 हजार से भी अधिक मानी जा रही है।
दुखद यह है कि 2017 में प्रतापपुर के पास एक हथिनी की मौत ने भी विभाग को नहीं जगाया। हर साल कई तेंदुए, भालू, लकड़बग्घे और अन्य वन्य जीव ऐसे ही कुओं में गिरकर या तो मर जाते हैं या फिर घायल होकर जीवनभर चिड़ियाघरों में कैद रहने को मजबूर हो जाते हैं। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि, यदि अब भी इन ‘डेथ वेल’ को सुरक्षित नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में नुकसान और भी बड़ा हो सकता है।
