छत्तीसगढ़ में बड़ा फैसला: शिक्षा सत्र 2025-26 के अंत तक सेवानिवृत्त शिक्षकों को स्वतः मिलेगी पुनर्नियुक्ति

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षा सत्र 2025-26 के अंत तक सेवानिवृत्त हो रहे सभी स्कूल शिक्षकों को पुनर्नियुक्ति देने का बड़ा निर्णय लिया है। लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) ने इस संबंध में प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को निर्देश जारी कर दिए हैं। सरकार के तीन महत्वपूर्ण आदेशों का हवाला देते हुए पुनर्नियुक्ति प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से लागू करने को कहा गया है।

सहायक शिक्षक से लेकर प्राचार्य तक सभी को मिलेगा सत्रांत तक कार्यकाल

जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि सरकार तथा 100% अनुदान प्राप्त स्कूलों में कार्यरत वे सभी शिक्षक, जो शिक्षा सत्र 2025-26 के दौरान सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उन्हें सत्रांत तक पुनर्नियुक्ति दी जाएगी। यह निर्णय सहायक शिक्षक, शिक्षक, व्याख्याता से लेकर प्राचार्य तक सभी पदों पर लागू होगा।

 

पदोन्नत प्राचार्यों को भी मिलेगा लाभ

शासन ने यह भी तय किया है कि ई एवं टी संवर्ग के वे पदोन्नत प्राचार्य जो सत्र के भीतर सेवानिवृत्त हो रहे हैं, वे भी शिक्षा सत्र समाप्त होने तक प्राचार्य पद पर कार्य करते रहेंगे। इससे स्कूलों का प्रशासनिक कार्य बाधित नहीं होगा।

 

डिफ़ॉल्ट रूप से सभी को पुनर्नियुक्ति—स्वैच्छिक अस्वीकार पर ही छूट

DPI ने स्पष्ट किया है कि डिफ़ॉल्ट रूप से सभी पात्र शिक्षकों को पुनर्नियुक्ति दी जाएगी। यदि कोई शिक्षक पुनर्नियुक्ति नहीं चाहता, तो उसे अपनी इच्छा लिखित रूप में देनी होगी। इस कदम का उद्देश्य शिक्षकों की उपलब्धता बनाए रखना है, क्योंकि कई जिलों में विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी की शिकायतें मिल रही थीं।

क्यों जरूरी हुई पुनर्नियुक्ति?

शिक्षा विभाग के मुताबिक सत्र के मध्य सेवानिवृत्ति से—

पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ता है,

विज्ञान, गणित और अंग्रेज़ी विषयों में विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी बढ़ जाती है,

मध्य सत्र में भर्ती या स्थानांतरण की प्रक्रिया संभव नहीं होती।

ऐसे में पुनर्नियुक्ति से शिक्षण क्रम प्रभावित नहीं होगा और विद्यार्थियों को पढ़ाई में किसी तरह की असुविधा नहीं होगी।

सभी जिलों में तत्काल कार्रवाई के निर्देश

DPI ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा है कि—

योग्य शिक्षकों को तुरंत पुनर्नियुक्ति आदेश जारी करें,

किसी भी जिले में शिक्षक की कमी की स्थिति नहीं बननी चाहिए,

पुनर्नियुक्ति अस्वीकार करने वालों की लिखित सूचना रिकॉर्ड में सुरक्षित रखी जाए।

यह निर्णय पूरे प्रदेश में शिक्षण व्यवस्था को सुचारू और निरंतर बनाए रखने की

दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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