“Bastar Flood”:सियोल से बस्तर तक, CM साय ने राहत कार्यों की समीक्षा की…NV News

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NV News: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में आई बाढ़ ने कई जिलों के लोगों की जिंदगी को अस्त-व्यस्त कर दिया है। मकान ढह गए, सड़कें कट गईं, पुल-पुलिए बह गए और हजारों परिवारों को अस्थायी शिविरों में शरण लेनी पड़ी। ऐसे कठिन समय में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर राज्य प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए कि,”बस्तर के बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद तत्काल मिले और किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
सियोल से सीधी निगरानी:
सीएम साय इस समय दक्षिण कोरिया के दौरे पर हैं, लेकिन बस्तर के हालात पर उनकी नजर लगातार बनी हुई है। उन्होंने सियोल से ही बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा के कलेक्टरों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लंबी बैठक की। इस बैठक में उन्होंने राहत और पुनर्वास कार्यों की प्रगति पर विस्तृत समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ पीड़ित परिवारों का दर्द कम करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। लोगों को यह महसूस होना चाहिए कि प्रशासन हर मुश्किल में उनके साथ खड़ा है।
तत्काल राहत राशि और सामग्री वितरण:
बैठक में CM साय ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि जिन परिवारों को जनहानि या पशुहानि का नुकसान हुआ है, उन्हें बिना देरी के राहत राशि प्रदान की जाए। जिनके घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें तिरपाल, बाँस-बल्ली और अन्य आवश्यक सामग्री तत्काल उपलब्ध कराई जाए।
उन्होंने प्रभारी सचिवों को आदेश दिया कि वे अपने-अपने जिलों का नियमित दौरा करें और राहत कार्यों का सतत निरीक्षण करते रहें।
सड़क, पुल और बिजली बहाली को युद्धस्तर पर करने का आदेश:
बाढ़ से सबसे ज्यादा दिक्कत आवागमन और बिजली आपूर्ति बाधित होने से आई है। सीएम ने कहा कि प्रभावित गाँवों तक सड़क संपर्क बहाल करना, टूटे पुलों की मरम्मत और बिजली की आपूर्ति पुनः शुरू करना अत्यंत आवश्यक है। “बस्तर जैसे संवेदनशील इलाके में बुनियादी सुविधाओं की बहाली ही राहत कार्यों की सफलता की कुंजी है,” उन्होंने कहा।
उच्च अधिकारियों की मौजूदगी और निर्देश:
इस महत्वपूर्ण बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, राजस्व सचिव रीना बाबासाहेब कंगाले, लोक निर्माण विभाग के सचिव कमलप्रीत सिंह, बस्तर संभाग के आयुक्त डोमन सिंह और पुलिस महानिरीक्षक पी. सुन्दरराज भी शामिल रहे।
मुख्य सचिव ने सभी कलेक्टरों से कहा कि यदि उन्हें शासन स्तर से अतिरिक्त मदद चाहिए तो तत्काल प्रस्ताव भेजें। इससे फैसले लेने में कोई देरी नहीं होगी। प्रमुख सचिव सुबोध सिंह ने राहत शिविरों में भोजन, कपड़े और सूखा राशन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने स्वास्थ्य शिविर लगाने और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था को भी प्राथमिकता देने को कहा।
राजस्व सचिव ने दी जमीनी रिपोर्ट:
बैठक की शुरुआत में राजस्व सचिव रीना बाबासाहेब कंगाले ने बस्तर संभाग की ताजा स्थिति का ब्यौरा पेश किया। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित जिलों को पहले ही अतिरिक्त राशन आबंटित कर दिया गया है और सामग्री परिवारों तक पहुँचा दी गई है।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने चारों जिलों के कलेक्टरों से सीधे संवाद कर राहत और पुनर्वास कार्यों की प्रगति जानी। कलेक्टरों ने बताया कि अधिकतर जगहों पर पानी उतरना शुरू हो गया है और हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। प्रशासन का पूरा जोर राहत शिविरों में सुविधाओं को दुरुस्त करने और प्रभावित परिवारों को स्थायी मदद पहुँचाने पर है।
प्रशासन का फोकस, राहत से पुनर्वास तक:
कलेक्टरों ने मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाया कि राहत शिविरों में रहने वाले परिवारों के लिए भोजन, कपड़े और स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी व्यवस्था की जा रही है। पशुओं के लिए भी चारा और दवा की सप्लाई की गई है। जिन गाँवों तक सड़क मार्ग बंद हो गया है, वहाँ नाव और वैकल्पिक साधनों से जरूरी सामान पहुँचाया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की टीमें बाढ़ प्रभावित इलाकों में डेरा डाले हुए हैं, ताकि किसी तरह की महामारी फैलने से रोकी जा सके। स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए टैंकर भेजे जा रहे हैं और हैंडपंपों की मरम्मत कराई जा रही है।
संवेदनशील क्षेत्र में राहत की चुनौती:
बस्तर संभाग नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी है, जिससे राहत कार्यों में अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ रही है। कई इलाकों तक पहुंचना सुरक्षा दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है, लेकिन प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि किसी भी परिवार को मदद से वंचित नहीं रखा जाएगा।
बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा में राहत कार्य तेज रफ्तार से जारी हैं। अब चुनौती यह है कि पीड़ितों को सिर्फ अस्थायी राहत ही नहीं, बल्कि दीर्घकालिक पुनर्वास भी मिले। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जब तक बस्तर के प्रभावित परिवार पूरी तरह सुरक्षित और संतुष्ट न हों, तब तक राहत कार्य जारी रहें।