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NV News Raipur:छत्तीसगढ़ में लंबे समय से बहुचर्चित कस्टम मिलिंग घोटाले की जांच में एक बड़ी कार्रवाई सामने आई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने मामले में दो प्रमुख आरोपियों — अनिल टुटेजा (पूर्व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी) और अनवर ढेबर (व्यापारी और रसूखदार कारोबारी) को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया है।
गौरतलब है कि ये दोनों आरोपी पहले से ही अन्य मामलों में न्यायिक हिरासत में जेल में बंद थे। मंगलवार को प्रोडक्शन वारंट के माध्यम से EOW ने उन्हें विशेष अदालत में पेश किया और कस्टम मिलिंग घोटाले में उनकी गिरफ्तारी दर्ज की। इसके बाद अदालत से पुलिस रिमांड की अनुमति ली गई, जिससे इन दोनों से पूछताछ का रास्ता साफ हुआ।
क्या है कस्टम मिलिंग घोटाला?
छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से की जाने वाली कस्टम मिलिंग प्रक्रिया में इस घोटाले का खुलासा हुआ था। जांच में यह पाया गया कि बड़ी मात्रा में सरकारी धान की कस्टम मिलिंग में सुनियोजित तरीके से गड़बड़ियां की गईं, जिससे सरकारी कोष को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
EOW ने दर्ज किया था गंभीर आपराधिक मामला
इस मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने अपराध क्रमांक-01/2024 के तहत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 11, 13(1)(क), 13(2) तथा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 384 (जबरन वसूली) और 409 (विश्वास भंग कर संपत्ति का दुरुपयोग) के तहत मामला दर्ज किया था।
प्रारंभिक जांच में स्पष्ट हुआ है कि अधिकारियों और प्रभावशाली व्यापारियों के गठजोड़ से सरकारी योजनाओं को भारी क्षति पहुंचाई गई। इस पूरे प्रकरण में मिलीभगत से सरकारी धान की मिलिंग में तय नियमों और प्रक्रियाओं को नजरअंदाज कर मोटा मुनाफा कमाया गया, जिससे राज्य सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
राजनीतिक और प्रशासनिक गठजोड़ की जांच
EOW सूत्रों के मुताबिक, अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर से रिमांड पर पूछताछ के दौरान कई और नामों का खुलासा होने की संभावना है, जिनमें प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता और मिलर्स शामिल हो सकते हैं। जांच एजेंसी इस बात की गहनता से जांच कर रही है कि इस पूरे घोटाले में किन-किन स्तरों पर मिलीभगत हुई और किसे किस हद तक लाभ पहुंचाया गया।
जनता और राजनीतिक हलकों में हलचल
इस हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी से प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई है। जनता और विपक्षी दल इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। वहीं, शासन प्रशासन ने भी स्पष्ट किया है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो।
अब सबकी निगाहें रिमांड के दौरान होने वाली पूछताछ पर टिकी हैं, जिससे छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े घोटालों में से एक की परतें धीरे-धीरे खुलने की उम्मीद है।