CG Education : 2019 के शिक्षक पाएंगे पूरी सैलरी, हाई कोर्ट ने स्टाइपेंड नीति खारिज की…NV News

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रायपुर/(CG Education Department): छत्तीसगढ़ में 2019 में शिक्षा विभाग द्वारा की गई बड़ी भर्ती से जुड़े हजारों शिक्षकों के लिए एक राहतभरी खबर सामने आई है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की उस स्टाइपेंड नीति को रद्द कर दिया है, जिसके तहत नव-नियुक्त शिक्षकों को तीन साल तक पूर्ण वेतन की जगह कम मानदेय दिया जा रहा था। अदालत के इस फैसले के बाद अब 14,580 शिक्षकों को उनकी ज्वाइनिंग की तिथि से ही पूरा वेतन मिलेगा।

विज्ञापन में नहीं था स्टाइपेंड का नियम:

शिक्षा विभाग ने 9 मार्च 2019 को सहायक शिक्षक, शिक्षक, सहायक शिक्षक (विज्ञान) और व्याख्याता के कुल 14,580 पदों के लिए भर्ती विज्ञापन जारी किया था। इसके लिए 14 जुलाई से 25 अगस्त 2019 तक परीक्षाएं आयोजित की गईं। इस भर्ती में बेरोजगार अभ्यर्थियों के साथ-साथ विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारी भी शामिल हुए थे।

हालांकि, चयनित अभ्यर्थियों के लिए ज्वाइनिंग प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले, सरकार ने 28–29 जुलाई 2020 को एक नया सर्कुलर जारी कर दिया। इस सर्कुलर के अनुसार शिक्षकों को नियमित वेतन देने के बजाय तीन साल की परिवीक्षा अवधि में क्रमशः 70%, 80% और 90% स्टाइपेंड दिया जाना था। वर्ष 2019 के विज्ञापन में ऐसी कोई शर्त नहीं थी, इसलिए कई चयनित उम्मीदवारों ने इस बदलाव को मनमाना और नियम-विरुद्ध बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।

अभ्यर्थियों की दलील- पुराने विज्ञापन पर नए नियम लागू नहीं:

याचिकाकर्ताओं ने अदालत में बताया कि, जब भर्ती विज्ञापन निकला था, तब वेतन संरचना से जुड़ी किसी स्टाइपेंड आधारित पॉलिसी का उल्लेख नहीं किया गया था। अभ्यर्थियों ने दावा किया कि-

• भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद ऐसा नियम लागू करना अनुचित है।

• यह बदलाव न केवल चयनित उम्मीदवारों के साथ विश्वासघात है, बल्कि संविधान के उन सिद्धांतों का भी उल्लंघन है जो पारदर्शी और निष्पक्ष भर्ती की गारंटी देते हैं।

• 2019 की वैकेंसी पर 2020 में बनाए गए नियम लागू नहीं किए जा सकते, क्योंकि उम्मीदवार उसी विज्ञापन की शर्तों के आधार पर भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा बने थे।

हाई कोर्ट का निर्णय- स्टाइपेंड नीति असंवैधानिक:

याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सरकार के स्टाइपेंड नियम को असंवैधानिक घोषित करते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि, किसी भी भर्ती प्रक्रिया में उसी नियमावली को लागू किया जा सकता है, जो विज्ञापन के समय प्रभावी हो। बाद में बनाए गए नियमों को पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता।

हाई कोर्ट के निर्णय से यह भी स्पष्ट हुआ कि, किसी चयनित उम्मीदवार की सेवा शर्तों में एकतरफा बदलाव नहीं किया जा सकता, खासकर तब, जब वह बदलाव उसके अधिकारों को प्रभावित करता हो। अदालत ने माना कि, सरकार का 2020 वाला सर्कुलर 2019 की भर्ती पर लागू नहीं किया जा सकता, इसलिए यह अवैध है।

कौन होंगे लाभान्वित?:

इस फैसले से उन सभी 14 हजार से ज्यादा शिक्षकों को लाभ मिलेगा, जिन्हें 2019 के विज्ञापन के आधार पर नियुक्त किया गया था। अब उन्हें जॉइनिंग की तारीख से ही नियमित वेतन मिलेगा। वर्षों से स्टाइपेंड पर कार्य कर रहे शिक्षकों को यह फैसला बड़ी राहत के रूप में मिला है।

शिक्षक संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत बताया है। उनका कहना है कि, लंबे समय से वे इस मुद्दे पर आवाज उठा रहे थे और अब अदालत के फैसले से उनकी उम्मीदें पूरी हुई हैं।

सरकार पर दबाव बढ़ा:

हाई कोर्ट के इस निर्णय के बाद सरकार को अब न केवल नियमित वेतन देना होगा, बल्कि संभवतः शिक्षकों को बकाया वेतन का भुगतान भी करना पड़ सकता है। हालांकि इसके लिए आगे की प्रक्रिया विभागीय स्तर पर तय की जाएगी।

यह फैसला सरकार के लिए वित्तीय रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन शिक्षकों के लिए यह एक बड़ी राहत है, खासकर तब जब वे पिछले कई वर्षों से पूर्ण वेतन की मांग कर रहे थे।

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