CG Food Department : डेडलाइन गई, काम अधूरा,E-KYC फिर बनी सिरदर्द …NV News

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रायपुर/(CG Food Department): छत्तीसगढ़ में राशनकार्ड धारकों की ई-केवाईसी (e-KYC) प्रक्रिया एक बार फिर अधूरी रह गई है। सरकार ने इस बार 25 अक्टूबर तक सभी लाभार्थियों का सत्यापन पूरा करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन निर्धारित समयसीमा में भी प्रदेश के करीब 33 लाख सदस्यों का ई-केवाईसी नहीं हो पाया। ऐसे में विभाग एक बार फिर डेडलाइन बढ़ाने की तैयारी में है। यह पिछले दो सालों में तीसरी बार है जब इस अभियान की समयसीमा बढ़ाई जा रही है।

राज्य में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा शुरू की गई यह कवायद फर्जी राशनकार्डों पर लगाम लगाने और असली लाभार्थियों को ही सरकारी अनाज का लाभ दिलाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। लेकिन तकनीकी खामियों, नेटवर्क दिक्कतों और प्रशासनिक सुस्ती के चलते यह योजना अभी भी अधर में लटकी हुई है।

रायपुर में 4 लाख से ज्यादा सदस्य बाकी:

राजधानी रायपुर में 6,48,464 राशनकार्ड जारी किए गए हैं, जिनसे जुड़े 22,26,521 सदस्य विभागीय रिकॉर्ड में दर्ज हैं। इनमें से 18,07,052 सदस्यों का ई-केवाईसी पूरा हो चुका है, जबकि 4,19,469 सदस्य अब भी लंबित हैं।

रायपुर में कुल कार्य का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा पूरा हो चुका है। खाद्य नियंत्रक भूपेंद्र मिश्रा ने बताया कि “25 अक्टूबर की समयसीमा समाप्त हो गई है। अब शासन से आगे के निर्देश मिलते ही शेष सदस्यों का केवाईसी पूरा किया जाएगा।”

प्रदेशभर में स्थिति:

• जिला कुल सदस्य पूर्ण केवाईसी लंबित।

• रायपुर 22.26 लाख 18.07 लाख 4.19 लाख।

• दुर्ग 18.40 लाख 14.60 लाख 3.80 लाख।

• बिलासपुर 19.10 लाख 15.25 लाख 3.85 लाख।

• रायगढ़ 16.50 लाख 13.10 लाख 3.40 लाख।

• कुल (प्रदेश) 1.10 करोड़ 77 लाख 33 लाख।

लक्ष्य तय हुआ, मैदान में असर नहीं दिखा:

विभाग ने इस बार हर दिन 22 हजार से अधिक सदस्यों का केवाईसी कराने का लक्ष्य रखा था। लेकिन अधिकांश जिलों में न तो विशेष शिविर लगाए गए और न ही कर्मचारियों की जवाबदेही तय की गई। अभियान केवल कागजों और बैठकों तक सीमित रह गया।

अधिकारियो ने कहा कि,कई जिलों में ऑपरेटरों की कमी, पॉश मशीनों की खराबी और नेटवर्क समस्या बड़ी अड़चन बनीं। कुछ जगहों पर मशीनें बंद पड़ी रहीं, तो कई जगह ऑपरेटर छुट्टी पर चले गए। नतीजा यह रहा कि अभियान की रफ्तार त्योहारों के दौरान लगभग थम सी गई।

त्योहार और तकनीकी दिक्कतें बनीं बाधा:

दिवाली और त्योहारी सीजन में लोग अपने निजी कामों में व्यस्त रहे, जिसके कारण कई परिवारों ने ई-केवाईसी कराने में रुचि नहीं दिखाई। वहीं, कई राशन दुकानों पर मशीनों की अनुपलब्धता और तकनीकी गड़बड़ियों से भी प्रक्रिया प्रभावित हुई।

राज्य सरकार ने हर जिले को ई-केवाईसी पूरी करने के लिए स्पष्ट निर्देश दिए थे, लेकिन ग्राउंड लेवल पर इसकी मॉनिटरिंग कमजोर रही। कई जिलों ने प्रगति रिपोर्ट तो भेजी, लेकिन वास्तविक कार्य में खास सुधार नहीं दिखा।

फर्जी कार्डों पर लगनी थी लगाम:

ई-केवाईसी अभियान की शुरुआत फर्जी राशनकार्ड और डुप्लीकेट प्रविष्टियों को खत्म करने के लिए की गई थी। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार, अब सभी लाभार्थियों को अपने राशनकार्ड को आधार से लिंक कराना अनिवार्य है। इससे केवल वास्तविक पात्रों को ही अनाज वितरण का लाभ मिल सकेगा।

लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क समस्या और जनजागरूकता की कमी के कारण लाखों परिवार अभी भी प्रक्रिया से वंचित हैं। कई लोग यह भी नहीं जानते कि उनका केवाईसी अधूरा है, जबकि कुछ को नजदीकी केंद्रों तक पहुंचने में कठिनाई हो रही है।

अब क्या आगे?:

विभागीय सूत्रों के मुताबिक, सरकार अब डेडलाइन बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस बार अभियान को ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तर तक ले जाने की तैयारी है ताकि कोई भी पात्र परिवार वंचित न रहे। साथ ही, अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने और अभियान की दैनिक मॉनिटरिंग के निर्देश भी दिए जा सकते हैं।

अगर अगले कुछ हफ्तों में ई-केवाईसी पूरी नहीं होती, तो अधूरे राशनकार्डों पर खाद्यान्न वितरण रोकने का भी विकल्प सरकार के सामने है। हालांकि, फिलहाल प्रशासन की प्राथमिकता यह है कि जितने अधिक लोगों का सत्यापन संभव हो सके, उतना जल्दी किया जाए ताकि प्रदेश में खाद्य सुरक्षा योजनाओं का लाभ सही पात्रों तक पहुंचे।

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