कोटा में प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़ा घोटाला: इंजीनियर-ठेकेदार पर भ्रष्टाचार के आरोप
Share this
कोटा। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का उद्देश्य गरीब परिवारों को पक्का घर उपलब्ध कराना है, लेकिन कोटा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली एक पंचायत में इस योजना की गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। यहां तीन पात्र हितग्राहियों को स्वीकृत मकान को कागज़ों में शौचालय में बदल दिया गया, जिससे सरकारी राशि का गलत उपयोग किए जाने का बड़ा मामला उजागर हुआ है।
मकानों को शौचालय दिखाकर राशि हड़पने का आरोप
सूत्रों के अनुसार पंचायत क्षेत्र के तीन लाभार्थियों को योजना के तहत मकान स्वीकृत हुए थे। लेकिन इंजीनियर व ठेकेदारों की सांठगांठ से इन मकानों को सिस्टम में शौचालय के रूप में दर्ज कर दिया गया। इससे न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ, बल्कि कई पात्र ग्रामीण अभी भी घर के लिए इंतजार कर रहे हैं, जबकि रिकॉर्ड में उनके घर “पूर्ण” दिखाए जा चुके हैं।

जिओ टैगिंग में भी बड़े खेल का संदेह
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि एक ही निर्माण की दो-दो बार जियो टैग जांच की गई, जो पूरी तरह नियमों के विरुद्ध है। इससे स्पष्ट है कि अनियमितता को छिपाने के लिए तकनीकी प्रक्रियाओं का गलत उपयोग किया गया।
ग्रामीणों में आक्रोश, बोले—यह साधारण गलती नहीं, योजनाबद्ध भ्रष्टाचार है
ग्रामीणों ने इस मामले को गंभीर भ्रष्टाचार बताते हुए कहा कि इंजीनियर व ठेकेदारों ने कुछ हितग्राहियों से मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए, जिससे योजना की राशि का गलत तरीके से व्यय दिखाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे मामलों से गरीबों को मिलने वाली सरकारी योजनाओं की साख पर गहरा असर पड़ता है।
निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों व स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। चेतावनी दी गई है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे सामूहिक रूप से उच्च अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपेंगे।
एक पंचायत नहीं, बड़ा नेटवर्क होने की आशंका
सूत्र बताते हैं कि यह मामला सिर्फ एक पंचायत तक सीमित नहीं हो सकता। जांच के बाद अन्य जगहों पर भी इसी तरह की गड़बड़ियां सामने आ सकती हैं। यह न केवल गरीब हितग्राहियों के साथ अन्याय है, बल्कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न है।
