Share this
N.V.News पटना: कैंसर वक्त नहीं देता- यह आज भी उतना ही साबित तथ्य है। वरना, बिहार की राजनीति के पुरोधा सुशील कुमार मोदी अपने कैंसर की सूचना देने के 40 दिनों बाद ही रुखसत नहीं हो जाते। बिहार में भारतीय जनता पार्टी की लंबे समय तक पहचान रहे दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी को कैंसर ने लील लिया। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा के पूर्व सांसद सुशील मोदी का सोमवार की रात दिल्ली में निधन हो गया। उनके निधन पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी है। मृतात्मा के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना जताई है।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि ‘बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री, भाजपा परिवार के वरिष्ठ सदस्य सुशील कुमार मोदी के देवलोकगमन की दुःखद सूचना प्राप्त हुई। प्रभु श्रीराम से पुण्यात्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को दुःख की इस घड़ी में संबल प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।
सार्वजनिक जीवन में अंतिम संदेश:
सुशील कुमार मोदी ने 03 अप्रैल को सार्वजनिक जीवन के लिए अंतिम संदेश दिया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- “पिछले छह माह से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूं। अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है। लोकसभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊंगा। प्रधानमंत्री को सब कुछ बता दिया है। देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित।” यह लिखने के बाद जब सुशील मोदी बिहार आए तो एयरपोर्ट पर उनकी हालत देखते ही समर्थकों को झटका लगा था। उनका शरीर अचानक गिर गया था। इसके बाद उनके आवास पर भाजपा के कई दिग्गज मिलने के लिए पहुंचे तो परिजनों ने उनकी तस्वीर लेने से मना कर दिया था।
जेपी आंदोलन के सक्रिय नेता थे सुशील मोदी:
सुशील मोदी, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद जेपी आंदोलन के बाद उभरे त्रिमूर्ति के रूप में जाने जाते थे। सुशील मोदी शुरुआत से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे। 1971 में सुशील मोदी ने छात्र राजनीति से राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत की थी। इसके बाद युवा नेता के रूप में इनकी पहचान विश्वविद्यालय से होते हुए राज्य की राजनीति तक पहुंची। साल 1990 में सुशील ने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने। इसके बाद बिहार की राजनीति में उनका कद बढ़ता ही चला गया।