CG Corruption Case:सौम्या चौरसिया पर EOW का शिकंजा,50 करोड़ की संपत्ति,8,000 पन्नों की चार्जशीट…NV News

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रायपुर/(CG Corruption Case): पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव और राज्य प्रशासनिक सेवा (CAS) की अधिकारी सौम्या चौरसिया के खिलाफ आज एक बड़ी कार्रवाई हुई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने आय से अधिक संपत्ति मामले में लगभग 8,000 पन्नों की विस्तृत अभियोग पत्र (चार्जशीट) माननीय विशेष न्यायालय, रायपुर में पेश की है। यह छत्तीसगढ़ में अब तक दर्ज किया गया सबसे बड़ा “आय से अधिक संपत्ति” प्रकरण माना जा रहा है।
तथ्यों की पड़ताल:
• चार्जशीट में आरोप है कि 2019 से 2022 की अवधि में सौम्या चौरसिया ने सर्वाधिक अवैध निवेश किया।
• जांच में यह पाया गया कि उन्होंने परिवार एवं परिचितों के नाम पर लगभग 45 बेनामी अचल संपत्तियों में निवेश किया।
• EOW का दावा है कि इन संपत्तियों की कुल अवैध मूल्य करीब ₹ 49.69 करोड़ है, जो उनकी वैध आय से लगभग 1872.86 प्रतिशत अधिक है।
• उनके पूरे 17-वर्षीय सेवा काल के दौरान उनकी और परिवार की वैध आय लगभग ₹ 2.51 करोड़ पाई गई।
• EOW ने बताया है कि इस चार्जशीट में सबूतों, वित्तीय लेन-देन, संपत्ति अभिलेखों और कई गवाह बयानों का समावेश किया गया है।
पृष्ठभूमि एवं अब तक की कार्रवाई:
• सौम्या चौरसिया 2008 बैच की CAS अधिकारी हैं। उनकी प्रारंभिक नियुक्ति डिप्टी कलेक्टर, बिलासपुर कार्यालय में हुई थी, और 2005 में वे लेखाधिकारी के पद पर कार्यरत थीं।
• वर्ष 2019 में उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में उप सचिव के रूप में तैनात किया गया।
• इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिसंबर 2022 में उन्हें कथित कोयला शुल्क (coal levy) घोटाले और धन शोधन आरोपों में गिरफ़्तार किया था।
फिलहाल उन्होंने न्यायालय से जमानत प्राप्त की हुई है, लेकिन उनकी सेवा निलंबित है।
• सितंबर 2025 में EOW ने विशेष अदालत के आदेश पर लगभग ₹ 8 करोड़ मूल्य की 16 अचल संपत्तियों को कुर्क किया, जो आरोपों के अंतर्गत पाई गई थी।
विवाद एवं संभावित प्रभाव:
• इस चार्जशीट की 8,000 पन्नों की लंबाई यह दर्शाती है कि, EOW ने मामले को विस्तार से छेदा है- वित्तीय अभिलेखों, डिजिटल और हार्ड कॉपी सबूतों एवं गवाह बिंदुओं को समाहित किया गया है।
• यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह न सिर्फ सौम्या चौरसिया के लिए बड़ी परेशानी बन सकता है, बल्कि राज्य में भ्रष्टाचार नियंत्रण नीतियों की साख पर भी सवाल खड़ा कर सकता है।
• इस मामले की राजनीतिक संवेदनशीलता भी कम नहीं है, क्योंकि चौरसिया पूर्व सीएम कार्यालय की अधिकारी रही हैं।