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N.V.News भिलाई: शंकुतला विद्यालय रामनगर में कक्षा नवमीं में पढ़ने वाले पीयूष जायसवाल दुनिया के ‘यंगेस्ट साइंटिस्ट” बन गए हैं।
पीयूष ने वेग रहस्य पर शोध कर दुनिया के शीर्ष रिसर्च सेंटर से पीएचडी सर्टिफिकेट और रिसर्च लेवल अप्रूवल सर्टिफिकेट प्राप्त किया है। ब्रह्मांड जैसे जटिल विषय पर किताब लिखने वाले छात्र पीयूष जायसवाल ने अब सबसे कम उम्र में साइंटिस्ट बनने का गौरव हासिल किया है।
आठवीं कक्षा की पढ़ाई करते हुए महज 12 वर्ष एक माह की आयु में ही यह कर दिखाया है। अब तक यह रिकार्ड वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के नाम था जिन्होंने 17 वर्ष की उम्र में शोध किया था। वाशिंगटन स्थित सबसे बड़े रिसर्च सेंटर आइजेएसईआर (इंटरनेशनल जनर्ल्स आफ साइंटिफिट एंड इंजीनियरिंग रिसर्च) ने पीयूष जायसवाल के रिसर्च को मान्यता प्रदान की है। पीयूष ने बीते अक्टूबर माह में अपने 20 पन्नो के शोध को मेल के जरिये आइजेएसईआर के पास भेजा था। संस्था ने अपने अनुभवी वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से कई चरणों में तथ्यात्मक जांच कराने के बाद पीयूष के शोध को पीएचडी सर्टिफिकेट एवं रिसर्च लेवल अप्रूवल सर्टिफिकेट दे दिया ।
इस शोध के जरिए पीयूष जायसवाल ने बताया कि ब्रह्मांड का अंत भी निश्चित है। उन्होंने हबल थ्योरी का इस्तेमाल करते हुए बताया कि ग्रहों की दूरियां बढ़ती जा रही हैं। एक समय बाद वे फिर से सिकुड़ने लगेंगे। इसके लिए मैग्नेटिक थ्योरी का उदाहरण दिया. उन्होंने शोध में बताया कि ग्रह जैसे ही दूर होंगे, उनके अंदर मौजूद गुरुत्वाकर्षण क्षमता बढ़ेगी, जो एक दूसरे ग्रह को आपस में खींचकर ब्रह्मांड को तबाह कर देगी।
पीयूष ने अपने 20 पन्नो के शोध को मेल के जरिए वाशिंगटन डीसी के आईजीएसईआर (इंटरनेशनल जनरल्स आफ साइंटिफिक एंड इंजीनियरिंग रिसर्च ) को अक्टूबर में भेजा था, तब उन्हें बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि उनके शोध को मान्यता मिल जाएगी। 27 दिसंबर को संस्था ने पीयूष के शोध को मान्यता देते हुए सर्टिफिकेट मेल कर दिया। यह भी लिखा कि बहुत जल्द ही पीएचडी की स्कालर और साइंटिस्ट की उपाधि भी उन्हें दी जाएगी।
दुनिया के सबसे बड़े इस रिसर्च सेंटर में किसी भी शोध को मान्यता देने से पहले अपने अनुभवी साइंटिस्ट व रिसर्चर से कई चरणों की तथ्यात्मक पड़ताल करवाती है।
निर्धारित मापदंड व पूर्व में कहीं इस शोध का जिक्र तो कहीं नहीं हुआ है। इसकी पड़ताल करने में एक माह का समय लग गया। आखिरकार संस्था ने 27 दिसंबर को इस नन्हें साइंटिस्ट की मेहनत पर मुहर लगा ही दी। संस्था के अधिकृत ई-मेल आईडी से इसकी पुष्टि की गई है। उसने 8 मार्च को साइंटिस्ट का सर्टिफिकेट भेज प्रकाशन की सहमति भी दी है।
