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NV News Raipur: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नगर सैनिकों के मानदेय में 5% वृद्धि की घोषणा की गई थी, लेकिन यह बढ़ोतरी अब तक लागू नहीं हो पाई है। इस मुद्दे को लेकर राज्य विधानसभा में विधायक श्रीमती चातुरी नंद ने तीखी आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ सरकार इस आदेश को लागू करने में पूरी तरह से विफल रही है। उनका कहना था कि नगर सैनिकों के मानदेय में कोई भी वृद्धि नहीं की गई है, जबकि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन कर रहा है।
गृह मंत्री विजय शर्मा द्वारा 30 मार्च 2023 को नगर सैनिकों के न्यूनतम मानदेय को 19,500 रुपये और अधिकतम मानदेय को 21,120 रुपये तक बढ़ाने की स्वीकृति दी गई थी। साथ ही, यह वृद्धि 5% की दर से किए जाने की घोषणा की गई थी। हालांकि, चातुरी नंद का कहना है कि इस घोषणा के बावजूद नगर सैनिकों को कोई बढ़ोतरी नहीं मिली है, जो कि सीधे तौर पर राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।
चातुरी नंद ने कहा कि सरकार ने नगर सैनिकों को कई अन्य सुविधाएं देने की बात की थी, जैसे यात्रा भत्ता, निशुल्क वर्दी किट, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, और एक वर्ष की सेवा पूरी करने पर अतिरिक्त मानदेय, लेकिन इन सुविधाओं का लाभ नगर सैनिकों को तब तक नहीं मिला जब तक उनका मानदेय वृद्धि का मुद्दा हल नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि जब सरकार ने बढ़ोतरी का ऐलान किया था तो उसे लागू करने का भी पूरा अधिकार था, लेकिन यह लागू नहीं हुआ। इस स्थिति से नगर सैनिकों में असंतोष बढ़ रहा है, जो उनके मनोबल को प्रभावित कर सकता है।
विधायक ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही नगर सैनिकों के मानदेय और भत्तों में वृद्धि की बात की थी, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक इस आदेश का पालन नहीं किया। चातुरी नंद ने स्पष्ट कहा कि यदि सरकार इस आदेश का पालन करती तो नगर सैनिकों को न्याय मिलता और उनके अधिकारों की रक्षा होती।
इसके अलावा, चातुरी नंद ने यह भी कहा कि सरकार को नगर सैनिकों की स्थिति सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। उनका कहना था कि नगर सैनिक न केवल राज्य की सुरक्षा व्यवस्था में अहम भूमिका निभाते हैं, बल्कि उन्हें उनके कार्य के लिए उचित मानदेय और सुविधाएं मिलनी चाहिए। यदि राज्य सरकार इसे गंभीरता से नहीं लेती है तो इसका असर प्रशासन पर पड़ सकता है, और यह राज्य सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है।
गृह मंत्री विजय शर्मा ने चातुरी नंद के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार नगर सैनिकों के भले के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि मानदेय में वृद्धि की प्रक्रिया जारी है, और इस पर जल्द ही उचित कदम उठाए जाएंगे। उनका यह भी कहना था कि सरकार नगर सैनिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इस मुद्दे को शीघ्र सुलझाया जाएगा।
लेकिन यह मुद्दा केवल छत्तीसगढ़ की सरकार के लिए नहीं, बल्कि राज्य की न्यायिक व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल उठाता है। 2 साल से लगातार चल रहे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद राज्य सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, जिससे सरकार की सुशासन व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न उठने लगे हैं। यह नगर सैनिकों के परिवारों में नाराजगी पैदा कर रहा है, जो अपनी स्थिति सुधारने के लिए सरकार की ओर देख रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई न होने से राज्य सरकार पर दबाव बढ़ गया है। यह मामला अब सिर्फ नगर सैनिकों का नहीं रह गया है, बल्कि यह राज्य की प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। अब राज्य सरकार को इस मामले पर गंभीर कदम उठाने होंगे और सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए नगर सैनिकों के मानदेय में 5% वृद्धि की प्रक्रिया को शीघ्र लागू करना होगा।
यदि राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर जल्द कार्रवाई नहीं की, तो यह उसकी सुशासन व्यवस्था को कमजोर कर सकता है, और इसके परिणामस्वरूप सरकार को अपने कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है। विपक्षी दलों और नेताओं द्वारा लगातार सरकार पर नगर सैनिकों के अधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया जा रहा है, और अब सरकार के सामने इस मामले का समाधान करने की एक बड़ी चुनौती है।