शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई:EOW ने CA मिश्रा समेत तीन आरोपियों को किया गिरफ्तार, रिमांड….

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रायपुर | NV News |छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में हड़कंप मचाने वाले बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय कुमार मिश्रा, उनके भाई मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह शामिल हैं। तीनों को विशेष न्यायालय में पेश किया जाएगा, जहां से उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।

चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय मिश्रा बने मुख्य किरदार

गिरफ्तार आरोपी संजय कुमार मिश्रा पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और उनका नाम पहले भी छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले और कोल घोटाले में सामने आ चुका है। बताया जा रहा है कि संजय मिश्रा ने अपने भाई मनीष मिश्रा के साथ मिलकर ‘नेक्स्टजेन पावर कंपनी’ बनाई थी। इस कंपनी के माध्यम से इन्होंने एफएल-10 लाइसेंस हासिल किया और प्रदेश में महंगी ब्रांडेड अंग्रेजी शराब की सप्लाई शुरू की।

ईओडब्ल्यू की जांच में खुलासा हुआ है कि दोनों भाइयों ने इस कंपनी को एक माध्यम बनाकर घोटाले से प्राप्त अवैध पैसों को वैध दिखाने की कोशिश की। उन्होंने वित्तीय लेनदेन के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग की कई परतें तैयार कीं। यह भी संदेह जताया जा रहा है कि इनका नेटवर्क प्रदेश के कई बड़े नेताओं और कारोबारियों से जुड़ा हुआ था।

अभिषेक सिंह की भूमिका भी संदिग्ध

गिरफ्तार तीसरे आरोपी अभिषेक सिंह, आबकारी घोटाले के पुराने आरोपी और पूर्व अधिकारी अरविंद सिंह का भतीजा है। सूत्रों के मुताबिक, अभिषेक सिंह भी इस घोटाले में बतौर मिडिलमैन काम कर रहा था और घोटाले के पैसों को इधर-उधर करने में मदद करता था। उसके पास से भी कुछ दस्तावेज बरामद किए गए हैं, जो जांच के लिए अहम माने जा रहे हैं।

अनवर ढेबर और चैतन्य बघेल से संबंध की चर्चा

जांच एजेंसियों के अनुसार, संजय और मनीष मिश्रा के संबंध छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उनके बेटे चैतन्य बघेल और कारोबारी अनवर ढेबर से भी रहे हैं। यह संबंध राजनीतिक और कारोबारी दोनों ही स्तर पर गहराई से जुड़े हुए थे। हालांकि अभी तक ईओडब्ल्यू की ओर से इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

छापेमारी में दस्तावेजों की बरामदगी

ईओडब्ल्यू की टीम ने हाल ही में इन आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान घोटालों से जुड़े कई अहम दस्तावेज बरामद किए गए हैं। दस्तावेजों में लेन-देन की डिटेल, फर्जी कंपनियों के रजिस्ट्रेशन, और बैंकों से जुड़ी जानकारी शामिल है। इन दस्तावेजों की मदद से एजेंसी को पूरे घोटाले की परतें खोलने में मदद मिलेगी।

कोर्ट में पेशी और रिमांड की तैयारी

तीनों आरोपियों को रायपुर स्थित ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा। वहां से पूछताछ के लिए रिमांड मांगा जाएगा। अधिकारियों का मानना है कि रिमांड में लेने के बाद इस घोटाले से जुड़े अन्य बड़े नाम और भी खुल सकते हैं। विशेषकर उन लोगों के नाम जो राजनीतिक संरक्षण प्राप्त करते रहे हैं।

अब तक नहीं आया कोई आधिकारिक बयान

हालांकि अब तक ईओडब्ल्यू की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। लेकिन अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसी इस मामले में बेहद सतर्कता और गोपनीयता से काम कर रही है। आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

पृष्ठभूमि: करोड़ों का घोटाला

शराब घोटाले के माध्यम से राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया गया है। नकली बिल, फर्जी कंपनियां और मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस घोटाले को अंजाम दिया गया था। इस पूरे मामले को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेरता रहा है। अब ईओडब्ल्यू की कार्रवाई से यह स्पष्ट हो रहा है कि जांच एजेंसियां धीरे-धीरे इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश करने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।

राजनीतिक और प्रशासनिक गठजोड़ का गंभीर उदाहरण

संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह की गिरफ्तारी से एक बार फिर यह साफ हो गया है कि छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला महज एक वित्तीय घोटाला नहीं, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक गठजोड़ का गंभीर उदाहरण है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ईओडब्ल्यू की आगे की कार्रवाई में और कौन-कौन से बड़े नाम उजागर होते हैं।

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