भारतमाला परियोजना मुआवजा घोटाला: करोड़ों के घोटाले में जल संसाधन विभाग के दो कर्मचारियों समेत छह गिरफ्तार

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NV News Raipur: रायपुर, 16 जुलाई 2025 : भारत सरकार की बहुचर्चित भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में हुए मुआवजा घोटाले के मामले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए जल संसाधन विभाग के दो सेवानिवृत्त कर्मचारियों समेत छह आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

जांच एजेंसी ने इन सभी आरोपितों को विशेष अदालत में पेश किया, जहां से चार आरोपितों को रिमांड पर भेजा गया, जबकि दो आरोपितों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। अब तक इस मामले में कुल दस लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

मुआवजा वितरण में फर्जीवाड़ा, शासन को 600 करोड़ की क्षति

ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही जांच में सामने आया है कि जल संसाधन विभाग के दो कर्मचारियों — गोपाल राम वर्मा (सेवानिवृत्त अमीन) और नरेंद्र कुमार नायक ने अधिग्रहित की गई भूमि के संबंध में जानबूझकर गलत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसके परिणामस्वरूप, शासन द्वारा अर्जित भूमि को दोबारा सरकार को ही बेचने का प्रयास किया गया, और इसके एवज में फर्जी तरीके से मुआवजा जारी कराया गया।

जांच में यह भी पाया गया कि कुछ प्रकरणों में वास्तविक भूमि स्वामी की जगह किसी अन्य व्यक्ति को मुआवजा दे दिया गया, वहीं कुछ मामलों में निजी भूमि के टुकड़े कर उपखंडों में विभाजित किया गया और इस आधार पर अनुचित मुआवजा राशि वसूली गई। यह समूचा घोटाला सुनियोजित तरीके से किया गया, जिससे सरकार को लगभग 600 करोड़ रुपये की वित्तीय क्षति हुई है।

गिरफ्तार आरोपितों की पहचान

ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किए गए छह आरोपितों में शामिल हैं:

  1. गोपाल राम वर्मा (सेवानिवृत्त अमीन, जल संसाधन विभाग)
  2. नरेंद्र कुमार नायक (जल संसाधन विभाग)
  3. खेमराज कोसले
  4. पुनुराम देशलहरे
  5. भोजराम साहू
  6. कुंदन बघेल

इनमें गोपाल राम वर्मा और नरेंद्र कुमार नायक को न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया, जबकि खेमराज कोसले, पुनुराम देशलहरे, भोजराम साहू और कुंदन बघेल को 18 जुलाई तक ईओडब्ल्यू की रिमांड पर लिया गया है।

परियोजना की पृष्ठभूमि

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना भारतमाला परियोजना के तहत वर्ष 2020 से रायपुर से विशाखपट्टनम तक करीब 950 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है। इस योजना के अंतर्गत रायपुर से विशाखपट्टनम तक फोरलेन सड़क, और दुर्ग से आरंग तक सिक्सलेन सड़क का निर्माण प्रस्तावित है।

इस सड़क निर्माण के लिए राज्य सरकार ने बड़ी मात्रा में किसानों और निजी भूमि मालिकों की भूमि का अधिग्रहण किया था। इसके बदले में उन्हें मुआवजा राशि का भुगतान किया गया, लेकिन अब यह सामने आया है कि मुआवजा वितरण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है।

ईओडब्ल्यू की जांच तेज

ईओडब्ल्यू ने इस प्रकरण में मामले की गहराई से जांच शुरू कर दी है और सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में अधिक गिरफ्तारी और खुलासे हो सकते हैं। जांच एजेंसी ने यह भी संकेत दिया है कि कुछ राजनीतिक या उच्च स्तर के अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है।

जनहित और पारदर्शिता पर सवाल

इस घोटाले ने सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिन किसानों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए था, वे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए, और कुछ अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर जनता के अधिकारों का हनन किया।

अब यह देखना होगा कि सरकार इस घोटाले में सख्त कार्रवाई कर दोषियों को दंडित करने में कितनी तत्परता दिखाती है और पीड़ितों को कैसे न्याय दिलाया जाएगा।

 

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