CG Aadhaar Update: आधार पर ब्रेक, QR कोड के बिना अटकी बच्चों की पहचान…NV News
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CG Aadhaar Update: छत्तीसगढ़ में लाखों ग्रामीण परिवार इन दिनों अपने बच्चों के आधार कार्ड बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। वजह यह है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने अब यह साफ कर दिया है कि,बच्चों के आधार कार्ड के लिए केवल क्यूआर कोड वाले डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र ही मान्य होंगे। इससे राज्य में लगभग 3.5 लाख बच्चों के आधार बनवाने की प्रक्रिया ठप हो गई है, क्योंकि उनके पास पुराने मैनुअल जन्म प्रमाण पत्र हैं जिनमें क्यूआर कोड नहीं है।
अब आधार के लिए जरूरी डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र:
UIDAI के नए नियमों के अनुसार, बच्चों का आधार कार्ड तभी बन सकेगा जब उनके जन्म प्रमाण पत्र पर क्यूआर कोड होगा। इस कोड में बच्चे का नाम, जन्म तिथि, जन्म स्थान और पंजीकरण विवरण डिजिटल रूप में सुरक्षित रहता है।
पुराने मैनुअल प्रमाण पत्रों में यह फीचर नहीं होता, इसलिए अब उन्हें अमान्य घोषित कर दिया गया है। जिन परिवारों के पास पुराने प्रमाण पत्र हैं, उन्हें पहले डिजिटल प्रमाण पत्र बनवाना होगा, जिसके बाद ही आधार प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।

गांवों में फंसी प्रक्रिया, पंचायतों में बढ़ी दिक्कतें:
राज्य में 2018 से 2020 के बीच करीब 6.16 लाख जन्म प्रमाण पत्रों के आवेदन आए थे, जिनमें 5.15 लाख प्रमाण पत्र जारी किए गए। इनमें से लगभग 3.5 लाख प्रमाण पत्र मैनुअल हैं खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
अब इन परिवारों को पहले नया डिजिटल प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है, जो तकनीकी रूप से जटिल और समय लेने वाली है।पंचायत स्तर पर सर्वर की धीमी गति, इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या और कर्मचारियों के प्रशिक्षण की कमी के कारण यह प्रक्रिया और भी सुस्त हो गई है।
2021 के बाद बने सर्टिफिकेट में QR कोड अनिवार्य:
सांख्यिकी विभाग के अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2021 से सभी जन्म प्रमाण पत्र केंद्र सरकार के पोर्टल के माध्यम से क्यूआर कोड सहित डिजिटल रूप में जारी किए जा रहे हैं।
फिर भी, कई ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी तकनीकी जानकारी की कमी के कारण पंचायत सचिव पुराने तरीके से मैनुअल प्रमाण पत्र ही जारी कर रहे हैं। यही कारण है कि नए बच्चों के आधार भी अब अटक रहे हैं।
अभिभावकों की बढ़ी परेशानी, स्कूलों में दाखिले पर असर:
गांवों के हजारों बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने पुराने मैनुअल प्रमाण पत्र के आधार पर स्कूलों में दाखिला लिया था। अब जब स्कूलों ने आधार अनिवार्य कर दिया है, तो अभिभावक भारी परेशानी में हैं।डिजिटल प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने के बाद सर्वर की धीमी गति और बार-बार पोर्टल बंद होने जैसी समस्याओं के चलते प्रमाण पत्र समय पर नहीं बन पा रहे हैं।ऐसे में न तो नया डिजिटल प्रमाण पत्र तैयार हो रहा है और न ही बच्चों के आधार कार्ड।
रिकॉर्ड मिसमैच से बढ़ी मुश्किल:
कई मामलों में पुराने रिकॉर्ड और डिजिटल डाटा में मिसमैच भी सामने आ रहे हैं। ऐसे अभिभावकों को पहले अपने रिकॉर्ड सुधारवाने होंगे, तभी नया क्यूआर कोड वाला जन्म प्रमाण पत्र जारी हो सकेगा।
याकूब कुजूर, उप संचालक (योजना एवं सांख्यिकी), ने बताया कि “मैनुअल प्रमाण पत्र जहां से जारी हुआ है, वहीं जाकर नया डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र बनवाना होगा। जिन बच्चों के रिकॉर्ड में गड़बड़ी है, उन्हें पहले सुधार कराना जरूरी है। इसके बाद ही नया प्रमाण पत्र और आधार कार्ड बन पाएगा।”
तकनीकी सुधार की जरूरत:
ग्रामीण इलाकों में आधार प्रक्रिया को सुचारु करने के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना बेहद जरूरी है। पंचायत सचिवों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ पोर्टल सर्वर की गति सुधारने पर भी काम करना होगा।जब तक यह तकनीकी दिक्कतें दूर नहीं होतीं, तब तक लाखों ग्रामीण परिवार अपने बच्चों के आधार कार्ड के इंतजार में भटकते रहेंगे।
क्यूआर (QR) कोड वाला डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र आधार से जुड़ी पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए जरूरी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की सीमित डिजिटल व्यवस्था ने इसे लोगों के लिए परेशानी का कारण बना दिया है। सरकार को जल्द ही तकनीकी समाधान और जनजागरूकता पर कदम उठाने होंगे ताकि बच्चों का आधार बनवाने की प्रक्रिया फिर से पटरी पर लौट सके।