नानी की कहानी में सुना था शेष नाग उठाया है धरती को,रहस्य जानने की ललक ने बना दिया साइंटिस्ट- पियूष की मां सुनीता बताती है कि बचपन मे ब्रम्हांड की कहानी सुनता था तब उसे बताया जाता था कि धरती शेष नाग ने सर पर उठा रखा है । इसी रहस्य को जानने में जुट गया। साल भर पहले पीयूष ने ब्रह्मांड पर फुलफिल आफ कासमास नाम की पहली किताब लिखी थी। इस किताब को लिखने के बाद ब्रह्मांड के उन रहस्यों को जानने की उनकी जिज्ञासा बढ़ी और फिर उस दिशा में शोध शुरू कर दिया।
डा. एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानने वाले इस मेहनती छात्र ने मन में उठ रहे सवालों को ढूंढ़ने 20 से ज्यादा सोर्स से तलाश भी शुरू की।जवाब नहीं मिला तो खुद शोध शुरू किया। कई महान शोधकर्ताओं द्वारा तैयार थ्योरी पर आधारित मेथड से ट्रायल शुरू कर अपने सवालों के जवाब ढूंढ़ते गए और तैयार कर लिया वेग रहस्य पर शोध।
20 पन्नो के रिसर्च में ब्रह्मांड के इन रहस्यों को बताया
1- ब्रह्मांड की शुरुआत
ब्रह्मांड की शुरुआत सूक्ष्म तत्व से हुई- शरीर के सेल से तुलना करते हुए एसस्पेलन किया, फिर शारीरिक विकास की तरह अपने आपको विकसित किया।
2- ब्रह्मांड का अंत भी सुनिश्चित है यह बताया
साबित करने के लिए, हबल थ्योरी का इस्तेमाल करते हुए बताया कि ग्रहों की सुनिश्चित दूरियां बढ़ती जा रही हैं। एक समय बाद वे फिर से सिकुड़ने लगेंगे। इसके लिए मैग्नेटिक थ्योरी का उदाहरण दिया। उन्होंने शोध में बताया कि ग्रह जैसे ही दूर होंगे, उनके अंदर मौजूद गुरुत्वाकर्षण क्षमता बढ़ेगी, जो एक दूसरे ग्रह को आपस में खींचकर ब्रह्मांड को तबाह कर देगी।
3-खगोलीय घटना के बाद कास्मिक रेडिएशन बढ़ेगा
ग्रहों की सतह गर्म होंगी, गुरुत्वाकर्षण भी बढ़ेगा, जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी का हवाला देकर बताया कि सतह को ठंडा करने गुरुत्वाकर्षण बढ़ता जाएगा। इसी शक्ति के वजह से दोनों ग्रह के आपस में टकराने की शत फीसदी संभावना बनेगी।
4-समय भी रुक सकता है
समय कैसे रोका जा सकता है इसके रहस्य को बताते हुए शोध में लिखा है कि प्रकाश की गति से चलने पर समय धीमा हो सकता है। ये पहले भी उल्लेखित है पर पीयूष ने बताया कि प्रकाश की गति से भी तेज चले तो समय रुक जाएगा।
5-ग्रह के नफा नुकसान
किसी भी ग्रह या तारों पर तत्वों की क्षमता बढ़ गई या कम हुई तो उस ग्रह के नफा नुकसान को भी शोध में बताया है। ह्यूमन टेक्नालाजी से इसे नियंत्रित करने का उपाय भी बताया है।
youngest scientist in the world
इन्होंने भी की कम उम्र में पीएचडी
पटना बिहार के निवासी तुलसी कुमार ने 21 साल के उम्र में पीएचडी हासिल की है। उन्होंने आइआइएससी से फिजिक्स विषय में पीएचडी की।
इसी तरह लखनऊ उत्तर प्रदेश की निवासी सुषमा वर्मा ने 15 वर्ष की आयु में पीएचडी की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। सुषमा ने एनवायरमेंट माइक्रोबायोलाजी विषय पर पीएचडी की। सुषमा ने आठ साल की आयु में कक्षा दसवीं 10 साल की आयु में कक्षा बारहवीं एवं 12 वर्ष की आयु में ग्रेजुएशन कर लिया था।