CG Day Special 2025: खनिजों की धरती, संस्कृति की आत्मा- जानें छत्तीसगढ़ का सुनहरा सफर…NV News

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रायपुर/(CG Day Special 2025): मध्य भारत की धरती पर बसा छत्तीसगढ़ केवल खनिज संपदा का भंडार नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और विकास का जीवंत प्रतीक है। प्राचीन दक्षिण कोसल से लेकर आधुनिक औद्योगिक राज्य बनने तक इस प्रदेश ने परंपरा और प्रगति को एक साथ साधा है। आज 1 नवंबर को जब राज्य अपना स्थापना दिवस मना रहा है, तब यह केवल जश्न का दिन नहीं, बल्कि उस यात्रा का उत्सव है जिसने 25 हजार करोड़ से बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपये की GDP तक का अद्भुत सफर तय किया है।

नामकरण की दिलचस्प कहानी:

• छत्तीसगढ़ नाम को लेकर कई मान्यताएँ हैं। सबसे प्रसिद्ध मत के अनुसार, इस क्षेत्र में 36 किलों (गढ़ों) की उपस्थिति के कारण इसे ‘छत्तीसगढ़’ कहा गया। रायपुर जिले के गजेटियर (1973) में उल्लेख है कि इनमें से 18 गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर और 18 दक्षिण दिशा में स्थित थे।

• एक अन्य मत कहता है कि ‘छत्तीसगढ़’ वास्तव में ‘चेदिशगढ़’ शब्द का अपभ्रंश है, क्योंकि यह भूमि लंबे समय तक चेदि राजवंश के अधीन रही।

दक्षिण कोसल से आधुनिक राज्य तक:

छत्तीसगढ़ का इतिहास प्राचीन दक्षिण कोसल राज्य से शुरू होता है, जो बाद में मौर्य, गुप्त, कलचुरी, मराठा और ब्रिटिश शासन के दौर से गुज़रा।

इस भूमि ने शरभपुरीय, नलवंश, सोमवंश, छिंदक नागवंश और कलचुरी जैसे शक्तिशाली वंशों का शासन देखा। उनके द्वारा निर्मित मंदिर, किले और स्थापत्य कला आज भी राज्य की ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विद्यमान हैं।

स्वतंत्रता संग्राम के समय यहां के आदिवासी आंदोलनों ने नई चेतना जगाई। 1857 की क्रांति में सोनाखान के वीर नरहरदेव जैसे योद्धाओं ने अंग्रेजों से लोहा लिया और अपने बलिदान से पूरे प्रदेश को प्रेरित किया।

1 नवंबर 2000, एक नई पहचान का जन्म:

1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ एक नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। जहा रायपुर को राजधानी बनाया गया और बाद में नवा रायपुर (अटल नगर) को आधुनिक प्रशासनिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया। इस गठन ने न केवल क्षेत्रीय पहचान को सशक्त किया बल्कि विकास के नए द्वार भी खोले।

खनिज संपदा ने दिया औद्योगिक बल:

छत्तीसगढ़ खनिज संपदा के मामले में देश के सबसे समृद्ध राज्यों में है। यहां लौह अयस्क, कोयला, बॉक्साइट, डोलोमाइट और टिन की भरपूर उपलब्धता है।भिलाई इस्पात संयंत्र ने न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के औद्योगिक नक्शे को आकार दिया।कोरबा, रायगढ़, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा जैसे जिले ऊर्जा उत्पादन के प्रमुख केंद्र हैं, जिससे छत्तीसगढ़ को ‘पावर हब ऑफ इंडिया’ कहा जाने लगा है।

आर्थिक प्रगति की मिसाल:

राज्य गठन के समय वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ की GDP मात्र ₹25,486 करोड़ थी। दो दशक बाद, वर्ष 2025 में यह बढ़कर ₹5,67,880 करोड़ रुपये के पार पहुंच चुकी है। यह विकास केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि सड़कों, उद्योगों, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधारों में भी दिखता है। राज्य की जनसंख्या भी 208 लाख से बढ़कर अब लगभग 308 लाख हो गई है, जबकि शहरी जनसंख्या दोगुनी होकर 85 लाख से अधिक हो चुकी है।

संस्कृति और लोकजीवन की धड़कन: 

छत्तीसगढ़ की असली पहचान इसकी मिट्टी, लोककला और परंपरा में बसती है।‘धान का कटोरा’ कहलाने वाला यह प्रदेश समृद्ध कृषि परंपरा के साथ-साथ जनजातीय संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।

यहां का बस्तर दशहरा, जो विश्व का सबसे लंबा चलने वाला उत्सव माना जाता है, राज्य की सांस्कृतिक गहराई को दर्शाता है।पंथी नृत्य, राउत नाचा, करमा और सुआ नृत्य जैसी लोक कलाएं इस भूमि की आत्मा हैं, जो पीढ़ियों से परंपराओं को जीवित रखे हुए हैं।

पर्यटन और आस्था की धरोहर:

प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम छत्तीसगढ़ को एक अनोखा पर्यटन गंतव्य बनाता है।चित्रकोट और तीरथगढ़ जैसे झरने, कुटुमसर गुफा, भोरमदेव, दंतेश्वरी, महामाया और बम्लेश्वरी जैसे मंदिर इस राज्य की विविधता और विरासत को प्रदर्शित करते हैं। यहां की हरियाली, शांत वन और जनजातीय परंपराएं देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं।

परंपरा और प्रगति का संगम:

आज छत्तीसगढ़ अपने अतीत की जड़ों से जुड़ा रहकर आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है।यह प्रदेश न केवल उद्योग और ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में भी निरंतर प्रगति कर रहा है।दो दशकों में इसने यह साबित कर दिया है कि परंपरा और विकास साथ-साथ चल सकते हैं,यही इसकी असली पहचान और ताकत है।

छत्तीसगढ़ दिवस पर यह भूमि केवल अपनी उपलब्धियों का नहीं, बल्कि उस अदम्य भावना का उत्सव मना रही है, जिसने संघर्षों के बीच भी प्रगति की नई इबारत लिखी।

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