CG Food Processing: CM साय की कूटनीतिक पहल, फूड इंडस्ट्री को नई रफ्तार…NV News
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रायपुर/(CG Food Processing): नई दिल्ली में मंगलवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री चिराग पासवान के बीच हुई मुलाकात को छत्तीसगढ़ के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बैठक में राज्य में खाद्य सुरक्षा, कृषि आधारित उद्योगों और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को नई दिशा देने से जुड़े कई मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि,छत्तीसगढ़ की कृषि क्षमता और प्राकृतिक संसाधनों को ध्यान में रखते हुए फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में बड़े अवसर मौजूद हैं, जिन्हें केंद्र और राज्य मिलकर आगे बढ़ा सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में NIFTEM की स्थापना का प्रस्ताव:
सीएम साय ने बैठक के दौरान राज्य में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी, एंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट (NIFTEM) की स्थापना पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि,इस संस्थान के आने से कृषि क्षेत्र से जुड़े युवा, किसान और खाद्य उद्योगों को आधुनिक तकनीक, शोध और कौशल विकास में बड़ा लाभ मिलेगा। राज्य में फूड टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों और उद्यमियों की नई पीढ़ी तैयार होगी, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी।
सीएम ने बताया कि, NIFTEM जैसे उच्च स्तरीय संस्थान से प्रदेश में शोध आधारित कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और वैल्यू एडिशन को गति मिल सकती है। इससे किसानों की पैदावार को बाजार तक बेहतर रूप में पहुंचाने में मदद मिलेगी और प्रदेश के फूड प्रोसेसिंग उद्योग को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख दिखाते हुए कहा कि,इसे प्राथमिकता के आधार पर देखा जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि, केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ की इस महत्वाकांक्षी पहल पर रचनात्मक सहयोग करेगी।
रायपुर में वर्ल्ड फूड इंडिया रीजनल समिट का प्रस्ताव:
सीएम ने रायपुर में ‘वर्ल्ड फूड इंडिया’ के रीजनल समिट आयोजित करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि, रायपुर की भौगोलिक स्थिति, बेहतरीन कनेक्टिविटी, खाद्य परंपराएं और संसाधन इसे बड़े आयोजन के लिए आदर्श स्थल बनाते हैं। उनका सुझाव था कि,दिल्ली और गुवाहाटी की तर्ज पर हर दो वर्ष में रायपुर में भी यह आयोजन हो सकता है।
इस तरह का आयोजन न केवल उद्योग जगत को जोड़ने का अवसर देगा, बल्कि छत्तीसगढ़ के फूड सेक्टर में निवेश की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। इससे राज्य के स्थानीय उत्पादों जैसे चावल, कोदो-कुटकी, तेलहन और अन्य खाद्य पदार्थों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में नए पहचान मिल सकती है।
फूड टेस्टिंग लैब और इर्रेडिएशन यूनिट की जरूरत:
बैठक में सीएम ने बताया कि, राज्य में आधुनिक फूड टेस्टिंग लैब और फूड इर्रेडिएशन यूनिट की स्थापना अत्यंत आवश्यक है। इससे कृषि उत्पादों की गुणवत्ता परीक्षण आसान होगा और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में मदद मिलेगी। इन सुविधाओं के जरिए राज्य के किसान बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे और उद्योगों को भी बेहतर गुणवत्ता के कच्चे माल की उपलब्धता होगी।
सीएम का कहना था कि, इन दोनों सुविधाओं के लिए केंद्र की सहायता जरूरी है, ताकि छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पाद राष्ट्रीय और वैश्विक मानकों पर खरे उतर सकें।
हजार करोड़ का निवेश, तीन हजार रोजगार:
बैठक में सीएम साय ने यह भी बताया कि, फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में निवेश के लिए कई कंपनियां राज्य में रुचि दिखा रही हैं। Drools कंपनी द्वारा प्रदेश में लगभग एक हजार करोड़ रुपये का बड़ा निवेश किया जा रहा है, जिससे करीब तीन हजार रोजगार सृजित होंगे। इससे पशु आहार और संबंधित उद्योगों में नए अवसर खुलेंगे व ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का दायरा बढ़ेगा।
राइस ब्रान ऑयल हब की दिशा में तेजी:
राज्य सरकार छत्तीसगढ़ को देश का ‘राइस ब्रान ऑयल हब’ बनाने की दिशा में काम कर रही है। सीएम ने बताया कि,इससे न केवल किसानों को धान के उप-उत्पादों का बेहतर मूल्य मिलेगा बल्कि देश की तेल आयात निर्भरता भी कम होगी। यह कदम आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देने वाला साबित होगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव संभव:
सीएम ने कहा कि, फूड प्रोसेसिंग में निवेश बढ़ने से ग्रामीण इलाकों में रोजगार, महिला स्व-सहायता समूहों की आय और किसानों की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार आएगा। राज्य सरकार इस क्षेत्र को गति देने के लिए नीति और ढांचागत सुविधाओं को मजबूत कर रही है।
कुल मिलाकर, नई दिल्ली में हुई इस बैठक से छत्तीसगढ़ के फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है, और यदि प्रस्तावों पर शीघ्र कार्यवाही होती है, तो राज्य आने वाले वर्षों में देश के प्रमुख खाद्य प्रसंस्करण केंद्रों में अपनी पहचान बना सकता है।
