Bihar Elections 2025: छत्तीसगढ़ के पावरफुल नेताओं का बिहार में नया दांव…NV News
Share this
Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में सिर्फ स्थानीय ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के राजनीतिक दिग्गजों ने भी ‘रण भूमि’ संभाली है। सत्ता में लौटने की कोशिश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अपनी स्थिति मजबूत करने के लक्ष्य से कांग्रेस, दोनों ही ने इस बार छत्तीसगढ़ से अनुभवी नेताओं की फौज उतारी है।
भाजपा ने इस चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ी है। संगठन-रणनीति, जनसम्पर्क और नेतृत्व हस्तांतरण की दृष्टि से उन्होंने छत्तीसगढ़ से बड़ी टीम मैदान में उतारी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा स्थानीय नेतृत्व के साथ-साथ बढ़ती चुनौती के मद्देनज़र क्षेत्रीय अनुभव को भी अपने पक्ष में करना चाहती है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह चुनाव अब सिर्फ बिहार-स्थानीय नेताओं का सवाल नहीं रहा ,बल्कि राष्ट्रीय दलों द्वारा क्षेत्रीय नेतृत्व पर कितनी निर्भरता है, यह भी उजागर हुआ है।
भाजपा के मामले में छत्तीसगढ़ से भेजे गए नामों में शामिल हैं पूर्व प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन, प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव, मंत्री गजेंद्र यादव, मंत्री खुशवंत साहेब, सांसद संतोष पांडेय, वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल और विधायक मोतीताल साहू समेत अनेक नाम। इनके अलावा प्रचार-क्लस्टर के तहत स्थानीय जिलों में विजय शर्मा, अरुण साव जैसे नेताओं की दिलचस्प भूमिका देखी जा रही है।
वहीं कांग्रेस ने भी पीछे नहीं हटी। पूर्व सीएम भूपेश बघेल को बिहार चुनाव का सीनियर शामिल आब्जर्वर बनाकर इस दिशा में संकेत दिया है कि,उनकी संगठनात्मक दिशा-दृष्टि और मैदानी अनुभव को कुरबान किया जा रहा है। उनके साथ-साथ कांग्रेस की टीम में शामिल हैं जयसिंह अग्रवाल, शैलेष पांडेय और देवेंद्र यादव जैसे वर्तमान-पूर्व विधायकों की मौजूदगी। कांग्रेस के अनुसार, छत्तीसगढ़ के ये नेता बिहार में पहले-से-स्थाई राजनीतिक जड़ें रखते हैं, जिनका इस्तेमाल जातीय समीकरण (विशेषकर ओबीसी वर्ग) को साधने में किया जा रहा है।
इस तरह देखा जाए तो बिहार चुनाव में छत्तीसगढ़ीय नेतृत्व यह संकेत दे रहा है कि अब चुनाव केवल क्षेत्रीय नेता-वोट-मशीन का खेल नहीं रहा-बल्कि राजनीतिक दलों ने राज्यों के बाहर-से-आ रहे अनुभव-वाले चेहरे भी सक्रियता से खेलने शुरू कर दिए हैं। संगठन-शक्ति, प्रचार-रणनीति और नेतृत्व हस्तांतरण की इस जटिल प्रक्रिया ने बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को और विन्यासशील बना दिया है।
