CG Crime: अंबेडकर अस्पताल में चोरी, कैंसर मरीजों का इलाज ठप!
Share this
NV News Raipur: Ambedkar Hospital Raipur –प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, डॉ. भीमराव Ambedkar अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था इन दिनों सवालों के घेरे में है। दीवाली के बाद तीन दिनों के भीतर अस्पताल में दो बड़ी चोरी की घटनाएं सामने आई हैं। पहली वारदात 20 अक्टूबर की रात हुई, जब चोरों ने कैंसर विभाग से लगभग 20 मीटर तांबे की विद्युत तार चुरा ली। इसके दो दिन बाद, 23 अक्टूबर को चोरों ने विभाग में लगे ताले तोड़कर एक टेलीविजन भी उड़ा लिया। लगातार हुई इन घटनाओं ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है।
पहली चोरी से ठप हुआ कैंसर विभाग का कूलिंग सिस्टम:
अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, पहली चोरी दीवाली की रात हुई थी। चोरों ने कैंसर विभाग के एयर कंडीशनिंग सिस्टम से जुड़ी लगभग 20 मीटर तांबे की तार चुरा ली। इस चोरी से विभाग की सेंट्रल कूलिंग सिस्टम पूरी तरह ठप हो गया। परिणामस्वरूप कैंसर मरीजों की सेकाई (रेडिएशन थेरेपी के दौरान होने वाला गर्म उपचार) पिछले चार दिनों से बंद पड़ी है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि रेडिएशन उपचार के दौरान तापमान का नियंत्रित रहना बेहद जरूरी होता है। तापमान बढ़ने पर मशीनों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और मरीजों को थैरेपी देना जोखिम भरा हो सकता है।
दूसरी वारदात,टीवी ले उड़े चोर:
पहली चोरी की जांच चल ही रही थी कि, 23 अक्टूबर को चोरों ने कैंसर विभाग में लगे ताले तोड़कर एक टीवी सेट चुरा लिया। दोनों घटनाएं अस्पताल के महत्वपूर्ण हिस्सों में हुई हैं, जहां सुरक्षा कर्मियों की चौबीसों घंटे तैनाती रहती है। इसके बावजूद चोरों का इस तरह घुस जाना गंभीर सवाल खड़े करता है।
मरीजों की जान पर बन आई, इलाज ठप:
कैंसर विभाग में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। कई मरीज ऐसे हैं जिनका रेडिएशन उपचार लगातार चल रहा था, लेकिन सेकाई बंद होने से उनका इलाज अधर में लटक गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, रेडिएशन थेरेपी में किसी भी प्रकार की देरी मरीज के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकती है और कैंसर कोशिकाओं पर उपचार का प्रभाव कम हो सकता है।
मरीजों और उनके परिजनों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि,त्योहारों में अस्पताल प्रबंधन ने सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
सुरक्षा पर उठे सवाल, कैमरे और गार्ड नाकाम:
अस्पताल में कई जगह हाई-टेक सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, साथ ही निजी सुरक्षा एजेंसी के कर्मचारी भी तैनात रहते हैं। फिर भी चोरी की घटनाओं का खुलासा न होना इस व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल है। अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि कई कैमरे खराब पड़े हैं और रात के समय गश्त ठीक से नहीं होती।
स्रोतों के अनुसार, दीवाली की रात कई सुरक्षाकर्मी ड्यूटी से अनुपस्थित थे। चोरी के बाद जब फुटेज खंगाले गए तो कुछ जगह कैमरों ने रिकॉर्डिंग ही नहीं की थी।
प्रशासन ने सुरक्षा एजेंसी को थमाया नोटिस:
अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने बताया कि दोनों चोरियों की जानकारी पुलिस को दे दी गई है। सुरक्षा एजेंसी काल मी सर्विस को नोटिस जारी किया गया है और नुकसान की भरपाई उन्हीं से की जाएगी। उन्होंने कहा, “सेंट्रल कूलिंग सिस्टम की रिपेयरिंग शुरू कर दी गई है, सोमवार तक यह फिर से चालू हो जाएगा।”
हर साल करोड़ों खर्च, फिर भी असुरक्षित अस्पताल:
आंकड़ों के अनुसार, डॉ. आंबेडकर अस्पताल में हर साल सुरक्षा और मॉनिटरिंग सिस्टम को मजबूत करने पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। इसके बावजूद चोरी, लापरवाही और मशीनों की खराबी जैसी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।
अस्पताल में पहले भी औषधि, उपकरण और वायर चोरी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन किसी भी मामले में ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
जनता और मरीजों में आक्रोश:
लगातार घटनाओं के बाद मरीजों और उनके परिजनों में आक्रोश है। उनका कहना है कि सरकारी अस्पताल में अगर इलाज ही बाधित हो जाए, तो गरीब मरीज जाएं कहां। कैंसर जैसे गंभीर रोग से जूझ रहे मरीजों को बिना इलाज के घर लौटना पड़ रहा है।
तीन दिनों में हुई दो चोरियों ने यह साबित कर दिया है कि अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था केवल कागजों में मजबूत है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इन घटनाओं से सबक लेकर सुरक्षा में सुधार करता है या नहीं।
