“CG Anti-corruption movement Case”:भ्रष्टाचार उजागर करने वाले छात्र नेताओं पर यूनिवर्सिटी की सख्ती, कैंपस में बैन.पढ़े पूरी खबर…NV News

Share this

 

छत्तीसगढ़।बिलासपुर के अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार (Corruption) और अनियमितताओं (Irregularity) के खिलाफ आवाज उठाने वाले तीन छात्र युवा नेताओं पर कड़ा कदम उठाया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन छात्रों को न केवल कैंपस में प्रवेश से प्रतिबंधित किया है, बल्कि किसी भी कोर्स में दाखिला देने पर भी रोक लगा दी है।

भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले प्रतिबंधित छात्रों के नाम: 

प्रतिबंधित छात्रों में सूरज सिंह राजपूत, नीरज यादव और सौरभ दुबे शामिल हैं। ये छात्र युवा नेताओं ने लंबे समय से यूनिवर्सिटी (University) में भ्रष्टाचार, गड़बड़ी और छात्रों की मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। उन्होंने शिकायतें उच्च शिक्षा विभाग (Higher education department) के अधिकारियों से लेकर राज्यपाल तक पहुंचाईं थीं।

यूनिवर्सिटी के कुलसचिव (University Register) द्वारा जारी आदेश में कहां:

रजिस्टार शैलेन्द्र दुबे द्वारा जारी आदेश में कहा कि इन छात्रों ने कार्यालयीन कार्य में बाधा डाली, दस्तावेजों की अनधिकृत फोटोग्राफी की और उपद्रव फैलाया। पूर्व में कुलपति कक्ष में हंगामा करने के मामले में इनके खिलाफ एफआईआर (First Information Report) भी दर्ज हो चुकी है। आदेश में चेतावनी दी गई है कि इसका उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

कुलपति प्रो.ए.डी.एन वाजपेयी ने यूनिवर्सिटी व्हाट्सएप ग्रुप में बढ़िया लिखकर किया समर्थन:

यह आदेश विश्वविद्यालय के यूटीडी व्हाट्सएप ग्रुप में साझा किया गया, जहां कुलपति प्रो. ए.डी.एन. वाजपेयी (Voice- Chancellor A.D.N. Vajpayee) ने बढ़िया लिखकर इस फैसले का समर्थन किया।

बता दें,हाल ही में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित हुई थी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया।

छात्र नेताओं का आरोप:

छात्र नेता सूरज सिंह राजपूत का कहना है कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को दबाने की साजिश है। उनके मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों पर मानसिक दबाव बनाने और सच छिपाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन शिक्षकों को भी छात्रों से संवाद न करने की चेतावनी दे रहा है, जिससे शैक्षणिक माहौल खराब हो रहा है।

वही सूरज का दावा है कि जांच समिति की गठित होने के बाद से प्रशासन में डर का माहौल है और इसी वजह से आंदोलनकारी छात्रों को टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने इस आदेश को छात्रविरोधी और अलोकतांत्रिक बताया।

इस मुद्दे से कैंपस में चर्चा तेज:

इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी में माहौल गरमाई। कई छात्र और कर्मचारी इस फैसले को लेकर चर्चा कर रहे हैं। एक वर्ग का मानना है कि प्रशासन ने यह कदम अनुशासन बनाए रखने के लिए उठाया है, जबकि दूसरे का कहना है कि यह छात्रों की लोकतांत्रिक आवाज को दबाने का प्रयास है।

Share this