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N.V.News रायपुर: दशहरे के मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के लोक कलाकारों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने लोक संस्कृति के साधकों की साधना से नए कलाकारों को प्रेरित करने के लिए राज्योत्सव के अवसर पर तीन नए पुरस्कार प्रारंभ करने का निर्णय लिया है।
यह पुरस्कार लक्ष्मण मस्तुरिया, खुमान साव और माता कौशल्या सम्मान को समर्पित होंगे। लोकगीत के क्षेत्र में लक्ष्मण मस्तुरिया पुरस्कार, लोक संगीत के क्षेत्र में खुमान साव पुरस्कार एवं श्रेष्ठ रामायण (मानस) मंडली के क्षेत्र में माता कौशल्या सम्मान दिया जाएगा।
1. लक्ष्मण मस्तुरिया पुरस्कार- लोकगीत
2. खुमान साव पुरस्कार- लोक संगीत
3. माता कौशल्या सम्मान- श्रेष्ठ रामायण (मानस) मंडली
इस संबंध में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ अपनी प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं जीवंत संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां के लयबद्ध संगीत, लोकगीत एवं लोक नाट्य अद्भुत आनंद की अनुभूति कराते हैं। लोक संस्कृति के जिन साधकों ने इसे जीवंत बनाए रखने में अपना जीवन समर्पित किया है, उन्हें सम्मानित करना राज्य सरकार का परम कर्तव्य है। ऐसे में प्रदेश की लोकगीत व लोक संगीत की महान विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन और इस क्षेत्र में काम कर रहे नए कलाकारों को प्रेरित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा राज्य अलंकरण के रूप में अन्य पुरस्कारों के साथ तीन नए पुरस्कार भी दिए जाएंगे। इसमें लोकगीत के क्षेत्र में “लक्ष्मण मस्तुरिया पुरस्कार” दिया जाएगा। वहीं लोक संगीत के क्षेत्र में योगदान देने वाले कला साधकों को “खुमान साव पुरस्कार” से सम्मानित किया जाएगा। इसी तरह माता कौशल्या के मायके और भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में श्रेष्ठ रामायण (मानस) मंडली को “माता कौशल्या सम्मान” से अलंकृत किया जाएगा। राज्य अलंकरण की भाँति ही इन श्रेणियों के पुरस्कार भी राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले राज्योत्सव कार्यक्रम के दौरान प्रदान किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि, राज्य की संस्कृति के ध्वज वाहकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके नाम पर पुरस्कार संस्थित किए जाने से उन महान कलाकारों के योगदान की जानकारी भी भावी पीढ़ी को होगी। इसके अलावा लोकगीत व लोक संगीत के प्रति रुचि भी बढ़ेगी।