CG Big: मौत की गूंज के बीच,छ.ग में कफ सिरप पर कड़ी रोक…NV News

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CG Big: मध्य प्रदेश में ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप पीने से कम-से-कम 14 छोटे बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों को सख्त हिदायत जारी की है। इसके मद्देनज़र, छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है और राज्य में यह निर्णय लिया गया है कि अब बिना डॉक्टर की पर्ची (प्रिस्क्रिप्शन) किसी भी कफ सिरप या किसी कंबिनेशन ड्रग को मेडिकल स्टोर में नहीं बेचा जाएगा।
आदेश और कार्रवाई की रूपरेखा:
1.मेडिकल स्टोर संचालकों के लिए चेतावनी।
• बिना प्रिस्क्रिप्शन किसी भी सिरप या संयुग्मित (कॉम्बिनेशन) दवा न देने का निर्देश।
• शेड्यूल H–1 या अन्य नियंत्रणित दवाओं को केवल पर्ची पर ही देना अनिवार्य।
• नियम तोड़ने वालों पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
2.राज्यव्यापी निरीक्षण एवं छापे।
• पूरे छत्तीसगढ़ में मेडिकल स्टोरों की ‘सरप्राइज’ जांच की जाएगी।
• कैणीरो नियंत्रण प्राधिकरण (FDA) और संबंधित विभागों को निर्देश मिल चुके हैं कि वे छापेमारी एवं दवाओं के सैंपलिंग की व्यवस्था करें।
3.डॉक्टरों से विशेष अपील।
• बच्चों को खांसी, बुखार या सर्दी की शिकायत होने पर नियमित निगरानी रखें।
• यदि 6 घंटे तक पेशाब न हो तो यह चेतावनी संकेत है,ऐसी स्थिति में तत्काल दुष्प्रभाव का संदेह किया जाए।
• झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज न करवाने और संदिग्ध मामलों को उच्च चिकित्सा केंद्र (रेफर) करने का निर्देश।
4.मरीजों और अभिभावकों को सलाह।
• बीमार बच्चों को समय रहते सरकारी अस्पताल ले जाने की सलाह।
• घर पर स्वच्छता बनाए रखें, उचित पोषण और जल सेवन पर ध्यान दें।
• अनधिकृत या संदिग्ध दवाओं के उपयोग से बचें।
5.दवा सप्लाई पर नियंत्रण।
• बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में ‘कोल्ड्रिफ’ नामक सिरप का स्टॉक अभी तक उपलब्ध नहीं है।लेकिन वही सामग्री या उस फार्मूले वाले अन्य सिरप जो अनुमति प्राप्त हों, उन्हें ही सीमित और पर्ची पर ही वितरित किया जाएगा।
मध्य प्रदेश की घटना मुख्यतः छिंदवारा जिले की है, जहां अनेक बच्चों को सामान्य सर्दी खांसी के इलाज के बाद किडनी फेलियर की स्थिति विकसित हुई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जांच में पाया कि ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप के नमूनों में diethylene glycol (DEG) नामक विषैला रसायन अनुमति से बहुत अधिक मात्रा में था। तामिलनाडु में भी छानबीन के दौरान बुरी स्थिति सामने आई, और संबंधित कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई। राष्ट्रीय स्तर पर, दवाओं के निर्यात और घरेलू उपभोग की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
छत्तीसगढ़ में यह कदम क्यों महत्वपूर्ण है?:
यह निर्णय सिर्फ सख्ती दिखाने वाला कदम नहीं है,यह जीवन बचाने की ज़रूरत है।दवाओं के निर्माण, वितरण और बिक्री में नियमों का उल्लंघन यदि न रोका गया तो और भी बड़े पैमाने पर गंभीर घटनाएं हो सकती हैं।
बच्चों में खांसी या सर्दी के लिए दवाएँ लिखने के मामलों में डॉक्टरों को अत्यधिक जागरूक होना चाहिए कि अथवा ओवर-द-काउंटर दवाओं पर निर्भरता न बढ़े।इस कदम से यह संदेश भी जाना जाता है कि सरकार “जन सुरक्षा” को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
सुधार की चुनौतियाँ और सुझाव:
• पर्ची प्रमाणित करें: डिजिटल पर्ची प्रणाली या केंद्रीय पंजीकरण से असामान्य पर्चियों की पहचान आसान हो सकती है।
• जनचेतना अभियान: आम जनता, अभिभावकों और रोगियों को यह जानकारी हो कि हर सिरप सुरक्षित नहीं होता।
• नियमित जांच एवं निगरानी: राज्य स्तर पर दवा नियंत्रण और स्वास्थ्य विभाग के बीच समन्वय बढ़ाया जाना चाहिए।
• जांच तंत्र मज़बूत करें: स्थानीय लैबों को सक्षम बनाना ताकि सैंपल तुरंत जाँचे जा सकें।
• किसी भी संदेह की सूचना दें: यदि किसी दवा के सेवन के बाद असामान्य लक्षण दिखें तो पेशाब बंद होना, उल्टी, पेट दर्द ,तुरंत डॉक्टर को बताएं।