गोबर से बने झोले में बजट लेकर आए भूपेश बघेल, छत्तीसगढ़ की जनता को कर दिया मालामाल

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NV News:-    मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक नया इतिहास रच दिया है. उन्होंने बजट पेश करने के लिए जिस ब्रीफकेस का इस्तेमाल किया वो चमड़े या जूट का नहीं बल्की गोबर के बाई प्रोडक्ट से निर्मित किया गया था.

खास बात ये कि इसे कि किसी कारिगर ने नहीं बल्की महिला स्व सहायता समूह की दीदी नोमिन पाल ने बनाया है. इसमें गोबर के पाउडर का उपयोग किया गया है.

आमजन को राहत, कर्मचारियों को तोहफा
इस बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 1 लाख 5 हजार करोड़ का बजट पेश किया. इसमें उन्होंने समाज के हर वर्ग को रखने की कोशिश की है. बड़ी घोषणाओं में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की घोषणा के साथ शासकीय अधिवक्ताओं के मानदेय में वृद्धि और 6 नई तहसीलें बनाने की भी घोषणा है. इस बजट में आमजन को राहत देते हुए किसी भी नए टैक्स को नहीं लाया गया है.

इस समूह ने किया तैयार
नगर निगम रायपुर के गोकुल धाम गोठान में काम करने वाली ‘एक पहल’ महिला स्वसहायता समूह ने गोबर एवं अन्य उत्पादों के इस्तेमाल से इस ब्रीफकेस का निर्माण किया है. इस ब्रीफकेस की खासियत ये है कि इसे गोबर पाउडर, चुना पाउडर, मैदा लकड़ी एवं ग्वार गम के मिश्रण को परत दर परत लगाकर 10 दिनों की कड़ी मेहनत से तैयार किया गया है. हैंडल और कार्नर कोंडागांव शहर के समूह ने बस्तर आर्ट कारीगर से तैयार करवाया है.

मां लक्ष्मी का प्रतीक है गोबर
छत्तीसगढ़ में ये मान्यता है कि गोबर मां लक्ष्मी का प्रतीक है. यहां के तीज त्यौहारों में घरों को गोबर से लीपने की परंपरा रही है. इसी से प्रेरणा लेते हुए स्व सहायता समूह ने गोमय ब्रीफकेस का निर्माण किया है. समूह कि महिलाओं का कहना है कि मुख्यमंत्री के हाथों इस ब्रीफकेस से छत्तीसगढ़ के हर घर में बजट रूपी लक्ष्मी का प्रवेश होगा और प्रदेश का हर नागरिक आर्थिक रूप से सशक्त हो होगा.

गोबर से आ रही आर्थिक क्रांति
छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना ने पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि गोबर से कोई सामग्री भी तैयार की जा सकती है, लेकिन गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की संकल्पना के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोबर को छत्तीसगढ़ की आर्थिक क्रांति के रूप में प्रस्तुत किया है. इसकी तारीफ प्रधानमंत्री और कृषि मामलों की संसदीय समिति भी कर चुकी है.

स्वावलंबन ला रहा गोबर
छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय की आर्थिक क्रांति से छत्तीसगढ़ में 10591 गौठानों की स्वीकृति मिल चुकी है. इनमें से 8048 गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है. राज्य के 2800 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं. जहां पशुपालक ग्रामीणों से गोबर खरीदी में स्वयं की पूंजी का निवेश करने लगे हैं. इससे महिलाएं भी स्वावलंबी हुई है.

 

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