CG Census Update: 708 गांव का रिकॉर्ड मिसिंग! जनगणना से पहले प्रशासन में हड़कंप… NV News
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रायपुर/(CG Census Update): छत्तीसगढ़ में अगले वर्ष होने वाली जनगणना शुरू होने से पहले ही एक बड़ी प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है। केंद्र सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की आधिकारिक सूची से राज्य के 708 गांवों के नाम ही गायब पाए गए हैं। इस चूक का कारण बेहद चौंकाने वाला है।
दरअसल, इन गांवों को नगर निगम, नगर पालिका या नगर पंचायत की सीमा में शामिल कर दिया गया था, लेकिन इसका आधिकारिक नोटिफिकेशन सांख्यिकी विभाग तक पहुंचाया ही नहीं गया।
इस गंभीर गलती का असर अब जनगणना की पूरी प्रक्रिया पर दिखाई देने लगा है। गांव और शहर की सीमा तय करने का काम अटक गया है और अधिकारी अब यह समझने में लगे हैं कि यह चूक कैसे और कब ठीक की जाए।
कई जिलों के गांव अपडेट ही नहीं हुए:
राज्य के जिन जिलों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है उनमें बस्तर, कोरबा, रायगढ़, कोंडागांव और रायपुर प्रमुख हैं। इन इलाकों में बड़ी संख्या में ऐसे गांव हैं, जिन्हें शहरी सीमा में शामिल कर दिया गया था, लेकिन मंत्रालय की ओर भेजी जाने वाली आवश्यक सूचना लंबित रह गई। नगरीय प्रशासन विभाग ने गांवों के शहरीकरण का नोटिफिकेशन तो जारी किया, लेकिन इसे सांख्यिकी विभाग को भेजना ‘औपचारिकता’ समझते हुए टाल दिया गया।

अब जब जनगणना की तैयारियां शुरू हुईं तो पता चला कि, केंद्र सरकार के रिकॉर्ड में ये गांव आज भी राजस्व ग्राम के रूप में दर्ज हैं, जबकि जमीन पर वे शहरी सीमा का हिस्सा बन चुके हैं।
जनगणना के डेटा में गड़बड़ी की आशंका:
इस लापरवाही ने आने वाली जनगणना में गड़बड़ी की सबसे बड़ी आशंका खड़ी कर दी है। गांवों और शहरों की पहचान गड़बड़ा जाने से एफएसयू (फर्स्ट स्टेज यूनिट) सर्वेक्षण गलत हो सकता है। जनसंख्या, सुविधाओं, बुनियादी ढांचे और भौगोलिक स्थिति से जुड़े आंकड़े भी प्रभावित हो सकते हैं।
अगर गांवों को शहरी क्षेत्र में शामिल करने के बाद भी वे कागजों में गांव ही दिखते रहे, तो न सिर्फ जनगणना का डेटा गलत होगा बल्कि भविष्य की विकास योजनाओं की रूपरेखा भी प्रभावित हो सकती है। योजनाओं के लिए होने वाले बजट आवंटन, संसाधनों की मांग और आधारभूत सुविधाओं की योजना तक में त्रुटि हो सकती है।
जनता को हो रहा है सीधा नुकसान:
यह गलती आम लोगों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन चुकी है। बड़ी संख्या में नागरिक रोजमर्रा के कामों के लिए एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं, क्योंकि उनके गांव शहरी क्षेत्र में शामिल तो कर लिए गए, लेकिन विभागीय रिकॉर्ड में अपडेट नहीं होने के कारण दस्तावेजों में विरोधाभास उत्पन्न हो गया है।
लोगों को जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, निवास प्रमाणपत्र, वार्ड या ग्राम सीमा प्रमाणपत्र और नगर निगम/पालिका से जुड़े दस्तावेजों के लिए बार-बार लौटाया जा रहा है। कई जगह कर्मचारियों को यह तक नहीं पता कि,आवेदक का क्षेत्र गांव में आता है या शहर में।
शहरों में शामिल हुए बावजूद उनमें ‘ग्रामीण’ दर्ज होने के कारण न केवल काम अटक रहे हैं, बल्कि कई नागरिक सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से भी वंचित हो सकते हैं।
सांख्यिकी विभाग की सख्ती:
मामला सामने आने के बाद सांख्यिकी विभाग हरकत में आया है। विभाग ने नगरीय प्रशासन विभाग को पत्र भेजकर सभी विवादित गांवों की भौगोलिक स्थिति और शहरी सीमा निर्धारण से संबंधित नोटिफिकेशन तुरंत भेजने को कहा है। इसी के बाद रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, अंबिकापुर और जगदलपुर के संयुक्त संचालकों को त्वरित जांच कर जानकारी जुटाने के आदेश जारी किए गए हैं।
नगरीय प्रशासन विभाग के संचालक आर. एक्का ने भी स्वीकार किया है कि, सांख्यिकी विभाग से पत्र मिला है और अब सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को आवश्यक जानकारी जुटाने और जल्द डेटा भेजने के निर्देश दे दिए गए हैं।
अब आगे क्या?:
इस प्रक्रिया के सही ढंग से पूरा होने तक जनगणना की कई तैयारियां अधर में लटकी रहेंगी। रिकॉर्ड अपडेट होने में देरी का सीधा असर सरकारी योजनाओं, नागरिक सुविधाओं और प्रशासनिक कार्यों पर पड़ेगा।
सरकार अब इस गड़बड़ी को जल्द से जल्द सुधारने में जुटी है, ताकि छत्तीसगढ़ की आगामी जनगणना विश्वसनीय और सटीक आंकड़ों के साथ पूरी की जा सके।
