CG Bharatmala Scam: मुआवजा के नाम पर करोड़ों का घोटाला, तीन पटवारी न्यायिक रिमांड पर…NV News 

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रायपुर/(CG Bharatmala Scam): छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के नाम पर हुआ करीब 32 करोड़ रुपये का मुआवजा घोटाला अब बड़े खुलासों की ओर बढ़ रहा है। तीन पटवारियों – दिनेश पटेल, लेखराम देवांगन और बसंती धृतलहरे – को मंगलवार को अदालत ने 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया। ये तीनों नायकबांधा, भेलवाडीह और टोकरो गांव की जमीनों में फर्जी दस्तावेज तैयार कर किसानों के नाम पर करोड़ों की राशि हड़पने के आरोपी हैं।

कैसे हुआ 32 करोड़ का घोटाला:

ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) की जांच में सामने आया है कि तीनों पटवारियों ने 2022 में पुराने रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर 2020 से पहले के नामांतरण और बंटवारे के दस्तावेज बैक डेट में तैयार किए। एक ही जमीन को कई टुकड़ों में बांटकर अलग-अलग किसानों के नाम दर्ज किया गया और एसडीएम कार्यालय से इन फर्जी प्रकरणों को मुआवजे के लिए पास कराया गया।

इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई खातों में मुआवजा राशि ट्रांसफर कराई गई। जांच में अब तक लगभग 10 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का स्पष्ट सबूत मिल चुका है, जबकि पूरे घोटाले की रकम 32 करोड़ रुपये के करीब बताई जा रही है।

प्रॉपर्टी डीलर ने रची साजिश:

मामले में केवल पटवारी ही नहीं, बल्कि महासमुंद के प्रॉपर्टी डीलर हरमीत खनूजा का नाम भी प्रमुख रूप से सामने आया है। बताया जा रहा है कि खनूजा, जिसकी पत्नी खुद तहसीलदार है, ने अपने साथियों विजय जैन, खेमराज कोसले और केदार तिवारी के साथ इस पूरी साजिश को अंजाम दिया।

इन लोगों ने किसानों को यह कहकर डराया कि यदि वे फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे तो उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा। किसानों से ब्लैंक चेक और आरटीजीएस फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाकर उनके नाम से खाते खुलवाए गए, जिनमें मुआवजे की रकम जमा हुई और फिर आपस में बांट ली गई।

डूबान क्षेत्र की जमीन पर दोबारा मुआवजा:

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि, नायकबांधा जलाशय डूबान क्षेत्र की कुछ जमीनों का मुआवजा पहले ही किसानों को मिल चुका था। इसके बावजूद उसी जमीन पर दोबारा 2.34 करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान लिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि,रिकॉर्ड में बड़े पैमाने पर हेराफेरी कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया गया।

फरार अधिकारी और ईओडब्ल्यू की कार्रवाई:

ईओडब्ल्यू की टीम ने बीते सप्ताह 14 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके बाद कई अधिकारी फरार हो गए हैं, जिनमें तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू, आरआई रोशनलाल वर्मा, तहसीलदार शशिकांत कुरें, नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण और पटवारी जितेंद्र साहू शामिल हैं।एजेंसी अब इनकी संपत्तियों की कुर्की की तैयारी कर रही है।

अब जांच पहुंचेगी कलेक्टरों तक:

ईओडब्ल्यू ने पटवारियों और एसडीएम तक की जांच पूरी करने के बाद अब चार तत्कालीन कलेक्टरों की भूमिका की जांच शुरू कर दी है, क्योंकि मुआवजा स्वीकृति का अंतिम अधिकार उन्हीं के पास था।बिना कलेक्टर की मंजूरी के इतने बड़े मुआवजे का भुगतान संभव नहीं था।

बड़ा सवाल,किसानों का हक किसने छीना?:

भारतमाला परियोजना का उद्देश्य था किसानों को उचित मुआवजा देकर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण तेज़ करना। मगर भ्रष्ट अधिकारियों और बिचौलियों ने इसे कमाई का जरिया बना लिया। अब असली किसान न्याय की उम्मीद में हैं, जबकि घोटाले की परतें हर दिन नई दिशा में खुल रही हैं।

ईओडब्ल्यू के अधिकारी का कहना है कि, “यह मामला केवल फर्जी दस्तावेजों का नहीं, बल्कि एक संगठित आर्थिक अपराध है। हर स्तर पर मिलीभगत हुई है। आगे की जांच में और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।”

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